अंबानी और अडानी का बायकॉट क्यों कर रहे हैं किसान?
जियो के सिम जला रहे हैं, पेट्रोल पंपों के बहिष्कार की मांग हो रही है.
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कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है. गृह मंत्री अमित शाह की एंट्री के बाद सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार हो गई. प्रस्ताव प्रदर्शन स्थल पर भेजा गया. लेकिन किसान संगठनों ने कह दिया कि कानून वापस होने तक कोई समझौता नहीं. किसानों ने आंदोलन और तेज़ करने का भी ऐलान कर दिया है. 14 दिसंबर को 'दिल्ली चलो' और देशभर में प्रदर्शन का ऐलान किया गया है. किसानों ने 12 दिसंबर को टोल प्लाजा बंद करने की बात कही है. लेकिन किसानों की मांगों में एक बात गौर करने वाली है, वो है रिलायंस और अडानी जैसे कॉरपोरेट्स का बहिष्कार. इसके पीछे क्या वजह है, आइए जानते हैं-
भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने 'द लल्लनटॉप' से बातचीत में कहा,
''अंबानी-अडानी के जितने भी प्रोडक्ट्स हैं, उनका हम बहिष्कार करेंगे. हम किसानों और देशवासियों को प्रेरित करेंगे. ये लोग देश को लूटना चाहते हैं.''किसान नेताओं का कहना है कि किसान रिलायंस जियो के सिम इस्तेमाल नहीं करेंगे. ऐसी तस्वीरें भी आईं, जिसमें किसान जियो के सिम जला रहे हैं. जिनके पास पहले से जियो के सिम हैं, उन्हें दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में पोर्ट कराने की अपील की गई है. इसके अलावा रिलायंस के पेट्रोल पंप का बायकॉट करने की बात भी कही गई है.
भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह दल्लेवाल. फोटो: The Lallantop
लेकिन अडानी-अंबानी निशाने पर क्यों?
किसानों का शुरू से ही आरोप है कि नए कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नियम से उनकी ज़मीन खतरे में है. ऐसा करके सरकार कॉरपोरेट्स की मदद करना चाहती है. अडानी ग्रुप को लेकर विवाद तब हुआ, जब किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि वह अनाज भंडारण के लिए स्टोरेज फैसिलिटी तैयार कर रहा है ताकि अनाज इकट्ठा करके उन्हें ऊंचे दाम पर ओपन मार्केट में बेचा जा सके. सार्वजनिक वितरण (PDS) यानी राशन में बांटने के लिए किसानों से फसलों की खरीद फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) करता है. किसान संगठनों का ये भी आरोप है कि अनाज की आवाजाही में अडानी ग्रुप की सहायता के लिए एक प्राइवेट रेलवे लाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अडानी ग्रुप की तरफ से इन आरोपों का खंडन किया गया है. ट्विटर हैंडल पर जारी बयान में कंपनी ने कहा,
अडानी ग्रुप साल 2005 से FCI के लिए अनाज भंडारणगृह बना रहा है और इन्हें ऑपरेट कर रहा है. ये भंडारणगृह भारत सरकार की तरफ से तय मापदंडों पर बोली के जरिए बनाए जाते हैं. भंडारण की मात्रा और अनाज के दाम तय करने में कंपनी का कोई रोल नहीं है. हम FCI के लिए सिर्फ सर्विस/इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर हैं. FCI सार्वजनिक वितरण के लिए अनाज की खरीद और मूवमेंट करता है. किसानों से खरीदा गया अनाज हमारा नहीं होता, इसलिए अनाज के दाम से भी हमारा संबंध नहीं है. इस तरह का भंडारण किसानों के हित में है और वही इसके प्राथमिक लाभार्थी हैं.
Our statement in response to the misleading video posted by the Loktantra TV YouTube channel that is leveraging the ongoing farmer crisis in order to malign our reputation and misguide public opinion. #FakeNewsरेलवे लाइन वाले आरोप पर कंपनी ने कहा कि ये प्रोजेक्ट FCI की तरफ से फसल संबंधी प्रोजेक्टों का हिस्सा है, जो कई कंपनियों को दिया गया है. अडानी ग्रुप ने कहा है कि भ्रामक जानकारी फैलाकर एक ज़िम्मेदार कॉर्पोरेट ग्रुप की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.
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— Adani Group (@AdaniOnline) December 8, 2020
जियो कृषि ऐप
रिलायंस के विरोध की बात करें तो साल 2017 में मुकेश अंबानी ने कृषि क्षेत्र में निवेश की इच्छा जताई थी. जियो प्लेटफॉर्म की फेसबुक के साथ बड़ी पार्टनरशिप हुई है. दोनों की नज़र देश के छोटे बिजनेस वर्ग पर बताई जाती है. जियोकृषि नाम का एक ऐप है. रिलायंस का कहना है कि ऐप का उद्देश्य खेत से लेकर आपके खाने की प्लेट तक सप्लाई चेन बनाना है. लेकिन किसान संगठन कह रहे हैं कि अंबानी जैसे कारोबारियों को कृषि क्षेत्र में बड़ा मुनाफा दिख रहा है और इन कानूनों से उनको ही फायदा होगा.