The Lallantop
X
Advertisement
  • Home
  • News
  • why nirmohi akhara is dissatis...

राम मंदिर: प्राण प्रतिष्ठा से पहले निर्मोही अखाड़े वाले नाखुश क्यों हैं?

अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम की तैयारियों के बीच निर्मोही अखाड़े ने एक बात पर अपनी नाखुशी जाहिर की है. क्या इससे कोई नई कंट्रोवर्सी होगी?

Advertisement
ram lala consecration ceremony in ayodhya
इस 22 जनवरी को होना है राम मंदिर का उद्घाटन (फोटो: @ShriRamTeerth)
pic
संजय शर्मा
font-size
Small
Medium
Large
12 जनवरी 2024 (Updated: 15 जनवरी 2024, 13:22 IST)
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर (Ram Mandir) में उनके बाल रूप ‘राम लला’ की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. भव्य कार्यक्रम की तैयारियां चल रही हैं. इस बीच निर्मोही अखाड़े ने एक बात पर अपनी असंतुष्टि जाहिर की है. निर्मोही अखाड़े की तरफ से कहा गया है कि उसे राम मंदिर के उद्घाटन या प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा से तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वो इसके लिए अपनाई जा रही पूजा पद्धति से खुश नहीं है.

ये भी पढ़ें- क्या है अयोध्या का सुरक्षा प्लान, आम लोगों को भी बड़ा काम सौंपा गया है

रामानंदीय पद्धति से पूजा कराना चाहता है निर्मोही अखाड़ा

'आज तक' के संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक निर्मोही अखाड़े ने 'रामलला' की पूजा-अर्चना की पद्धति को लेकर अपनी नाखुशी जाहिर की है. निर्मोही अखाड़े का कहना है कि पूजा-अर्चना की जो पद्धति अपनाई गई है, वह विशुद्ध रामानंदीय परंपरा न होकर मिली-जुली पद्धति है. अखाड़े का मानना है कि ये विधि उचित नहीं है. उनके अनुसार पिछले 500 साल से अधिक समय से रामानंदीय परंपरा से 'रामलला' की पूजा होती आई है, लेकिन अब उसमें बदलाव किया गया है.

निर्मोही अखाड़े के महंत और राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य महंत देवेंद्र दास का कहना है कि रामानंदीय परंपरा में भगवान की सेवा और पूजा की विधि अलग तरह की होती है. इस परंपरा में तिलक और मंदिर में बनाए जाने वाले चिन्ह बिल्कुल अलग तरह के होते हैं.  

राम मंदिर ट्रस्ट हमारी बात नहीं मान रहा: निर्मोही अखाड़ा

निर्मोही अखाड़े के मुताबिक जिस समय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, अखाड़े की ओर से अपील की गई थी कि उसे भी पूजा का अधिकार मिलना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मंदिर के प्रबंधन के लिए जो ट्रस्ट जिम्मेदार होगा, वह चाहे तो निर्मोही अखाड़े को पूजा का अधिकार दे सकता है. 

महंत देवेंद्र दास का कहना है कि निर्मोही अखाड़ा चाहता है सदियों से पूजा की जो परंपरा चलती आ रही है, वही आगे भी जारी रहे. लेकिन ट्रस्ट हमारी बात नहीं मान रहा है. उन्होंने कहा कि निर्मोही अखाड़े के लोग 22 जनवरी के समारोह में शामिल जरूर होंगे, लेकिन उनके मन में पूजा पद्धति को लेकर एक कसक जरूर है.

बता दें कि निर्मोही अखाड़ा एक हिंदू धार्मिक संप्रदाय है. इसकी स्थापना रामानंदाचार्य ने की थी. रामानंदा ने राम से जुड़ी शिक्षा-दीक्षा का प्रचार-प्रसार किया. रामानंदा के बताए तरीकों से राम की सेवा, पूजा और अनुष्ठान की दीक्षा लेने वालों को रामानंदीय वैष्णव कहा जाता है. रामानंदीय वैष्णव राम के अनुयायी होते हैं.

ये भी पढ़ें- अयोध्या में 'बाबरी विध्वंस' से पहले ही शुरू हो गया था 'मंदिर निर्माण', जब संतों और HC के बीच टकराव हो गया

वीडियो: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिनों तक पीएम मोदी क्या करने वाले हैं?

Comments
thumbnail

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Advertisement

Advertisement