इज़रायल-हमास संघर्ष से रूस और चीन को क्या फायदा हो सकता है?
कुछ दिन पहले सऊदी अरब ने अमेरिका से एक मिलिट्री पैकेज की कीमत पर इज़रायल के साथ संबंध बहाल करने का ऐलान किया था. लेकिन, अब इज़रायल गाजा पट्टी पर कार्रवाई कर रहा है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि सऊदी अरब अब इस समझौते से पीछे हट सकता है. इसका फायदा चीन को हो सकता है.
हमास द्वारा इज़रायल पर हमले और इजरायल (Israel-Hamas conflict) की गाजा पर जवाबी कार्रवाई में अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इज़रायल गाजा पट्टी पर लगातार एयर स्ट्राइक कर रहा है. साथ ही उसने गाजा में बिजली, पानी, खाने की सप्लाई को भी रोक दिया है. इधर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने एक साझा बयान जारी कर इज़रायल को समर्थन देने की बात कही है. लेकिन दूसरी तरफ चीन और रूस जैसे ताकतवर देशों ने इस संकट पर निष्पक्ष स्टैंड लेने की कोशिश की. दोनों ने नागरिकों को होने वाले नुकसान पर चिंता जताई, लेकिन हमास के हमले की स्पष्ट निंदा नहीं की.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चीन और रूस को इज़रायल-हमास संघर्ष के कारण फायदा होगा?
रूस के लिए सरप्राइज़, पर होगा फायदा?एक्सपर्ट्स का मानना है कि इजरायल-हमास की लड़ाई से रूस को फायदा होगा. यूक्रेन से उसकी लड़ाई अमेरिका और यूरोपीय देशों के लिए बड़ा मुद्दा रही है. मौजूदा संकट के चलते अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का ध्यान इजरायल-हमास संघर्ष पर ज्यादा रहेगा. अगर संघर्ष खिंचता है तो अमेरिका के लिए इज़रायल को प्राथमिकता देते रहना जरूरी होगा. जानकारों का मानना है कि इससे यूक्रेन पर उसकी पकड़ कमजोर हो सकती है जो रूस के लिए अच्छी खबर है.
अमेरिकी अखबार पॉलिटिको में छपी रिपोर्ट के मुताबिक क्रेमलिन में मौजूद प्रोपेगैंडिस्ट अब ऐसी बातें कह रहे हैं कि मिडिल ईस्ट में छिड़ी जंग रूस के लिए एक जीत की तरह है. इससे यूक्रेन को भेजी जा रही मदद पर भी असर पड़ेगा. यूक्रेन को दी जा रही आर्थिक सहायता कम होगी. यूरोपियन यूनियन के एक राजदूत ने अखबार को बताया,
“राष्ट्रपति पुतिन के लिए ये सबसे सटीक बर्थडे गिफ्ट था. हमास के इज़रायल पर हमले के कारण अमेरिका का ध्यान बंट जाएगा. अमेरिका का स्वाभाविक फोकस इज़रायल पर होता है.”
हालांकि राजदूत ने आगे कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि यूक्रेन को दी जा रही मदद पर इसका बड़ा प्रभाव ना पड़े. लेकिन, निश्चित रूप से ये इस बात पर निर्भर करेगा मिडिल ईस्ट का मौजूदा संकट कितने वक्त तक चलेगा.
चीन के सऊदी से संबंध मजबूत हो सकते हैंहमास के हमले के बाद कई मुस्लिम देशों ने खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन किया. इनमें ईरान, कतर, तुर्किए और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं. उधर सऊदी अरब ने इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच टू-स्टेट सॉल्यूशन की बात करते हुए बयान जारी किया. कुछ दिन पहले सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका से एक मिलिट्री पैकेज की कीमत पर इज़रायल के साथ संबंध बहाल करने का ऐलान किया था. लेकिन, अब इज़रायल गाजा पट्टी पर कार्रवाई कर रहा है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि सऊदी अरब अब इस समझौते से पीछे हट सकता है. इसका फायदा चीन को हो सकता है. वो सऊदी अरब के साथ अपनी दोस्ती को नए आयाम दे सकता है.
9 अक्टूबर को इसका उदाहरण भी देखने को मिला. चीन और सऊदी अरब ने जॉइंट नेवल एक्सरसाइज़ शुरू की है. नाम ब्लू स्वर्ड-2023. चीन के आधिकारिक समाचार पत्र पीएलए डेली के अनुसार इस बात की जानकारी दी गई. एक्सरसाइज़ चीन के गुआंगडोंग प्रांत के झिंजियांग में आयोजित की जा रही है.
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