The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • What is five eyes intelligence...

Five Eyes: ये कौन सी 'आंखें' हैं जिनका जिक्र भारत-कनाडा विवाद में बार-बार हो रहा है?

रिपोर्ट आई है कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कुछ इंटेलिजेंस "फाइव आइज़" इंटेलिजेंस अलायंस की ओर से दी गई.

Advertisement
Five eyes alliance
भारत और कनाडा के बीच विवाद जारी (फोटो- रॉयटर्स)
22 सितंबर 2023 (Updated: 22 सितंबर 2023, 20:11 IST)
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारत और कनाडा के बीच जारी विवाद थमता नहीं दिख रहा है. अब कनाडा सरकार ने कहा है कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के खिलाफ आरोपों के समर्थन उसने खुफिया सबूत इकट्ठा किया है. इसमें ह्यूमन और सिग्नल इटेंलिजेंस दोनों शामिल हैं. कनाडा सरकार के सूत्रों ने CBC न्यूज को बताया कि खुफिया जानकारी में कनाडा में मौजूद भारतीय राजनयिकों की बातचीत शामिल है. ये भी बताया गया है कि ये इंटेलिजेंस सिर्फ कनाडा की तरफ से नहीं मिला. बल्कि इसमें कुछ जानकारियां "फाइव आइज़" इंटेलिजेंस अलायंस की ओर से दी गई हैं. आपको बताते हैं कि जिस फाइव आइज़ पैक्ट की चर्चा हो रही है, वो असल में है क्या? और उसकी नींव कैसे पड़ी थी?

पहले असल सवाल का छोटा जवाब. फाइव आइज़ पैक्ट पांच देशों के बीच एक समझौता है इंटेलिजेंस शेयर करने का. कौन से पांच देश? अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया. ये पांचों देश फाइव आइज़ पैक्ट के तहत एक दूसरे से खुफिया जानकारियां शेयर करते हैं. बस ऐसे समझ लीजिए कि पांच देश हैं, और पांच देशों के जासूस और जासूसी एजेंसियां एकसाथ काम कर रहे हैं. एक दूसरे को जो भी जानकारी चाहिए, वो शेयर कर दे रहे हैं.

इसलिए अमेरिका और बाकी देश भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. अमेरिका और ब्रिटेन ने साफ कहा कि वो कनाडा की इस जांच का समर्थन करता है. वहीं ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा कि भारत के खिलाफ लगे आरोप काफी गंभीर हैं. इस विवाद पर अब तक न्यूजीलैंड की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

कैसे बना ये फाइव आइज़?

अब सवाल का बड़ा वाला जवाब कि ये फाइव आइज़ पैक्ट बना कैसे? जवाब आता है दूसरे विश्वयुद्ध से. इसमें इटली, जर्मनी और जापान एक साइड से लड़ रहे थे, जिनको एक्सिस कहा जाता था, और अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन (अब यूके), फ्रांस और सोवियत यूनियन एक साइड से लड़ रहे थे, इनको एलाई कहा जाता था. अब अमेरिका और यूके की जो खुफिया एजेंसियां थीं, उन्होंने साल 1941 में एक दूसरे के साथ मुलाकात शुरू की. इन मीटिंग में एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारी शेयर की जाती थी. ये सिलसिला युद्ध के खत्म होने तक चलता रहा.

साल 1945 में विश्व युद्ध खत्म हो गया. तो अमरीका और यूके ने तय किया कि ये खुफिया एजेंसी की मीटिंग होती रहनी चाहिए. इसलिए इन दोनों देशों ने मिलकर साल 1946 में एक UKUSA अग्रीमेंट पर साइन कर लिया. काम वही, जो विश्वयुद्ध के समय कर रहे थे. खुफिया जानकारी साझा करना.

फिर आया साल 1948. इस साल इस एग्रीमेंट में एंट्री हुई कनाडा की. और साल 1956 आते-आते इस अलायंस में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की भी एंट्री हो गई. फाइव आइज़ पूरा हो चुका था. इस अलायंस को इस दुनिया का सबसे ताकतवर इंटेलिजेंस नेटवर्क माना जाता है. इसकी ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये देश एक दूसरे के नागरिकों पर भी नजर रखते हैं. ये बात हम नहीं कह रहे हैं. ये बात कही थी एडवर्ड स्नोडेन ने.

ये भी पढ़ें- कनाडा खालिस्तानियों का गढ़ कैसे बना?

ये भी पढ़ें- Canada-India संबंधों का इतिहास, क्या 'खालिस्तान' के मुद्दे ने सब ख़राब कर दिया है?

अमरीकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए काम करने वाले एडवर्ड स्नोडेन ने साल 2013 में कई सारे खुलासे किये थे. ये खुलासे अमरीकी खुफिया सिस्टम की पोल खोलते थे. इसमें एडवर्ड स्नोडेन ने कहा था कि फाइव आइज़ के देश एक दूसरे के नागरिकों पर नजर रखते हैं, और फिर वो जानकारी आपस में शेयर कर लेते हैं. ऐसा करके वो अपने देश में कानून तोड़ने से बच जाते हैं. क्योंकि एक देश अपने ही नागरिकों को सर्विलांस पर रखने में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. उनकी गतिविधियों को वाच करना? वो क्या खा रहा है? क्या पहन रहा है? इंटरनेट पर क्या सर्च कर रहा है? चैट में किससे क्या कब बात कर रहा है? और तो और? उसके फोन में कौन सी फोटो छुपाकर रखा गया है? अब कोई देश इतना देखेगा तो बहुत सारे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नियम तोड़ेगा. तो कोई दूसरा देश ये काम करके उस देश को सारा डेटा सौंप दे तो कानूनन कोई अपराध नहीं होगा.

साल 2017 में एक 'फाइव आइज़ इंटेलिजेंस ओवरसाइट एंड रिव्यू काउंसिल' बनाया गया था. इसमें तय किया गया कि वे साझा हितों और चिंताओं पर अपनी राय शेयर करेंगे. इस काउंसिल का सचिवालय अमेरिका में है. साल 2021 में इस पैक्ट में भारत सहित दूसरे देशों को भी शामिल करने का प्रस्ताव आया था. अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में इसके लिए बिल लाया गया था, हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका.

वीडियो: G20 में आए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो बुलेट प्रूफ कमरा छोड़, साधारण कमरे में अचानक से क्यों गए थे?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement