जीते तो डॉनल्ड ट्रंप, लेकिन इन भारतीयों की चर्चा हर जगह क्यों हो रही है?
Kashyap Patel को Donald Trump के वफादार लोगों में गिना जाता है. और मौजूदा स्थिति में वो अमेरिका के केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) के डायरेक्टर पद के लिए रेस में हैं.
डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले हैं. चुनावी मुकाबले में उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को हरा दिया है. कुछ वक्त के बाद वो आधिकारिक तौर पर वॉइट हाउस में दाखिल होंगे. इसके बाद ट्रंप अपनी कैबिनेट के लिए वफादार अधिकारियों का चयन करेंगे. इस फेहरिस्त में कई नामों की संभावनाओं पर चर्चा होने लगी है. इन्हीं में एक नाम है, भारतीय मूल के कश्यप 'काश' पटेल का. इसके अलावा ट्रंप के रनिंग मेट जेडी वांस की पत्नी उषा वांस और भारतीय मूल के अमेरिकी बिजनेसमैन विवेक रामास्वामी की भी चर्चा है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, कश्यप पटेल को डॉनल्ड ट्रंप के वफादार लोगों में गिना जाता है. और मौजूदा स्थिति में वो अमेरिका के केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) के डायरेक्टर पद के लिए रेस में हैं.
Kash Patel कौन हैं?काश पटेल रिपब्लिकन हाउस के पूर्व कर्मचारी हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने रक्षा और खुफिया विभागों में हाई रैंक के स्टाफ की भूमिकाएं निभाई थीं. पटेल को रिपब्लिकन उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने वाले कैंपेन में देखा गया है. उन्होंने कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के पूर्व ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में भी काम किया है.
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गुजरात से जुड़ी हैं जड़ेंपटेल का जन्म न्यूयॉर्क में 25 फरवरी, 1980 को हुआ था. उनका जन्म पूर्वी अफ्रीका से आए एक भारतीय अप्रवासी परिवार में हुआ. उनके माता-पिता की जड़ें गुजरात के वडोदरा से जुड़ी हैं. पटेल ने रिचमंड यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की. और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से अंतरराष्ट्रीय कानून में सर्टिफिकेट के साथ कानून की डिग्री हासिल की.
शुरुआत में पटेल को टॉप लॉ फर्म्स में भूमिका पाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने सरकारी वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया. उन्होंने मायामी की अदालतों में लगभग नौ साल बिताए. यहां उन्होंने हत्या, ड्रग्स-तस्करी और वित्तीय अपराधों सहित जटिल मामलों को संभाला.
बाद में पटेल जस्टिस डिमार्टमेंट में शामिल हुए. वहां उन्होंने आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच की और ऐसे मामलों को संभाला. इसमें अल-कायदा और ISIS जैसे आतंकवादी समूहों से जुड़े लोगों की जांच भी शामिल है. जस्टिस डिपार्टमेंट में उन्होंने ‘ज्वॉइंट स्पेशल ऑपरेशन्स कमांड’ (JSOC) के ‘संपर्क अधिकारी’ के रूप में भी काम किया.
बाद में उन्हें राष्ट्रीय खुफिया विभाग के ‘कार्यवाहक निदेशक’ का ‘प्रधान उप-निदेशक’ बनाया गया. वहां उन्होंने 17 खुफिया सामुदायिक एजेंसियों की देखरेख की और राष्ट्रपति को प्रतिदिन इन मामलों की जानकारी (डेली ब्रीफ) पहुंचाई.
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फरवरी 2020 में, पटेल कार्यवाहक निदेशक रिचर्ड ग्रेनेल के प्रमुख डिप्टी के रूप में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (ODNI) के कार्यालय में चले गए. बाद में वो कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ बन गए. ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में, पटेल को CIA या FBI के उप निदेशक की भूमिका के लिए विचार किया गया था. लेकिन CIA निदेशक जीना हास्पेल और अटॉर्नी जनरल बिल बार ने इसका विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि पटेल के पास आवश्यक अनुभव की कमी है.
सरकार छोड़ने के बाद से ही पटेल ट्रंप के एजेंडे को बढ़ावा देने में सक्रिय रहे हैं. और उन्होंने व्यापार और मीडिया के प्रयासों को आगे बढ़ाया है.
इस चुनाव के दौरान कश्यप पटेल के अलावा उषा चिलुकुरी वांस और विवेक रामास्वामी की भी चर्चा रही. ये दोनों भी भारतीय मूल के हैं. उषा वांस, अमेरिका के उप राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार जेडी वांस की पत्नी हैं. पार्टी की इस जीत के बाद जेडी वांस अमेरिका के अगले उप-राष्ट्रपित होंगे. इस तरह उषा अमेरिका की ‘सेकेंड लेडी’ बनेंगी. उषा की जड़ें आंध्र प्रदेश से जुड़ी हैं. वर्तमान में वो अमेरिका में वकील का काम करती हैं.
केरल के पलक्कड़ से नाता रखने वाले विवेक रामास्वामी अमेरिका में एक अरबपति कारोबारी हैं. वो ट्रंप के चुनावी अभियान से जुड़े रहे हैं. रामास्वामी ने पहले रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी. लेकिन बाद में उन्होंने ट्रंप को समर्थन दिया और अपनी दावेदारी वापस ले ली. चर्चा है कि ट्रंप के कैबिनेट में उन्हें भी जगह मिल सकती है.
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