साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर. भोपाल लोकसभा सीट से दिग्विजय सिंह के खिलाफ मैदान मेंहैं. भाजपा की ओर से. इसी के साथ एजेंडा सेट हो गया. भोपाल का या यूं कहें पूरेएमपी का. ये चुनाव हिंदुत्व के इर्द-गिर्द ही रहेगा. इसी के साथ साध्वी प्रज्ञा भीसुर्खियों में आ गई हैं. इस मौके पर ये जानना बेहद जरूरी है कि साध्वी प्रज्ञा हैंकौन? 2008 के मालेगांव बम धमाके में उन पर इल्जाम क्या हैं.मालेगांव ब्लास्ट केस के विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसाल के मुताबिक साध्वी प्रज्ञाअब भी आरोपी हैं. उन पर मुकदमा चल रहा है. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में बम धमाकाहुआ था. शुरुआती जांच के बाद साध्वी प्रज्ञा को 24 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार करलिया गया. वह 9 सालों तक जेल में रहीं. 25 अप्रैल, 2017 को बॉम्बे हाई कोर्ट नेसाध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को सशर्त जमानत दी थी.इल्जाम-1- महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए एक विस्फोट में 6 लोग मारे गए थे. येब्लास्ट मोटरसाइकिल के जरिए किया गया. जो मोटरसाइकिल इस विस्फोट के लिए इस्तेमाल कीगई, वो साध्वी प्रज्ञा ने अपने एक करीबी रामचंद्र उर्फ रामजी कालसांगरा को मुहैयाकराई थी. कालसांगरा अब तक फरार है.इल्जाम-2- बम धमाके के आरोपियों के साथ साध्वी प्रज्ञा की फोन पर बातचीत रिकॉर्ड कीगई है.इल्जाम-3- धमाके से पहले सभी आरोपियों की भोपाल में एक बैठक हुई थी, इसमें साध्वीप्रज्ञा मौजूद थीं.ये कुछ आरोप हैं, जो साध्वी प्रज्ञा पर लगे थे. महाराष्ट्र एंटी टेररिस्ट स्क्वॉडयानी ATS उन्हें मालेगांव बम धमाके की 'मुख्य साजिशकर्ता' मानता है.साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जिस दिन बीजेपी में शामिल हुईं, उसी दिन टिकट मिल गया.प्रज्ञा सिंह पर कौन-कौन सी धाराएं लगी हैं?अक्टूबर, 2008 में इस केस में पहली गिरफ्तारी हुई. प्रज्ञा सिंह भी जेल गईं. तभीसे, प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर गैरकानूनी गतिविधियां, हत्या, हत्या का प्रयास, आपराधिकसाजिश, दो समुदायों के बीच दुश्मनी बढ़ाने के आरोप हैं. अदालत ये भी देख रही है किक्या आतंक फैलाने के लिए प्रज्ञा ने कोई साजिश रची. और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़नेकी कोशिश की?विस्फोट में गोल्ड कलर की एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी. मोटरसाइकिलसाध्वी प्रज्ञा सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड थी. महाराष्ट्र एटीएस ने कहा कि साध्वीप्रज्ञा सिंह ने मोटरसाइकिल अपनी करीबी रामजी कालसांगरा को उपलब्ध कराई थी.केस NIA को ट्रांसफर क्यों किया गया? महाराष्ट्र एटीएस की जांच चल ही रही थी. मगर,जांच में देरी की वजह से साल 2011 में इस केस की जांच नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसीयानी NIA को सौंप दी गई. फिर NIA ने साल 2016 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की.नई चार्जशीट में प्रज्ञा सिंह को इस केस में क्लीनचिट दे दी गई.NIA ने अपनी जांच में क्या पाया? इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक NIA ने कहा कि उसनेसबूतों का फिर से परीक्षण किया है. और ये पता चला कि विस्फोट में जो मोटरसाइकिलइस्तेमाल की गई वो है तो प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी, लेकिन बीते दो साल से उसकाइस्तेमाल रामजी कालसांगरा कर रहा था. ऐसे में प्रज्ञा सिंह का इस घटना से कोई संबंधनहीं है. यही नहीं दूसरे बयान और गवाह भी अपनी बात से मुकर रहे हैं. ऐसे मेंप्रज्ञा सिंह के खिलाफ कोई केस नहीं बनता.अभी भी अदालत में पेशी के लिए जाना पड़ता है प्रज्ञा सिंह को. फाइल फोटो.NIA की क्लीनचिट के बाद भी साध्वी को जमानत क्यों नहीं मिली थी?प्रज्ञा सिंह को एनआईए से क्लीन चिट मिल गई. बदले हुए हालात में जेल में बंद साध्वीप्रज्ञा ने अपनी जमानत के लिए एनआईए की स्पेशल कोर्ट में एक नई अर्जी लगाई. मगर 28जून, 2016 को अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिकअदालत ने कहा कि- पहली नजर में प्रज्ञा सिंह ठाकुर इससे इनकार नहीं कर सकती हैं,क्योंकि मोटरसाइकिल उनके नाम पर रजिस्टर्ड है. एनआईए ने गवाहों के बयान दोबारारिकॉर्ड करने के अलावा कोई और जांच नहीं की. बाद में, बांम्बे हाईकोर्ट ने एनआईए केउन्हीं गवाहों के बयान के आधार पर 25 अप्रैल, 2017 को प्रज्ञा सिंह को जमानत दे दी.साथ ही ये भी कहा कि गवाहों के बयानों को सिर्फ जमानत अर्जी की सुनवाई भर के लिएआधार बनाया गया है. इसके कुछ दिन बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ने NIA की स्पेशल कोर्टमें एक अर्जी लगाई कि उनको इस केस बरी कर दिया जाए. मगर 27 दिसंबर, 2017 को अदालतने उनकी याचिका को खारिज कर दिया. उस वक्त अदालत ने कहा कि- ब्लास्ट के दौरान जोवाहन इस्तेमाल किया गया, वो आरटीओ रिकॉर्ड के हिसाब से प्रज्ञा सिंह के नाम पर है.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अदालत ने कहा कि 'आरोपी नंबर 1 (प्रज्ञा ठाकुर) आज दिनतक मोटरसाइकिल की मालिक हैं. अब ये आरोपी पर है कि वो दिखाए कि मोटरसाइकिल कोई औरइस्तेमाल कर रहा था.' अदालत ने एक बात और कही कि 'कालसांगरा के चचेरे भाई और सरकारीगवाह-23 ने अपने बयान में कहा है कि उसने प्रज्ञा ठाकुर और रामजी कालसांगरा के बीचबातचीत सुनी थी. इसमें वे विस्फोट के बारे में बात कर रहे थे. और ठाकुर से इस बारेमें पूछताछ की गई है.' अदालत ने आगे कहा कि- 'NIA ने कहा था कि वो इस बयान पर भरोसानहीं कर रही थी. क्योंकि गवाह ने एटीएस के हाथों गलत व्यवहार का आरोप लगाया था. 'इनहालात में' सच्चाई का पता साक्षी बॉक्स में इस गवाह के परीक्षण के बाद ही लगाया जासकता है.'अदालत में व्हील चेयर पर गई थीं साध्वी प्रज्ञा. फाइल फोटो.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक प्रज्ञा ठाकुर को केस में बरी न करने की एक वजहब्लास्ट के दूसरे आरोपियों के साथ भोपाल में हुई एक बैठक भी थी. इस बैठक मेंप्रज्ञा सिंह भी मौजूद थीं, ऐसा दूसरे गवाहों ने बताया था. एक गवाह ने एटीएस कोबताया था कि प्रज्ञा ठाकुर के साथ केस में सह अभियुक्त लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसादपुरोहित ने जिहादी गतिविधियों के बढ़ने पर चिंता जताई थी. साथ ही इनको रोकने के लिएअपने संगठन 'अभिनव भारत' का विस्तार करके 'कुछ करने' की जरूरत बताई थी.एक गवाह ने एटीएस को बताया था कि- पुरोहित ने इसका बदला लेने के लिए किसी मुस्लिमबहुल इलाके में बम धमाका करने की सलाह दी थी. पुरोहित की इस बात पर प्रज्ञा ठाकुरने सहमति जताई और इसके लिए 'एक आदमी' भी उपलब्ध कराने की वादा किया. NIA ने इस गवाहसे फिर से पूछताछ का दावा किया था. एनआईए के मुताबिक वो अपने बयान से मुकर गया था.इस पर विशेष एनआईए कोर्ट ने कहा था कि ये ट्रायल के दौरान देखा जाएगा कि आखिर गवाहअपने किस बयान के साथ खड़ा होता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अदालत के सामने एकऔर सबूत रखा गया. इसमें कहा गया कि- कर्नल पुरोहित और एक अन्य आरोपी रमेश उपाध्यायप्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी पर बातचीत कर रहे थे. अभियोजन पक्ष के मुताबिक उन्होंनेकथित तौर पर मोटरसाइकिल और संभावित बचाव पर चर्चा की थी. आरोप है कि पुरोहित नेउपाध्याय से कहा कि ' सिंह ने एक ही गाना बार-बार गाया है.' पुरोहित ने ये बात कथिततौर पर प्रज्ञा ठाकुर से की गई पूछताछ को लेकर कही थी, क्योंकि प्रज्ञा ठाकुर नेपुरोहित का नाम लिया था. अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर और सुधाकर चतुर्वेदी समेत दूसरेसह-अभियुक्तों और दो फरार अभियुक्तों के बीच फोन पर बातचीत पर भी भरोसा जताया. येबातचीत विस्फोट से कुछ महीने पहले हुई थी. इसके अलावा प्रज्ञा ठाकुर ने विस्फोटवाले दिन उसके तीन दिन पहले और ब्लास्ट के अगले दिन धमाके के आरोपी संदीप डांगे सेभी कथित तौर पर बातचीत की थी. अदालत ने कहा कि- इन 'विकट हालात' ने विस्फोट मेंउनकी (प्रज्ञा ठाकुर की) भागीदारी का 'मजबूत संदेह' है. यहां ये भी जेहन में रखनाहोगा कि एटीएस के सामने एक गवाह ने कहा है कि आरोपी नंबर 1 (प्रज्ञा ठाकुर) नेधमाके के लिए 'आदमी' मुहैया कराने पर सहमति जताई थी. ये बात एनआईए और एटीएस दोनोंजांच एजेंसियां मान रही हैं कि बम रखने के आरोपी रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगेहैं. अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इन सब सबूतों कीफिलहाल अनदेखी नहीं की जा सकती है.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस केस में अब तक 106 गवाहों के बयान हो चुके हैं.बयान दर्ज कराने वाले ज्यादातर विस्फोट के घायल हैं. प्रज्ञा ठाकुर पिछली बार 30अक्टूबर, 2018 को अदालत में पेश हुई थीं. उस वक्त उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे. तबउन्होंने अदालत से गुजारिश की थी कि वे दोषी नहीं हैं. अदालत में सुनवाई के दौरानप्रज्ञा ठाकुर व्हील चेयर के जरिए पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उन परकांग्रेस ने साजिश के तहत आरोप लगाए थे. अपनी हाल की जमानत अर्जी में प्रज्ञा ठाकुरने अदालत को बताया था कि वे ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. मेडिकल रिपोर्ट में कहागया कि वे बेहद कमजोर हो गई हैं. और बिना सहारे के चल फिर नहीं सकती हैं.--------------------------------------------------------------------------------वी़डियोः मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी साध्वी प्रज्ञा को भाजपा ने दिग्विजय केखिलाफ भोपाल से टिकट दिया