The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • uttarkashi tunnel collapse how...

PMO, ग्रीन कॉरिडोर, 1 हजार कर्मचारी... उत्तराखंड सुरंग बचाव अभियान के पीछे की पूरी कहानी

उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. लगभग 400 घंटों तक चले बचाव अभियान में सैंकड़ों लोगों ने मेहनत की.

Advertisement
uttarkashi tunnel collapse how 41 workers rescued
17 दिनों के बाद सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. (तस्वीर साभार: PTI)
pic
रवि सुमन
29 नवंबर 2023 (Updated: 29 नवंबर 2023, 12:16 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे सभी 41 मजदूरों को बाहर (Uttarakhand Tunnel Rescue) निकाल लिया गया है. 17 दिनों तक चले बचाव अभियान में लगभग 400 घंटों के बाद 28 नवंबर को सफलता मिली. इस बचाव अभियान में कम से कम 652 सरकारी कर्मचारी काम कर रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अवनीश मिश्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बचाव कार्य मेंं 189 पुलिस विभाग, 106 स्वास्थ्य विभाग, 77 भारत तिब्बत बॉर्डर पुलिस, 62 राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), 39 राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), 46 जल संस्थान उत्तरकाशी, 32 बिजली विभाग और 38 सीमा सड़क संगठन (BRO) के कर्मचारी शामिल थे.

भास्कर खुल्बे प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार और उत्तराखंड पर्यटन विभाग के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर हैं. एक्सप्रेस ने खुल्बे के हवाले से लिखा कि अगर इस बचाव अभियान में स्वतंत्र श्रमिकों और निजी कंपनी के कर्मचारियों को शामिल किया जाए, तो ऑपरेशन में योगदान देने वालों की संख्या 1 हजार से ज्यादा होगी.

मजदूरों को बचाने के लिए घटनास्थल पर कई विशेषज्ञों को भी बुलाया गया था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान उन सभी एक्सपर्ट्स से संपर्क किया गया जिनसे संपर्क किया जा सकता था. उन्होंने बताया कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों के एक्सपर्ट से भी संपर्क साधा गया. 2018 के थाई केव रेसक्यू में शामिल अधिकारियों से भी संपर्क किया गया था. 23 जून 2018 को थाईलैंड के एक कस्बे में 12 से 16 वर्ष की उम्र के 12 बच्चे और उनका कोच एक चार किलोमीटर लंबी गुफा में फंस गए थे. 18 दिन बाद उन सभी को बचा लिया गया था.

बचाव कार्य में जुटे कर्मचारी. (तस्वीर साभार: इंडिया टुडे)

ये भी पढ़ें: सुरंग में फंसे 41 लोगों का पहला CCTV फुटेज सामने आया, 10 दिन से कैसे रह रहे मजदूर?

एक साथ 5 योजनाएं

अधिकारियों के अनुसार, सुरंग के मुहाने से खुदाई शुरू करना अनुमान से ज्यादा जटिल साबित हुआ. बचावकर्मी एक साथ पांच योजनाओं पर काम कर रहे थे. प्रत्येक को अलग-अलग एजेंसियों द्वारा मैनेज किया जा रहा था. इनमें NDRF, SDRF, BRO, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के अलावा नवयुग, तेल और प्राकृतिक गैस निगम, टेहरी हाइड्रो विकास निगम, सतलुज जल विद्युत निगम, रेल विकास निगम लिमिटेड, ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग वर्क्स जैसी एजेंसी शामिल थीं. इनके अलावा बचाव कार्य में राज्य और जिला प्रशासन के साथ-साथ सेना और वायु सेना के कर्मचारी भी सक्रिय रहे.

इनके अलावा भी कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने इस बचाव अभियान में अपना योगदान दिया है. पुलिस कर्मी जो घटनास्थल पर 24 घंटे पहरा दे रहे थे, रसोइये जो बचावकर्मियों के लिए खाना बना रहे थे, ड्राइवर्स जिन्होंने मशीनों को सही समय पर पहुंचाने के लिए ओवरटाइम किया. घटनास्थल पर उपस्थित सभी लोगों को आराम मिल सके और वो स्वस्थ रहें, इसके लिए प्रशासन की तरफ से विशेष व्यवस्था की गई थी. सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के परिजन घटनास्थल पर ही रह रहे थे. जरूरी था कि मजदूरों के साथ-साथ उनके परिजनों का धैर्य भी बना रहे. 

इंटरनेशनल टनलिंग और अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिस्क ने भारतीय बचाव दल की ओर मदद का हाथ बढ़ाया. उन्होंने बचाव अभियान में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया.

मलबे को काटने के लिए अमेरिका की बनी हुई ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा था. हालांकि, बाद में कुछ चुनौतियों के कारण ऑगर मशीन को हटाना पड़ा. इसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग की गई. इसके लिए खास तौर पर ‘रैट माइनिंग’ में माहिर लोगों को बुलाया गया था.

एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि 20 नवंबर को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में घटनास्थल पर काम करने वाली सभी एजेंसियों के साथ एक बैठक हुई थी. इसमें सभी एजेंसियों को घंटे के हिसाब से काम करने का निर्देश दिया गया था. इसके अलावा उत्तरकाशी ले जाए जाने वाले सभी उपकरणों और मशीनरी के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था का भी निर्देश दिया गया था.

बीती 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. तब से ही वहां बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 41 मजदूर फंसे हुए थे. अब सुरंग से सुरक्षित बाहर आने के बाद इनके घरों में खुशी का माहौल है.

ये भी पढ़ें: रेस्क्यू ऑपरेशन जो दुनिया ने पहले ना देखे थे, 69 दिन बाद जिंदा निकले लोग

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: उत्तरकाशी सुरंग से जिंदा लौटे मजदूर, आखिरी पलों में क्या हुआ?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement