क्या रेबीज़ होने पर इंसान कुत्ते की तरह बर्ताव करने लगते हैं?
कुत्ते के अलावा और किन जानवरों के काटने से रेबीज़ होता है?
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो भी सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें. लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
दीपक शुक्ला. दरभंगा के रहने वाले हैं. अब उनके पड़ोस में एक सात साल का बच्चा था. एक महीने पहले खेलते-खेलते उसकी गेंद एक कुत्ते को लगी और कुत्ते ने बच्चे को काट लिया. कुत्ते को था रेबीज़. घरवाले घर में ही बच्चे की मरहमपट्टी करने लगे. कुछ ही समय में बच्चे ही हालत बिगड़ने लगी. वो पानी से डरने लगा. बुखार. कमज़ोरी. बहुत तकलीफ़ में था. एक महीने के अंदर उसकी मौत हो गई. भारत के नेशनल हेल्थ पोर्टल के मुताबिक, रेबीज़ से हर साल 20,000 लोग मरते हैं. तो चलिए आज रेबीज़ पर ही बात करते हैं. रेबीज़ क्या है? ये हमें बताया डॉक्टर आभा ने.
डॉक्टर आभा मंगल, स्पेशलिस्ट एंड हेल्थ कम्युनिटी हेल्थ डिपॉर्टमेंट, सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल
रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर करती है. यह बीमार जानवर से इंसान में हो जाती है. यह एक वायरस की वजह से होती है जिसका नाम है रैपटो वायरस. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और यह 100% फेटल है. मगर अच्छी बात यह है कि इससे बचाव बहुत ही आसान है. रेबीज क्यों होता है? ज्यादातर रेबीज के केसेस बीमार कुत्ते के काटने से होते हैं. मगर किसी भी बीमार जानवर के काटने, खरोंचने, सहलाने या उनके मल-मूत्र के संपर्क में आने से भी रेबीज हो सकती है. भारत में बंदर, घोड़े, जंगली चूहे, चमगादड़, गधे, लोमड़ी, नेवला आदि से भी रेबीज़ होने के मामले देखे गए हैं.
गाय और भैंस को भी बीमार जानवर के काटने से यह बीमारी हो सकती है. ऐसी स्थिति में उनके मुंह के आसपास झाग जैसा दिखाई देने लगता है. ऐसी गाय- भैंस के दूध इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. जानवरों में लक्षण -जानवर एकदम से अगर जंगली जानवर है या पालतू जानवर नहीं है तो भी बहुत ज्यादा फ्रेंडली हो सकता है. पालतू की तरह बिहेव कर सकता है
ज्यादातर रेबीज के केसेस बीमार कुत्ते के काटने की वजह से सामने आए हैं
-कुछ जानवरों में ही देखा जाता है कि वह पागल हो जाते हैं. और जिसको देखते हैं उसको काटने को दौड़ते हैं
-ज्यादातर जानवर चुप हो जाएंगे, छुप जाएंगे, आपको अपने बहुत नजदीक आने देंगे लेकिन ऐसे जानवरों के पास नहीं जाना चाहिए इंसानों में लक्षण -घाव में खुजली हो सकती है या दर्द दोबारा से हो सकता है. बुखार या हरारत जैसा महसूस हो सकता है.
-पानी से डर लगने लगता है, इंसान को रोशनी अच्छी नहीं लगती, तेज हवा, आवाज इन सब चीजों से इंसान को डर पैदा होने लगता है. इसे एयरो फोबिया या हाइड्रोफोबिया भी कहते हैं
- गुस्सा आ जाता है चिड़चिड़ा होती है डिप्रेशन में आ जाता है
-कई लोगों में हाइपरएक्टिविटी हो जाती है तो 3 दिन में हाइड्रोफोबिया दिखने लगता है. वो पानी से डरने लगते हैं. पानी की आवाज़ से ही उनमें घबराहट होने लगती है. ऐसी स्थिति में 5 से 6 दिन में ही इंसान की मृत्यु हो जाती है इलाज या बचाव -अगर आप किसी भी संक्रमित जानवर के संपर्क में आए हैं तो तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल में जाकर एंटी रेबीज वैक्सीन या ARV का पांच डोज का इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन लगवाएं
-ये टीका जीरो दिन मतलब जिस दिन जानवर ने काटा है, इसके बाद तीसरे दिन, फिर सातवें दिन, 14वें दिन और 28वें दिन लगता है
घाव में खुजली हो सकती है या दर्द दोबारा से हो सकता है बुखार या हरारत जैसा महसूस हो सकता है
-इसको बिना भूले लगाना चाहिए क्योंकि इस बीमारी से बचाव ही इसका इलाज जानवर काट ले तो क्या करना चाहिए? -इसका कोई इलाज नहीं है इसलिए इसके बचाव के ही साधन सबसे मुख्य हैं
-आपको अपना चोट साबुन से अच्छे से 15 मिनट तक धोना चाहिए
-70% एल्कोहल डिसइंफैक्टैंट से क्लीन करना चाहिए या फिर पोवीडोन आयोडीन सॉल्यूशन से उसको धोएं
-जल्दी से जल्दी नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल में जाकर टीका लगाना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए? -घाव के ऊपर लाल मिर्ची या कोई और घरेलू चीज नहीं लगाना चाहिए
-घर पर किसी भी तरह का ड्रेसिंग नहीं करना चाहिए या स्टिचेज नहीं लगवाने चाहिए
अव्वल तो अपनी ये ग़लतफ़हमी दूर कर लीजिए कि रेबीज़ सिर्फ़ कुत्ते के काटने से होता है. बहुत ज़रूरी है कि सही समय पर टीका लग जाए, नहीं तो जान जा सकती है.
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