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उत्तरकाशी सुरंग हादसा: चौथा रेस्क्यू ऑपरेशन फेल, फंसे मजदूरों को अब कैसे निकाला जाएगा?

पहाड़ की चोटी पर एक रास्ता बनाया जाएगा ताकि लगभग 103 मीटर की गहराई तक ड्रिलिंग कर फंसे मजदूरों को निकाला जा सके.

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uttarkashi tunnel collapse updates vertical drilling to rescue trapped workers authorities accused of negligence delays
उत्तरकाशी टनल हादसे को एक हफ्ता पूरा (फोटो- PTI)
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ज्योति जोशी
19 नवंबर 2023 (Updated: 19 नवंबर 2023, 11:45 IST)
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उत्तरकाशी टनल हादसे (Uttarkashi Tunnel Accident) को एक हफ्ता पूरा हो चुका है. 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू टीम जुटी हुई है लेकिन भारी मलबे ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. 17 नवंबर को बचाव कार्य के दौरान सुरंग के अंदर से जोरदार आवाज सुनाई दी. आशंका है कि अंदर और मलबा गिरा है जिसके चलते ये ऑपरेशन भी रोकना पड़ गया. अब एक नए प्लान पर काम हो रहा है. फंसे मजदूरों के घरवाले प्रशासन पर लापरवाही और ऑपरेशन में देरी का आरोप लगा रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि नए प्लान के तहत पहाड़ की चोटी पर एक रास्ता बनाया जाएगा ताकि लगभग 103 मीटर की गहराई तक ड्रिलिंग कर फंसे मजदूरों को निकाला जा सके. प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि हमारे पास किसी भी संसाधन, विकल्प और विचारों की कमी नहीं है. हमें बस कुछ समन्वित कार्रवाई की जरूरत है और हम टीमें बनाकर किसी तरह वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों को निकालने में अभी 4 से 5 दिन और लगेंगे.

ऑपरेशन में शामिल रेल विकास निगम लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सुरंग के ऊपर चार संभावित बिंदुओं की पहचान की गई है. पहाड़ी की चोटी पर मशीन के लिए एप्रोच रोड बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस काम के लिए ODEX (ओवरबर्डन ड्रिलिंग एक्सेंट्रिक) मेथड का इस्तेमाल किया जाएगा. इस तकनीक को खास तौर पर ओवरबर्डन मिट्टी के जरिए ड्रिलिंग के लिए डिजाइन किया गया है. उन जगहों के लिए जहां अस्थिर जमीन और ढीली संरचनाएं है.

सप्लाई के लिए भी नया प्लान

मलबा गिरने की घटनाओं के बीच डर बना हुआ है कि खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने वाले पाइप को नुकसान ना पहुंचे. 41 लोगों के लिए भोजन और आवश्यक दवाओं की सप्लाय ना रुके, उसके लिए ऑलटरनेट प्लान पर काम हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पहाड़ी इलाके में सुरंग की छत से 4 इंच से ज्यादा की ऊंचाई पर पाइप डालने से भूस्खलन नहीं होगा. ये एक पतला पाइप होगा जिसे आपात स्थिति के लिए डाला जाएगा ताकि लगातार भोजन और पानी भेजा जा सके.

प्रशासन पर लापरवाही के आरोप

खबर है कि फंसे हुए लोगों के सहकर्मियों ने अधिकारियों पर लापरवाही और ऑपरेशन में देरी का आरोप लगाया और घटनास्थल पर विरोध प्रदर्शन किया. हरिद्वार शर्मा के छोटे भाई सुशील अंदर फंसे हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि सुरंग के अंदर कोई काम नहीं चल रहा है, ना तो कंपनी और न ही सरकार कुछ कर रही है.

चार बार ऑपरेशन फेल

मलबा 65 से 70 मीटर तक फैला हुआ है. सबसे पहले गिरे हुए मलबे को हटाकर अंदर पहुंचने का प्लान था. हालांकि, इस ऑपरेशन के वक्त छत से अलग मलबा गिरता रहा. टीम 21 मीटर अंदर ही पहुंच सकी. इसके बाद मशीन से ड्रिलिंग कर पाइप डालने का प्लान बनाया गया. बड़े पत्थर पर ये मशीन काम नहीं कर सकी. फिर अमेरिकी मशीन का इस्तेमाल किया गया. ये मशीन भी बड़े पत्थर के चलते खराब हो गई. जोरदार आवाज सुनाई देने के बाद ड्रिलिंग ऑपरेशन रोक दिया गया.

हादसा दिवाली के दिन 12 नवंबर को हुआ था. सुबह के वक्त सिल्क्यारा को डंडालगांव से जोड़ने वाली निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. तभी से वहां 41 मजदूर फंसे हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि मलबे के पीछे फंसे लोगों को पाइप के ज़रिए खाना-पानी भेजा जा रहा है. अधिकारी लगातार उनके साथ संपर्क में हैं. फंसे लोग बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हैं. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 40 मजदूरों की जान एयरफोर्स से आई किस मशीन पर टिकी है?

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