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ग्रेटर नोएडा में जमीन के लिए दांव पर रिश्ते, कपल्स में फर्जी तलाक लेने की होड़ मची

YEIDA के CEO का कहना है कि अब इस मामले में आवासीय स्कीम में भी जांच कराई जाएगी. जांच में कोई धोखाधड़ी सामने आती है तो ऐसे लोगों को मिले प्लॉट के अलॉटमेंट कैंसिल कर दिए जाएंगे.

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Uttar Pradesh husband wife resorting to divorce to get YEIDA authority plots
लोगों को प्राधिकरण की तरफ से नोटिस भेजे गए, तो खुलासा हुआ कि कई सारे लोगों ने अपने तलाक के डॉक्यूमेंट्स पेश किए हैं. (फोटो- YEIDA)
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प्रशांत सिंह
27 सितंबर 2024 (Updated: 27 सितंबर 2024, 18:31 IST)
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उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में जमीन पाने के लिए अलग ही तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया है. खबर के मुताबिक यमुना प्राधिकरण क्षेत्र (YEIDA) में प्लॉट पाने के लिए कपल तलाक का सहारा ले रहे हैं और नियमों को तोड़ रहे हैं. अपनी छत की चाह रखने वाले दंपती एक दूसरे से दूरी बना रहे हैं. नियम के मुताबिक दंपती में से केवल एक को ही प्लॉट का आवंटन होता है, लेकिन कपल इस नियम को तलाक लेकर तोड़ रहे हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े अरुण त्यागी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर नोएडा में यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कपल नियमों को तोड़कर उनका गलत फायदा उठा रहे हैं. 2015 से अब तक 47 मामलों में तलाक के दस्तावेज पेश किए गए हैं और कई प्लॉट अपने नाम कराए गए हैं. यमुना अथॉरिटी में ऐसे कई मामले सामने आए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक नियम ये है कि आवासीय, इंडस्ट्रियल और अन्य प्लॉट स्कीमों में अगर ड्रॉ में कपल का नाम निकलता है, तो एक का प्लॉट ऑटोमेटिक कैंसिल हो जाएगा. माने दोनों में किसी एक को ही प्लॉट अलॉट किया जाएगा. यमुना प्राधिकरण के CEO अरुण सिंह ने मामले को लेकर बताया,

“प्लॉट आवंटन में 47 ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पर पति-पत्नी ने प्लॉट आवंटन करा लिए. इस दौरान उनके द्वारा कहीं पर पत्नी के नाम से फर्म बनाई गई, तो कहीं पति के नाम से फर्म दिखाई गई है. कई जगह पर कंपनी दिखाकर उसमें पत्नी को डायरेक्टर बना दिया गया है. तो कहीं पति को डायरेक्टर बनाया गया है. कुल 47 ऐसे मामले सामने आए हैं.”

रिपोर्ट में बताया गया कि मामले में जब लोगों को प्राधिकरण की तरफ से नोटिस भेजे गए, तो खुलासा हुआ कि कई सारे कपल्स ने अपने तलाक के डॉक्यूमेंट्स पेश किए हैं. उन्होंने बताया कि उनके प्लॉट अलग-अलग हैं.

मामला सामने आने के बाद प्राधिकरण ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है. कमेटी का कहना है कि अगर ये तलाक के मामले सही पाए जाते हैं तो उन लोगों के प्लॉट बच जाएंगे. लेकिन अगर धोखाधड़ी सामने आती है तो ऐसे केस में प्लॉट का अलॉटमेंट कैंसिल कर दिया जाएगा. रिपोर्ट में बताया गया कि अब तक इस मामले में 9 पति-पत्नी अपने तलाक के डॉक्यूमेंट्स पेश कर चुके हैं.

जानकारी के मुताबिक ये पूरा मामला इंडस्ट्रियल स्कीम का है. प्राधिकरण के CEO का कहना है कि अब इस मामले में आवासीय स्कीम में भी जांच कराई जाएगी. जांच में अगर इसमें भी कोई धोखाधड़ी सामने आती है तो ऐसे लोगों को अलॉट किए गए प्लॉट कैंसिल कर दिए जाएंगे.

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