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अमेरिकी न्याय विभाग की तरफ से अडानी पर बड़ा आरोप, कहा- 'उन्हें एक साल से थी जांच की जानकारी'

USA Indictment ने Gautam Adani और उनके भतीजे Sagar Adani को लेकर बड़ा दावा किया है. उनके मुताबिक गौतम अडानी को जांच के बारे में पहले से जानकारी थी.

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Gautam Adani, USA, Adani group
गौतम अडानी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं (फाइल फोटो)
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रविराज भारद्वाज
23 नवंबर 2024 (Published: 08:40 IST)
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भारतीय बिजनेसमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) की मुश्किलें बढ़ती ही नजर आ रही है. अमेरिकी अभियोग (USA Indictment) ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी(Sagar Adani) को लेकर बड़ा दावा किया है. उनके मुताबिक गौतम अडानी को पूरे मामले पर हो रही जांच के बारे में पहले से जानकारी थी. साथ ही अडानी पर ये भी आरोप लगा कि उन्होंने इस जानकारी को भारतीय स्टॉक एक्सचेंज से छुपाई.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, इस साल 15 मार्च को ब्लूमबर्ग की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें ये बताया गया था कि अमेरिका में अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच चल रही है. इसके तीन बाद बाद यानी 18 मार्च को अडानी ने इंडियन स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि ये रिपोर्ट झूठी है.

 Adani को थी जानकारी

अमेरिकी न्याय विभाग DOJ के अनुसार, FBI ने '17 मार्च 2023 या उसके आसपास' में गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी के यहां छापेमारी की थी. उनके कुछ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए थे. अब अमेरिकी अभियोग ने बताया कि इस घटना के ठीक अगले दिन यानी '18 मार्च या उसके आसपास' गौतम अडानी ने अपने भतीजे को खिलाफ जारी सर्च वारंट की एक-एक पेज की फोटो खुद को ईमेल की थी.

अडानी ग्रुप और उसके चेयरमैन गौतम अडानी के लिए नई मुश्किलें 21 नवंबर को शुरू हुईं. अमेरिका के न्याय विभाग ने भारतीय उद्योगपति पर घूसखोरी और धोखाधड़ी के आरोप तय किए. इन आरोपों के मुताबिक, गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी ने सोलर प्लांट से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 21 अरब रुपये से अधिक की रिश्वत देने का वादा किया था.

इन आरोपों को लेकर अडानी समूह के प्रवक्ता ने बयान जारी किया. उन्होंने इनका खंडन किया है और इन्हें आधारहीन बताया है. अमेरिका के इन आरोपों के बाद केन्या ने अडानी समूह के दो बड़े प्रस्तावित प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था. ये प्रोजेक्ट करीब 21 हज़ार करोड़ रुपये के थे.  DOJ ने दावा किया कि साल 2022 से 2024 के बीच खुद गौतम अडानी ने एक सरकारी अधिकारी से मुलाकात की. कहा गया कि वो अक्सर मिलते थे और रिश्वत की योजना पर बात करते थे. अनुमान लगाया गया है कि इन कॉन्ट्रैक्ट्स से 20 साल में टैक्स चुकाने के बाद 168 अरब रुपये से अधिक का मुनाफा होना था.

ये भी पढ़ें: गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोप क्यों लगे? एक-एक बात जान लें

आरोपों के आधार क्या हैं?

अदालती दस्तावेजों में कहा गया है कि अडानी और सरकारी अधिकारी की मुलाकात के सबूत वाले दस्तावेज उपलब्ध है. ये भी कहा गया है कि रिश्वत की योजना के लिए एक मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल किया गया था. ये भी कहा गया है कि सागर अडानी ने रिश्वत के वादे के विवरण के लिए अपने पर्सनल फोन का इस्तेमाल किया. ऐसे ही विनीत जैन ने रिश्वत से जुड़े दस्तावेजों की तस्वीर लेने के लिए अपने पर्सनल फोन का उपयोग किया. ये भी आरोप लगे हैं कि रूपेश अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने पावर पॉइंट और एक्सेल का उपयोग करके जानकारियों को जमा किया. इनमें रिश्वत के भुगतान और भुगतानों को छिपाने के तरीकों के बारे में बताया गया था.

अदालती दस्तावेज के अनुसार, रिश्वत के वादे के बाद जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा, जम्मू और कश्मीर, तमिलनाडु , छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में समझोते किए गए. बिजली वितरण कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड प्रोजेक्ट के तहत सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ बिजली बिक्री समझौते (PCAs) किए.इस मामले में एज्योर पावर ग्लोबल के कार्यकारी सिरिल कैबनेस पर भी आरोप लगे हैं.

 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: गौतम अडानी के कारोबार का अब क्या होगा? न्यूयॉर्क कोर्ट ने क्या कहा?

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