लखनऊ में विवेक तिवारी की हत्या के मामले में पुलिस ने अपने सिपाही प्रशांत चौधरीको बचाने की पूरी कोशिश की. इसके लिए एफआईआर में प्रशांत चौधरी का नाम तक नहीं लिखागया. लेकिन जब विवेक तिवारी की पत्नी का दबाव बढ़ा तो पुलिस ने दूसरी एफआईआर भीदर्ज कर ली. पहली एफआईआर और दूसरी एफआईआर में इतना अंतर है कि अगर पहली ही एफआईआरके आधार पर जांच हुई होती, तो गोली मारने वाला प्रशांत कुछ दिनों में ही बाहर आजाता और वो थाने पर ड्यूटी कर रहा होता.क्या है पहली एफआईआर में?ये विवेक तिवारी के हत्याकांड के एफआईआर की कॉपी है. इसमें लाल घेरें मेंपुलिसवालों के नाम अज्ञात हैं. वहीं घटनाक्रम में गोली मारने का जिक्र तक नहीं है.पहली एफआईआर हत्याकांड की चश्मदीद सना की ओर से दर्ज करवाई गई है. हालांकि सना नेये भी कहा है कि पुलिस ने उससे सादे कागज पर दस्तखत करवाए थे. बाद में उसी कागज परतहरीर लिख ली और उसी आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली. एफआईआर नंबर 1132 के मुताबिकएफआईआर दर्ज करने का समय 29 सितंबर 2018 की सुबह 4 बजकर 57 मिनट का है.सना केदस्तखत से दर्ज एफआईआर में लिखा है- सना अपने कलिग विवेक तिवारी के साथ घर जा रहीथी. सीएमएस गोमतीनगर विस्तार के पास उनकी गाड़ी खड़ी थी. अचानक से दो पुलिसवाले आए.विवेक और सना ने बचकर निकलने की कोशिश की वहीं पुलिसवालों ने उन्हें रोकने की कोशिशकी. सना के मुताबिक उसके बाद अचानक से ऐसा लगा कि गोली चली है, जिसके बाद विवेक नेगाड़ी आगे बढ़ा दी और वो अंडरपास दीवार से टकरा गई. विवेक के सिर से काफी खून बहनेलगा. थोड़ी देर में पुलिस आ गई, जिसने हमें अस्पताल पहुंचाया. अभी सूचना मिली है किविवेक की मौत हो गई है. इस एफआईआर में न तो गोली मारने का जिक्र है और न ही गोलीमारने वाले सिपाही प्रशांत और उसके साथी का नाम दर्ज है. लेकिन जब विवेक की पत्नीकल्पना ने विरोध दर्ज करवाया तो खुद डीएम कौशलराज शर्मा ने कहा कि अगर कल्पना तहरीरदेती हैं, तो पुलिस केस दर्ज करेगी. कल्पना ने तहरीर दी और फिर पुलिस ने दूसरीएफआईआर भी दर्ज कर ली.क्या है दूसरी एफआईआर में?विवेक हत्याकांड में दूसरी एफआईआर भी हो गई है और ये एफआईआर कल्पना ने करवाई है.दूसरी एफआईआर भी गोमतीनगर थाने में ही दर्ज की गई है. इस एफआईआर का नंबर 1140 है,जिसे 30 नवंबर की शाम 6 बजकर 57 मिनट पर दर्ज किया गया है. इस एफआईआर में लिखा है-मेरे पति एपल कंपनी में ASM थे. प्रशांत चौधरी ने उनकी हत्या की है. सना ने जो मुझेबताया है उसके मुताबिक, सना और विवेक रात में लगभग डेढ़ बजे घर वापस आ रहे थे, तोअचानक प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार कार के सामने आ गए. ASM साहब डर के मारे रातमें मेरे महिला होने के कारण अपनी कार बचाकर वापस निकालकर आगे बढ़ने की कोशिश कररहे थे. उसी समय मोटरसाइकल पर पीछे बैठा हुआ एक सिपाही उतरा जो हाथ में डंडा लिएहुए था. आगे बैठे प्रशांत चौधरी ने गाड़ी के शीशे से अपनी पिस्टल सटाकर जान सेमारने की नीयत से फायर कर दिया, जिससे उनकी हत्या हो गई. चूंकि दोनों सिपाहियों नेअपनी वर्दी पर नेम प्लेट लगा रखी थी, उससे सना ने पहचान लिया कि गोली मारने वालाप्रशांत ही था और साथ के सिपाही संदीप चौधरी ने प्रशांत को गोली मारने से मना नहींकिया और वो डंडे से गाड़ी का बोनट पीटता रहा. घटना के बाद भी विवेक डर के मारे अपनीगाड़ी बगल से निकालकर ले गए, लेकिन ठुड्डी में गोली लगने की वजह से आधा किलोमीटर केबाद ही कार खंभे से लड़ गई और बंद हो गई. विवेक के चेहरे से खून बह रहा था, सनाचिल्ला रही थी और लोगों को रोकने की कोशिश कर रही थी. इस बीच जो भी पुलिसवाले आए,वो न तो सना को फोन दे रहे थे और न ही सना को फोन उठाने दे रहे थे. पुलिसवालों नेजबरन सना से सादे कागज पर दस्तखत करवा लिए और बाद में मीडिया और पुलिस अधिकारियोंके दबाव में सना से बोल बोलकर जबरन उस सादे कागज पर लिखवाया गया. सना डरी हुई थी,तो पुलिसवाले जो भी बोल रहे थे, वो लिखती जा रही थी. पुलिसवाले सना और विवेक केबारे में उल्टा-सीधा बोल रहे थे. हालांकि दूसरी एफआईआर में दोनों सिपाहियों के नामतो दर्ज हैं, लेकिन अब भी उस एफआईआर में सिपाहियों का स्थानीय पता और स्थायी पतादर्ज नहीं किया गया है.केस एक फिर एफआईआर दो क्यों?दोनों एफआईआर को एक साथ देखिए. अंतर साफ समझ में आ जाएगा.ये सवाल लखनऊ के क्राइम रिपोर्टर भी उठा रहे हैं और वकील भी. अगर हत्या एक हुई हैतो एफआईआर भी एक ही होनी चाहिए थी. लेकिन एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने दो एफआईआर कालॉजिक बताया है. एडीजी जोन के मुताबिक कृष्ण कुमार बनाम केरल सरकार के मामले में 19मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था. इस आदेश में कहा गया था कि अगरपरिस्थितियां विशेष हों, तो एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज की जा सकती है. इसमामले में भी पहली वादी सना थीं, तो उनकी तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई. वहीं जबविवेक की पत्नी कल्पना ने हत्या की बात की तो उनकी भी एफआईआर दर्ज की गई. ऐसे मेंपुलिस पहली वाली एफआईआर के आधार पर जांच करेगी और दूसरी एफआईआर को पहली के साथ जोड़दिया जाएगा. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में वकील विवेक राय का मानना है किचूंकि दोनों ही एफआईआर में प्रत्यक्षदर्शी सना हैं, इसलिए पुलिस अपनी तफ्तीश केदौरान दोनों एफआईआर को जोड़ देगी.यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा है कि एक ही मामले में दो एफआईआर नहीं होसकती है.वहीं इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह सहमत नहीं हैं. विक्रमसिंह ने कहा है कि एक मामले में दो एफआईआर संभव नहीं है. अगर कोई नया तथ्य सामनेआता भी है, तो उसे तफ्तीश में शामिल किया जा सकता है. लेकिन अलग से एफआईआर दर्जनहीं की जा सकती है. पुलिस इस मामले को इतना पेचीदा बनाने की कोशिश कर रही है किकेस कमजोर हो जाए.--------------------------------------------------------------------------------विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना का वो वायरल बयान जो उन्होंने दिया ही नहीं