अमेरिका की सीरिया में बमबारी, हमास-ईरान के किन दोस्तों को चुन-चुन कर बनाया निशाना?
अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में ईरान के सहयोगियों के ठिकानों पर हमला किया है. कहां-कहां हुआ हमला? कौन हैं ये हमास के दोस्त?
अमेरिका(America strikes Syria) ने 27 अक्टूबर की सुबह पूर्वी सीरिया में कई जगहों पर हमला किया. उसने चुन-चुनकर हमास और ईरान के करीबियों को निशाना बनाया है. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इसकी सूचना दी है.
पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट्रिक राइडर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया,
अमेरिकी सैन्य बलों ने आज पूर्वी सीरिया में ईरान की सेना की ब्रांच इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और उससे जुड़े समूहों के दो ठिकानों पर हमला किया. ये हमले आत्मरक्षा के लिए किए गए. ये इराक और सीरिया में अमेरिका के कर्मचारियों पर हुए हमलों के जवाब में किए गए.
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प्रेस रिलीज में बताया गया,
26 अक्टूबर को फिर हुआ हमला"आत्मरक्षा में किए गए ये सटीक हमले इराक और सीरिया में अमेरिका के कर्मचारियों पर हुए हमलों के जवाब में किए गए. जो हमले हमारे कर्मचारियों पर हुए थे उनमें से ज्यादातर असफल रहे थे. अमेरिका की सेना पर जिन समूहों ने हमले किए, उन्हें ईरान की सेना का समर्थन मिला हुआ है. 17 अक्टूबर से शुरू हुए इन हमलों के कारण एक अमेरिकी ठेकेदार की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. सेना के 21 कर्मचारियों को मामली चोटें आईं."
पेंटागन ने मध्यपूर्व से जुड़ी एक और जानकारी भी साझा की है. बताया कि उनके कर्मचारियों की हवाई सुरक्षा मजबूत करने के लिए अमेरिका के 900 से ज्यादा सैनिक मध्य पूर्व पहुंच चुके हैं या जा रहे हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट्रिक राइडर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया,
"इजरायल-हमास युद्ध के बढ़ते तनाव के बीच पिछले हफ्ते में इराक में कम से कम 12 और सीरिया में चार बार अमेरिका और उसके गठबंधन के सैनिकों पर हमला किया गया है."
इन हमलों में अमेरिका के कई सैनिकों को मामूली चोटें आई हैं. इनमें से ज्यादातर को सिर में खतरनाक चोटें आईं. इजरायल-हमास युद्ध के बाद से अमेरिका ने दो एयरक्राफ्ट करियर और लड़ाकू विमानों को मध्य पूर्व भेजा है. ये ईरान और उसके समर्थित समूहों को रोकने के लिए भेजे गए. ब्रिगेडियर राइडर ने बताया कि 26 अक्टूबर को एक बार फिर अमेरिकी बलों पर हमला हुआ. हालांकि, इसे विफल कर दिया गया.
अमेरिका ने अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए और भी कई कदम उठाए हैं. इसमें सैन्य गश्त बढ़ाना, आर्मी बेस तक पहुंचने पर प्रतिबंध लगाना, ड्रोन और बाकी तरीकों से निगरानी बढ़ाना शामिल है.
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