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43 लाख के फ्रॉड की शिकायत से पकड़ा गया ऑनलाइन ठगी गिरोह, वॉट्सऐप-टेलीग्राम से लोगों को फंसाते थे

West Bengal CID के अफ़सरों का कहना है कि बीते 5 सालों में गिरोह ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा समेत कई राज्यों में ठगी की है. 43 लाख रुपये की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसने पूरा मामला खोल दिया.

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West Bengal CID
गिरोह का असल खेल सोशल मीडिया ग्रुप में जोड़ने के बाद शुरू होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर - PTI)
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हरीश
24 जुलाई 2024 (Published: 16:08 IST)
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पश्चिम बंगाल CID ​​ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए पैसों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. ये गिरोह कथित तौर पर हज़ारों करोड़ रुपये के कई घोटालों में शामिल है. इस गिरोह ने बीते 5 सालों से उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा समेत कई राज्यों में अपना साम्राज्य फैला लिया (West Bengal CID busts interstate cyber fraud gang) है. गिरोह के दो लोगों को दिल्ली और हरियाणा से पकड़ा गया है. 23 जुलाई को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद दोनों को 12 दिनों की CID ​​हिरासत में भेज दिया गया है.

CID के सुत्रों ने बताया कि जिस गिरोह पर आरोप लगे हैं, उसके कई सदस्य सोशल मीडिया मैसेंजर प्लेटफॉर्म- वॉट्सऐप, टेलीग्राम और फेसबुक पर सक्रिय थे. ये लोग सोशल मीडिया के आदी लोगों को निशाना बनाते थे और ग्रुप बनाकर उनसे पैसे ठगते थे. इंडिया टुडे से जुड़े राजेश साहा की रिपोर्ट के मुताबिक़, CID ​​के सूत्रों का कहना है,

जो सोशल मीडिया यूज़र्स ज़्यादा पैसा कमाने की इच्छा जताते थे, उन्हें ग्रुप में जोड़ा जाता था. क्रिप्टो में निवेश करके कम समय में बहुत सारा पैसा कमाने का लालच दिया जाता था. एक-एक यूज़र को ठगने के लिए बड़ा गिरोह एक साथ काम करता था.

सूत्रों का दावा है कि ठगी के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए कई फर्जी कंपनियां बनाई गई थीं. फिर फ़र्ज़ी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर खोली गई इन कंपनियों में निवेश किया गया. दरअसल, चंदन नगर साइबर थाने में 43 लाख रुपये की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसे जांच के लिए पश्चिम बंगाल CID ​​को सौंपा गया था. जांच के दौरान पश्चिम बंगाल आपराधिक जांच विभाग के साइबर थाने ने एक फ़र्ज़ी कंपनी की पहचान की, जहां ठगी के पैसे का निवेश किया गया था.

उस फ़र्ज़ी कंपनी के बैंक डिटेल की जांच करने पर पता चला कि एक दूसरी फ़र्ज़ी कंपनी के कई खातों में हजारों करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे. जांच के दौरान पश्चिम बंगाल CID ​​ने इन फ़र्ज़ी कंपनियों के दो निदेशकों की पहचान की और छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. बताया गया कि हरियाणा के मानुष कुमार और दिल्ली के सत्येंद्र महतो को बंगाल CID ​​ने उनके ठिकानों से गिरफ़्तार किया है. इन्हें ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पश्चिम बंगाल ले जाया गया है.

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एक CID अफ़सर ने इंडिया टुडे को बताया,

असल खेल सोशल मीडिया ग्रुप में जोड़ने के बाद शुरू होता है. सब कुछ स्क्रिप्ट के हिसाब होता है. सबसे पहले एडमिन ग्रुप में कई निवेश योजनाओं के बारे में बताते हैं और फिर पहले से मौजूद लोग उस निवेश के बारे में बातचीत करते हैं. कुछ लोग अपने अनुभव शेयर करते हैं और एडमिन को धन्यवाद देते हैं, जिससे नए जोड़े गए सदस्यों का ध्यान खींचा जा सके. वो खुले तौर पर लिखते हैं कि उन्हें वादा किया गया फ़ायदा, हाल ही में उन्हें मिला है. ये सभी लोग एक ही गिरोह के हैं और मिलकर काम करते हैं. और जब इच्छुक ग्रुप मेंबर एक बार क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं, तो ये पैसा विदेश चला जाता है. चूंकि क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए पैसा निवेश करना बहुत मुश्किल है, इसलिए स्कैमर्स ने ये तरीक़ा चुन रखा है.

एक सीनियर अधिकारी ने का कहना है कि इस गिरोह ने हजारों करोड़ रुपये की ठगी की है. अभी तक जो कुछ भी पता चला है, वो महज एक झलक है. आगे जांच  की जा रही है.

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