उत्तरकाशी सुरंग हादसा: फिर से शुरू हुई ड्रिलिंग, अधिकारी ने ऑपरेशन को युद्ध क्यों बताया?
फंसे हुए सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए NDRF की टीम ने किया मॉकड्रिल. मजदूरों को पहिए वाले स्ट्रेचर से बाहर निकाला जाएगा.
तकनीकी खराबी के चलते उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने वाला रेस्क्यू ऑपरेशन बंद कर दिया गया था (Uttarkashi Tunnel Update). अब खबर है कि ड्रिलिंग का काम फिर से चालू हो गया है. दो मीटर पाइप का एक हिस्सा झुक गया था. उसे काट लिया गया है. अधिकारियों की मानें तो 24 नवंबर की शाम तक मजदूरों को निकाल लिया जाएगा. सुरंग हादसे के 12 दिन बीत चुके हैं.
खबर है कि 60 में से 46 मीटर का रेस्क्यू टनल बना लिया गया है. ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार के आंकड़ों से पता चला है कि आगे के पांच मीटर साफ हैं. बचाव एजेंसियों का मानना है कि उन्हें आगे किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा और अभियान सुचारू रूप से चलेगा.
फंसे हुए सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए NDRF टीम ने मॉकड्रिल भी किया. वीडियो में दिख रहा है कि मजदूरों को पहिए वाले स्ट्रेचर से बाहर निकाला जाएगा.
इससे पहले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण NDMA के मेंबर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने एक प्रेस कॉन्फेरेंस में कहा,
कई विशेषज्ञ राय दे रहे हैं कि मजदूरों को कुछ घंटों के अंदर बचा लिया जाएगा. लेकिन याद रखें कि ये ऑपरेशन एक युद्ध की तरह है. इस तरह के ऑपरेशनों को टाइमलाइन नहीं दी जानी चाहिए. इससे टीम पर भी प्रेशर बनता है. युद्ध में हम नहीं जानते कि दुश्मन कैसे प्रतिक्रिया देगा. यहां हिमालय का भूविज्ञान हमारा दुश्मन है. सुरंग किस एंगल से गिरी है कोई नहीं जानता.
टनल में फंसे सुशील के भाई हरिद्वार शर्मा ने मीडिया को जानकारी दी,
मेरा छोटा भाई अंदर है. आज सुबह मेरी उससे बात हुई. वहां सभी लोग ठीक हैं और उनके लिए सभी सुविधाएं भी हैं. खाना, ब्रश, साबुन, नहाने-धोने की भी व्यवस्था भी है. मैंने उससे पूछा कि क्या उन्हें कोई कठिनाई हो रही है. उसने बताया कि कोई दिक्कत नहीं है. स्वास्थ्य भी ठीक है. सभी उनके जल्दी बाहर आने की उम्मीद कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घटनास्थल पर 41 एंबुलेंस खड़ी की गई हैं. मजदूरों को बाहर निकालने के बाद उनकी मेडिकल जांच की जाएगी. इसके लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में डॉक्टर्स की एक टीम भी तैयार की गई है.
अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. न्यूज एजेंसी ANI ने स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ से इस तकनीक के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि ये ड्रोन तकनीक नवीनतम तकनीकों में से एक है जो सुरंग के अंदर जा सकता है. ये GPS प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाकर भी लोगों का पता लगा सकता है.
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बता दें, 12 नवंबर को उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का कुछ हिस्सा ढह गया था. तब से ही वहां बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंसे हुए हैं.
वीडियो: उत्तरकाशी की सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों के पहले CCTV फुटेज में क्या नज़र आया?