भारत से नौकरियां ‘गायब’ होने का असली कारण पता चला
कारख़ाने धीमे पड़ रहे हैं. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन कम हो रहा है. ये हम सबके लिए ख़तरे की घंटी है.
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आपने कभी सोचा है कि भारत जैसे विशाल देश में रहने वाले करोड़ों करोड़ लोगों के लिए कितनी बिजली, कितना तेल, कितना कोयला, कितना सीमेंट, कितनी खाद की ज़रूरत पड़ती होगी? खदानों और फ़ैक्ट्रियों में दिन-रात प्रोडक्शन होता है तब कहीं जाकर हमारी economy का पहिया आगे बढ़ता है. लेकिन अगर कारख़ानों में प्रोडक्शन ही कम होने लगे तो क्या होगा? ज़ाहिर सी बात है कि अर्थव्यवस्था के पहिए की रफ़्तार धीमी हो जाएगी और इसका असर आपके रोज़गार, बच्चों की शिक्षा, दवा-दारू सभी पर पड़ेगा.