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यूपी में 27000 सरकारी स्कूल बंद होंगे या नहीं, साफ हो गया

स्कूलों के बंद किए जाने की खबर को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया था. मामले को तूल पकड़ता देख यूपी सरकार को सफाई देनी पड़ी. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी स्कूल को बंद करने की कोई योजना नहीं है.

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uttar pradesh basic education department refute claim of closing 27000 schools
यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों को बंद किए जाने के दावों को भ्रामक बताया है. (तस्वीर:इंडिया टुडे)
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शुभम सिंह
4 नवंबर 2024 (Updated: 4 नवंबर 2024, 19:01 IST)
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उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 27000 से अधिक स्कूलों को बंद करने की खबर को अफवाह बताया है. इस मामले में विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया था. यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार के इस फैलसे पर सवाल खड़े किए थे. मामले को तूल पकड़ता देखा यूपी सरकार को सफाई देनी पड़ी. इसमें साफ तौर पर कहा गया कि किसी भी स्कूल को बंद करने की कोई योजना नहीं है.

हाल ही में खबर आई थी कि यूपी सरकार प्रदेश के 27,764 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय को बंद करने की तैयारी में है. ऐसे स्कूल जिनमें 50 से कम छात्र हैं उन्हें बंद करके नजदीकी स्कूल में शिफ्ट कर दिया जाएगा. कहा गया कि इसको लेकर शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को विस्तृत निर्देश जारी किए हैं. शिक्षा विभाग ने इस मामले को लेकर 14 नवंबर को प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ बैठक बुलाई है. साथ ही सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है.

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

यूपी के शिक्षा विभाग से सरकरी स्कूल को बंद किए जाने की खबर फैलते ही विपक्ष लामबंद हो गया. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस फैसले को गरीब और पिछड़े तबकों के बच्चे को वंचित किए जाने वाला बताया. उन्होंने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से पोस्ट किया,

“उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है. यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है. यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लाई थी जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी विद्यालय हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो.”

प्रियंका ने आगे लिखा,

“कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि जनता का कल्याण करना है. भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो.”

इसके अलावा यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने भी शिक्षा विभाग के इस फैसले को गलत बताया. उन्होंने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,

“यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं. ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे?”

उन्होंने आगे लिखा,

“सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है, किन्तु सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं.”

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सरकार ने दी सफाई

विपक्ष के आरोपों के बाद शिक्षा विभाग ने इस मामले को लेकर सफाई दी. बेसिक शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने स्कूल बंद किए जाने के आरोपों को झूठा बताया. उन्होंने आजतक से बातचीत में बताया,

“27000 प्राथमिक विद्यालयों को नजदीकी विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है. किसी भी बैठक में ऐसी कोई योजना नहीं चल रही है.”

उन्होंने आगे कहा,

“प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा विभाग विद्यालयों में मानव संसाधन और आधारभूत सुविधाओं के विकास, शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने तथा छात्रों, विशेषकर बालिकाओं की ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए प्रयास कर रही है. इस दृष्टि से समय-समय पर विभिन्न अध्ययन किए जाते हैं.”

इसके अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट करके स्कूल बंद करने की बात को भ्रामक और निराधार बताया गया है. 

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