The Lallantop
X
Advertisement
  • Home
  • News
  • Vijay Gokhale in GITN talks on...

चीन में उइगर मुसलमानों की हालत खराब? कितना सच कितना झूठ, पूर्व विदेश सचिव ने बता दिया

'गेस्ट इन द न्यूज़रूम' में इस बार गेस्ट के तौर पर पूर्व डिप्लोमैट और भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे विजय गोखले आए थे.

Advertisement
Vijay Gokhale on China's oppression of Uyghur Muslims
विजय गोखले ने चीन-उइगर पर क्या कहा? (साभार - एएफपी)
pic
पुनीत त्रिपाठी
11 अगस्त 2023 (Updated: 11 अगस्त 2023, 24:02 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पिछले कुछ सालों में आपने चीन के संबंध में एक शब्द बहुत सुना होगा, उइगर. ये भी सुना होगा कि चीन इन उइगर मुसलमानों के पीछे पड़ा हुआ है. उइगर मुसलमान ज्यादातर चीन के मुस्लिम-बाहुल्य शिनज़्यांग प्रांत में रहते हैं. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि चीन इनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है. कहा गया कि शिनज़्यांग प्रांत में उनके साथ तालिबान की तरह अत्याचार किए गए हैं. उनसे बंधुआ मजदूर की तरह काम लिए जाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चीन में उइगर मुसलमानों को कथित तौर से बंदी बनाने और जबरन मजदूरी कराने को लेकर चिंता भी जाहिर की थी. आप सोच रहे होंगे कि हम ये सब आपको अब क्यों बता रहे हैं?

इसकी वजह है दी लल्लनटॉप का ख़ास शो 'गेस्ट इन द न्यूज़रूम'. शो में इस बार गेस्ट के तौर पर पूर्व डिप्लोमैट और भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे विजय गोखले आए थे. उन्होंने अपने करियर के साथ-साथ चीन में बिताए दर्जनों बरसों के बारे में काफी कुछ बताया. उन्होंने भारत और चीन के रिश्ते और बॉर्डर पर हुए संघर्षों के बारे में भी बात की. इसी बातचीत के दौरान उन्होंने उइगर मुस्लिमों पर भी बात की. कहा,

'चीन एक यूनिटेरी स्टेट है. फेडरेल स्टेट माना जाता है. उन्होंने कई स्वतंत्र रीज़न्स घोषित कर रखे हैं, जहां अल्पसंख्यक रहते हैं. जैसे तिब्बत या शिनज़्यांग. उस देश (चीन) में 95% लोग हान समुदाय के हैं, जो वहां की जाति है. अल्पसंख्यक सिर्फ 5 प्रतिशत है. इन अल्पसंख्यकों का अलग कल्चर है, भाषा है, जिसको उतनी ही तवज्जो दी जानी चाहिए, जितनी हान समुदाय को मिलती है. उनको (चीनी नागरिकों) इस चीज़ की कोई सेंसिटिविटी नहीं है.

उनकी पूरी कोशिश रही है इन क्षेत्रों का चीनीकरण किया जाए. ये कोशिश माओ जेडोंग के दौर से ही होती रही है. चीनी लोगों को अल्पसंख्यकों के लिए जो सेंसिटिविटी दिखानी चाहिए, वो नहीं दिखाते. 1990 के दशक में वहां बच्चों का नाम मोहम्मद रखना मना था. अब भी मना है. दाढ़ी रखना मना है. सरकार हर इमाम को चुनती है. हर पादरी और बुद्धिस्ट पुजारी को भी सरकार ही चुनती है.

पढ़ाई उनकी भाषा (मैंडरीन) में करवाई जाती है. धार्मिक ग्रंथों के जो हिस्से चीनी लोगों को सूट नहीं करते, वो नहीं पढ़ाया जाएगा. ये सारे कायदे-कानून वहां 1990 से हैं.'

विजय गोखले ने आगे चीन के कल्चर, बॉर्डर और शिक्षा पर भी बात की. आप ये पूरा इंटरव्यू द लल्लनटॉप के ऐप और यूट्यूब चैनल पर भी देख सकते हैं. 

वीडियो: गेस्ट इन दी न्यूजरूम: 15 साल चीन में रहे राजदूत विजय गोखले ने डोकलाम, गलवान, शी जिनपिंग पर क्या बताया?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement