महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार के शामिल होने से सीएम शिंदे की टेंशन क्यों बढ़ गई?
इनकी टेंशन बढ़ गई और बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू!
महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आया हुआ है. भतीजे ने चाचा की पार्टी में सेंध लगाकर विधायक तोड़ लिए और बीजेपी-एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए. चाचा हैं शरद पवार और भतीजे हैं अजित पवार. अजित ने एनसीपी के आठ नेताओं को मंत्री बनवा दिया और खुद डिप्टी सीएम बन गए. शरद पवार और अजित पवार के बीच तो सियासी उठापटक चल ही रही है. लेकिन, रविवार, 3 जुलाई को महाराष्ट्र में हुए इस सियासी घटनाक्रम ने सरकार के भी एक धड़े की चिंता बढ़ा दी है.
ये धड़ा है मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का. अब कैसे शिंदे गुट की चिंता बढ़ी है ये भी बताते हैं. दरअसल, अभी तक महाराष्ट्र की सरकार में बीजेपी के साथ अकेले साथी एकनाथ शिंदे थे. ऐसे में बीजेपी को सरकार चलाने के लिए उनकी बहुत ज्यादा जरूरत थी. या कहें तो शिंदे और उनके साथी विधायकों के बिना सरकार का चलना मुश्किल था. यानी कुछ भी हो बीजेपी को शिंदे गुट की बात माननी ही थी.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अब शायद ऐसा नहीं होगा, क्योंकि महाराष्ट्र की सरकार में अब अजित पवार का गुट भी शामिल हो गया है. अजित ने अपने साथ एनसीपी के 42 से 43 विधायक होने का दावा किया है. वहीं वर्तमान सरकार में एकनाथ शिंदे वाले धड़े के पास 40 विधायक ही हैं. यानी सरकार में एनसीपी के विधायकों की संख्या शिंदे के विधायकों से ज्यादा है. मतलब साफ़ है कि बीजेपी अब केवल एकनाथ शिंदे पर निर्भर नहीं है. अब शिंदे गुट के बिना भी बीजेपी सरकार चला सकती है.
बीजेपी ने लगाए एक तीर से दो निशानेबीजेपी ने अजित पवार के जरिए एक तीर से दो निशाने साध लिए हैं. पहले तो महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे पर नकेल कस दी है. इसका सीधा मतलब है कि बीजेपी के सामने एकनाथ शिंदे की तोल-मोल करने की क्षमता कम हो गई है. क्योंकि अब बीजेपी के पास विकल्प के रूप में अजित पवार आ गए हैं. बीजेपी अपनी जरूरत और हालात के अनुसार एकनाथ शिंदे या फिर अजित पवार के साथ आगे बढ़ सकती है या फिर दोनों को लेकर साथ चल सकती है, लेकिन ये सियासी हालात पर निर्भर करेगा. अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ये चीज बिलकुल साफ़ हो जाएगी.
दूसरा निशानाBJP ने अजित पवार के जरिए दूसरा निशाना ये लगाया है कि उसने अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपना नया गठबंधन पार्टनर तलाश लिया है. साथ ही बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश में लगे विपक्षी नेताओं की एकता में सेंधमारी कर दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि शरद पवार विपक्षी महाजुटान का प्रमुख चेहरा हैं और अब उनकी ही पार्टी में दो फाड़ हो चुकी है.
लेकिन, महाराष्ट्र के सियासी खेल की कहानी इतनी आगे पहुंचने से पहले अजित पवार को जल्द ही एक बड़ी परीक्षा से गुजरना होगा. उन्हें ये साबित करना होगा कि उनके पास एनसीपी के दो-तिहाई से ज्यादा विधायक हैं. वरना खेल कुछ और होगा.
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