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झारखंड के CM फंस गए! क्या चली जाएगी हेमंत सोरेन की कुर्सी?

झारखंड में इस समय राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है. चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से जुड़े माइनिंग केस की सुनवाई पूरी कर ली है.

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Hemant Soren
हेमंत सोरेन. (इंडिया टुडे)
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सौरभ
22 अगस्त 2022 (Updated: 22 अगस्त 2022, 21:03 IST)
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झारखंड की सरकार और सीएम हेमंत सोरेन एक बार फिर सुर्खियों में हैं. कारण, सीएम हेमंत सोरेन पर लटकी चुनाव आयोग की तलवार, राज्य की UPA सरकार में विधायकों को बांधने की रस्साकशी और सरकार बनाने को आतुर बीजेपी. बैठकों के दौर से छनकर आती खबरों में सीएम हेमंत सोरेन के माथे पर शिकन बताई तो जा रही है, लेकिन जताई नहीं जा रही. तो सवाल ये है कि हेमंत सोरेन की इन उलझनों का कारण सिर्फ उन पर चलता माइनिंग का केस है, जो उनसे विधायकी छीन सकता है या सरकार बचाना भी उनके लिए अब चुनौती बन गया है? क्या बिहार के बाद अब झारखंड में भी सत्ता परिवर्तन की तैयारी शुरू हो गई है? 

Hemant Soren नहीं रहेंगे मुख्यमंत्री?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दो केस चल रहे हैं. पहला फर्जी कंपनियां बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग करने का और दूसरा माइनिंग से जुड़ा है. दूसरे केस में आरोप है कि माइनिंग विभाग के मंत्री रहने के दौरान ही सोरेन ने अपने ही नाम एक खदान का पट्टा करा लिया. ये केस इसलिए गंभीर है क्योंकि इसमें हेमंत सोरेन पर पद का लाभ उठाने का आरोप लगा है. इस मामले में चुनाव आयोग और हाईकोर्ट दोनों जगह केस चल रहा है. हाईकोर्ट में चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल स्टे लगाया है लेकिन 18 अगस्त को चुनाव आयोग में इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई है. अब फैसला आना बाकी है. और अगर ये फैसला सोरेन के खिलाफ आता है, तो उनकी विधायकी चली जाएगी.

अब सवाल उठता है कि अगर हेमंत सोरेन केस हारे और विधायकी गई तो क्या वो राज्य के मुख्यमंत्री रह पाएंगे. इस बारे में हमने झारखंड की राजनीति पर सालों से नजर बनाए पत्रकार आनंद दत्ता से बात की. आनंद ने बताया,

अगर सोरेन को चुनाव आयोग अयोग्य घोषित कर देता है, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा. लेकिन इस्तीफा देकर उनको दोबारा विधायक दल का नेता चुना जा सकता है और 6 महीने के भीतर वो उपचुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं. सोरेन अपनी मौजूदा सीट बरहेट से दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं. इस सीट पर उन्हें कोई खास दिक्कत हो, इसकी संभावना कम है.

इसके अलावा हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन के खिलाफ भी संपत्ति का सही ब्योरा नहीं देने का केस चुनाव आयोग में चल रहा है. बसंत को भी अगर चुनाव आयोग अयोग्य घोषित करे तो दुमका की सीट खाली हो जाएगी. ऐसी स्थिति में हेमंत सोरेन के पास दुमका से लड़ने का भी ऑप्शन रहेगा. दुमका में बीजेपी की लुईस मरांडी पिछले दो बार से लगातार चुनाव हारती आ रही हैं.

वहीं एक सवाल ये उठता है कि क्या चुनाव आयोग हेमंत सोरेन की विधायकी को अयोग्य घोषित कर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है? इस बारे में आनंद कहते हैं,

मेरी कानून के जानकारों से बात हुई है और उनका कहना है कि चुनाव आयोग सोरेन को डिसक्वालिफाई कर सकता है लेकिन उनके चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगा सकता.

क्या झारखंड में सोरेन सरकार खतरे में है?

झारखंड में चल रहे राजनीतिक सिनेमा ने इस सवाल को मौजूं कर दिया है. पहला सीन 30 जुलाई का. कोलकाता पुलिस ने 'टिप' के आधार पर एक गाड़ी पकड़ी. गाड़ी में 49 लाख कैश था और झारखंड कांग्रेस के तीन विधायक. नाम इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल कोंगारी. अगले दिन कांग्रेस ने तीनों विधायकों को निलंबित कर दिया. कांग्रेस ने सीनियर नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाए कि बीजेपी झारखंड में भी ऑपरेशन लोटस की तैयारी में है.

इसके बाद इन तीनों विधायकों के खिलाफ रांची के एक थाने में मामला भी लिखवा दिया गया. ये मामला लिखवाया झारखंड की बरमो सीट से कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने. अनूप सिंह ने रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और दावा किया कि कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार तीनों विधायक उन्हें और दूसरे कांग्रेस विधायकों को प्रलोभन दे रहे थे कि अगर भाजपा सरकार बनती है, तो पाला बदलने वाले विधायकों को मंत्रिपद और 10 करोड़ रुपया मिलेंगे. जयमंगल के मुताबिक इरफान अंसारी का तो मंत्रालय तक फिक्स हो गया था. उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया जाना था. आगे जयमंगल ने दावा किया कि तीनों विधायक उन्हें कोलकाता से गुवाहाटी ले जाना चाहते थे, जहां उनकी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से मुलाकात फिक्स हुई थी.

कहा गया कि तीनों विधायकों की गिरफ्तारी से हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार बचा ली. अंदरखाने की खबरों के मुताबिक, सोरेन सरकार में कांग्रेस के एक मंत्री भी बीजेपी से टच में थे. बताया जाता है कि मामला खुल गया, तो मंत्री ने हेमंत सोरेन से माफी मांग ली. और बदले में बड़ा दिल दिखाते हुए हेमंत सोरेन ने उनसे मंत्रालय नहीं छीना.

लेकिन बीते हफ्ते कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को रांची में रहने का आदेश दिया. कांग्रेस के इस आदेश के बाद और चुनाव आयोग की सुनवाई पूरी हो जाने के बाद हेमंत सोरेन ने विधायकों की बैठक बुलाई. लेकिन इस बैठक में 6 विधायक नहीं पहुंचे. आजतक की खबर के मुताबिक JMM के सरफराज अहमद, चमरा लिंडा और सीएम के भाई बसंत सोरेन मीटिंग में नहीं पहुंचे. इसके अलावाा कांग्रेस से भूषण बाड़ा, पूर्णिमा नीरज सिंह, ममता देवी बैठक में नहीं पहुंचीं.

इन विधायकों के मीटिंग में नदारद रहने और कांग्रेस के विधायकों को रांची में रहने के आदेश के बाद एक बार फिर ये सवाल मौजूं हो गया कि क्या झारखंड सरकार में सब ठीक नहीं चल रहा है. लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है. बताया जा रहा है कि मीटिंग में ना आने वाले विधायकों ने इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री को खुद दी थी.

कल्पना सोरेन झारखंड की मुख्यमंत्री बनेंगी?

कल्पना सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी हैं. बीते कुछ दिनों से ये खबरें चल रही हैं कि सोरेन खुद इस्तीफा देकर अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाएंगे. इस बात को हवा देने के लिए झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक ट्वीट किया.

बीजेपी सांसद ने लिखा कि झारखंड में भाभी जी की ताजपोशी की तैयारी, परिवारवादी पार्टी का बेहतरीन नुस्खा गरीब के लिए.

हालांकि इस बारे में पत्रकार आनंद दत्ता की राय अलहदा है. आनंद कहते हैं,

फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा में इस बारे में कोई चर्चा नहीं है कि कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन अगर ऐसी स्थिति बनती है, तो भी इसमें कोई अड़चन नहीं दिखती क्योंकि JMM में आलाकमान की बात टालने का कल्चर नहीं है और कांग्रेस फिलहाल हेमंत सोरेन के आगे नतमस्तक है.

इस बीच बीते दिन 21 अगस्त को अखबार प्रभात खबर ने एक खबर में लिखा है कि हेमंत सोरेन अपना एक फोन नंबर सभी विधायकों को देंगे, जिससे विधायक उनसे कभी भी बात कर सकते हैं. इस खबर को महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत से सबक लेते हुए भी देखा जा रहा है.

क्या कहता झारखंड विधानसभा का गणित?

झारखंड में कांग्रेस के पास फिलहाल 15 विधायक हैं. 3 आरोपी विधायक, जिन्हें कांग्रेस ने निकाल दिया. हालांकि, 17 अगस्त को अंतरिम जमानत मिलने के बाद इरफान अंसारी ने कहा कि वो हमेशा कांग्रेसी रहेंगे. इसके अलावा JMM के पास 30, RJD के पास 1, CPI-ML के पास 1, NCP के पास 1 और बीजेपी छोड़ने वाले सरयू राय भी सोरेन सरकार के समर्थन में हैं. यानी कुल 81 में से फिलहाल 52 सरकार के पाले में हैं, जबकि 26 विधायक बीजेपी के हैं. 2 आजसू के पास हैं. अमित मंडल निर्दलीय भी बीजेपी के पाले में हैं यानी 29 विधायक विपक्ष में हैं.

बीजेपी के बाबूलाल मरांडी पर केस चल रहा है. चुनाव के बाद उन्होंने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया था. उनकी पार्टी के कुल तीन विधायक थे. जिनमें उनके अलावा दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए. बाबूलाल मरांडी को डिस्क्वालिफाई करने की याचिका भी विधानसभा अध्यक्ष के पास पेंडिंग है. कहा जा रहा है कि अगर हेमंत सोरेन की विधायकी जाती है, तो बाबूलाल मंराडी की विधायकी जाना भी लगभग तय है. ऐसे केस में बीजेपी के पास 25 और समर्थन में कुल 28 विधायक बचेंगे.

क्या BJP झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है?

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