The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Why did PM Narendra Modi not r...

क्या चीन के डर में PM मोदी ने दलाई लामा और ताइवान प्रेसिडेंट के बड्डे विश पर जवाब नहीं दिया?

सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि क्या मोदी चीन की वन चाइना पॉलिसी को मान चुके हैं?

Advertisement
Img The Lallantop
दलाई लामा के साथ पीएम मोदी. (एएफपी)
pic
आदित्य
21 सितंबर 2020 (Updated: 21 सितंबर 2020, 09:15 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
17 सितंबर को पीएम मोदी का बड्डे होता है. अबकी वह 70 बरस के हो गए. इस मौके पर दुनियाभर से लोगों ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. बधाई देने वाले बहुत से लोगों को पीएम ने शुक्रिया भी कहा. इसी कड़ी में तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा और ताइवान की प्रेसिडेंट त्साई इंग-वेन ने भी पीएम को बधाइयां दीं, लेकिन पीएम ने इनके बधाई संदेश पर कुछ नहीं कहा. सोशल मीडिया पर लोग इसके मायने ढूंढने लग गए. दलाई लामा ने क्या कहा? दलाई लामा ने पीएम मोदी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि कोरोना वायरस के कारण यह साल बहुत कठिन रहा है. यह भी लिखा कि पिछले 61 बरसों से निर्वासन में रहे तिब्बतियों के लिए भारत घर जैसा है. हम भारत के लोगों और भारत सरकार के प्रति कृतज्ञ हैं, जिन्होंने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया. इससे पहले, 6 जुलाई को दलाई लामा के जन्मदिन पर भी पीएम मोदी ने बधाई नहीं दी थी. इसे लेकर लोगों ने सवाल उठाए थे. विपक्षी दलों ने घेरने की कोशिश की थी. कई लोग तो मोदी का 2014 वाला ट्वीट खोजकर ले आए, जिसमें उन्होंने पीएम बनने के बाद दलाई लामा के शुभकामना संदेश का जवाब दिया था. कुछ लोगों ने और भी पुराने ट्वीट खोज लिए, जब नरेंद्र मोदी पीएम नहीं, गुजरात के सीएम थे. 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी थी. त्साई इंग-वेन ने बधाई देते हुए क्या कहा? ताइवान की प्रेसिडेंट त्साई इंग-वेन ने भी पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई दी. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा-
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की बधाई. आपके अच्छे स्वास्थ्य, ख़ुशी की कामना है. उम्मीद है कि आपके नेतृत्व में महान देश भारत लगातार सफ़लता की ओर बढ़े.
पीएम मोदी ने त्साई के ट्वीट का भी कोई जवाब नहीं दिया. सोशल मीडिया पर लोग क्या कह रहे? कई लोगों ने पीएम से पूछा है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्होंने दलाई लामा और ताइवान की प्रेसिडेंट की बधाई का जवाब देना उचित नहीं समझा. कई लोगों ने आरोप लगाया कि मोदी के तिब्बत और ताइवान के प्रति ऐसे रवैये की वजह शायद ये है कि वह इनसे चीन के खिलाफ़ खड़े होने की उम्मीद करते हैं. कई लोगों ने यहां तक आरोप लगाया कि पीएम को बॉलीवुड और क्रिकेट से जुड़े लोगों को रिप्लाई करने का वक्त है लेकिन दलाई लामा और ताइवान की प्रेसिडेंट को शुक्रिया कहने का नहीं. रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने भी सवालिया अंदाज में ट्वीट करते हुए कहा-
मोदी सरकार के आने से भारत की वन-चाइना पॉलिसी कमज़ोर होने के बजाय और ज्यादा सख्त हो गई है. 2015 तक पीएम मोदी दलाई लामा को ट्विटर पर जन्मदिन की बधाई देने पर शुक्रिया कहते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. क्या पीएम मोदी प्रेसिडेंट त्साई इंग-वेन को जन्मदिन की बधाई देने पर शुक्रिया कहेंगे?
वन चाइना पॉलिसी और भारत का रुख चीन कहता रहा है कि उसके देश की केवल एक ही सरकार है. वो है, पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना. चीन कहता है कि अगर आपको उससे रिश्ता रखना है तो ताइवान से आधिकारिक रिश्ते तोड़ने होंगे. तिब्बत की बात करें तो भारत का स्टैंड बहुत साफ़ नहीं रहा है. रहा भी है तो कम से कम ऐसा दिखा नहीं है. साल 2003 में भारत ने आधिकारिक तौर पर तिब्बत को चीन का हिस्सा माना था. फिर बाद में कहा गया कि भारत ने पूरे तिब्बत को मान्यता नहीं दी है लेकिन एक सच ये भी है कि दलाई लामा के भारत आने के बाद से तिब्बत की निर्वासित सरकार भारत से ही चल रही है. दलाई लामा और तिब्बती लोग चीन से आज़ादी चाहते हैं. उनका तर्क है कि चीन ने तिब्बत पर ज़बरन कब्ज़ा किया था. वहीं चीन का कहना है कि तिब्बत तो चीन का है ही. वह अरुणाचल प्रदेश को भी दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताते हुए दावा करता है.
विडियो- नरेंद्र मोदी के सरकारी बंगले की सुरंग कहां जाती है?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement