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Joe Biden करा रहे दिमागी बीमारी का इलाज? 8 बार आया डॉक्टर, डॉक्यूमेंट्स से पता चली अंदर की बात!

Joe Biden: Parkinson बीमारी के एक्सपर्ट Kevin Cannard पर White House ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया है. लेकिन उन्होंने कहा है कि Joe Biden का पार्किंसंस के लिए इलाज नहीं चल रहा है.

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Joe Biden and Kevin Cannard
वाइट हाउस का जवाब आ गया है. (तस्वीर साभार: AP/Linkdln)
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रवि सुमन
9 जुलाई 2024 (Updated: 12 जुलाई 2024, 08:51 IST)
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) की तबियत इन दिनों चर्चा में बनी हुई है. 27 जून को प्रेसिडेंशियल डिबेट में उनके विरोधी डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भी इस बात पर सवाल खड़े किए. दरअसल, बहस के दौरान वो लड़खड़ा गए थे. हालांकि, बाइडन इन बातों को खारिज करते रहे हैं. अब न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने एक रिपोर्ट की है. इसके अनुसार, पार्किंसंस बीमारी (Parkinson Disease) के एक्सपर्ट ने आठ महीनों में आठ बार वाइट हाउस का दौरा किया है. पार्किंसंस नर्वस सिस्टम और ब्रेन से जुड़ी एक बीमारी है. इसके कारण ‘मूवमेंट डिसऑर्डर’ जैसी समस्या होती है.

‘वॉल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर’ के पार्किंसंस रोग के एक एक्सपर्ट ने वाइट हाउस का दौरा किया है. उन्होंने पिछले साल गर्मियों से इस साल तक आठ महीनों में आठ बार वाइट हाउस का दौरा किया. इस दौरान कम से कम एक बार राष्ट्रपति बाइडन ने एक्सपर्ट से मुलाकात की है. ये जानकारी वाइट हाउस के आधिकारिक विजिटर लॉग के हवाले से NYT ने दी है.

कौन हैं Doctor Kevin Cannard?

डॉक्टर केविन कैनार्ड, एक न्यूरोलॉजिस्ट हैं और ‘मूवमेंट डिसऑर्डर’ (गति विकार) के स्पेशलिस्ट हैं. मूवमेंट डिसऑर्डर तंत्रिका तंत्र से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल स्थितियां हैं. इस स्थिति में मांसपेशियों तक सही संदेश नहीं पहुंच पाता. इससे शरीर में असामान्य हरकतें होती हैं. जैसे- कंपन, ऐंठन, झटके, मूवमेंट में कमी या ज्यादा होना. केविन कैनार्ड ने हाल ही में पार्किंसंस बीमारी पर एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है.

ये भी पढ़ें: बाइडन-ट्रंप के बीच अर्थव्यवस्था, इमिग्रेशन और युद्ध पर तगड़ी बहस, पॉर्न स्टार की 'एंट्री' कैसे हो गई?

Parkinson बीमारी क्या है?

पार्किंसंस बीमारी के लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ बढ़ते जाते हैं. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लोगों को चलने और बोलने में कठिनाई हो सकती है. उन्हें मानसिक और व्यावहारिक परिवर्तन, नींद की समस्या, अवसाद, याददाश्त संबंधी कठिनाइयां और थकान भी हो सकती है.

वाइट हाउस द्वारा जारी किए गए लॉग में जुलाई 2023 से इस साल के मार्च तक की जानकारी है. इसके बाद अगर एक्सपर्ट का कोई दौरा हुआ है तो ये बाद में पता चलेगा. जब लॉग के बारे में और अधिक जानकारी दी जाएगी. जो वाइट हाउस की ‘स्वैच्छिक प्रकटीकरण नीति’ के तहत दी जा सकती है. यानी कि ये पूरी तरह से वाइट हाउस के ऊपर है कि वो इस बारे में अगली जानकारी कब देंगे या देंगे भी या नहीं.

Obama और Trump से भी जुड़े रहे हैं

हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि डॉक्टर कैनार्ड हर बार बाइडन से मुलाकात के लिए ही वहां जाते थे या दूसरी बैठकों में शामिल होने के लिए. उनके लिंक्डइन पेज के अनुसार, वो 12 साल से अधिक समय से वाइट हाउस मेडिकल यूनिट से जुड़े हैं. 

Kevin Cannard Linkdln Profile
डॉक्टर केविन कैनार्ड का लिंक्डिइन पेज.

डॉक्टरों के लिए एक वेबसाइट, डॉक्सिमिटी पर भी उनके बारे में जानकारी मिलती है. इसके मुताबिक, वो 2012 से 2022 तक राष्ट्रपति बराक ओबामा और डॉनल्ड ट्रंप के मेडिकल यूनिट से जुड़े रहे हैं. 

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2012 में बाइडन जब उपराष्ट्रपति थे तब भी कैनार्ड ने कम से कम 10 दौरे किए और एक पारिवारिक दौरा किया (वाइट हाउस का). इसके अलावा 2013 में चार, 2014 में एक, 2015 में चार, और 2016 में आठ दौरे हुए. ट्रंप ने ओबामा की वाइट हाउस विजिटर्स के लिए स्वैच्छिक डिसक्लोजर पॉलीसी को रद्द कर दिया था. इसलिए उनके कार्यालय में चार वर्षों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं.

'Biden के डॉक्टर ने पुष्टि की है'

खबर लिखे जाने तक इस मामले में डॉक्टर कैनार्ड का कोई बयान सामने नहीं आया है. वहीं जो बाइडन के फिजिशियन केविन ओ'कॉनर ने पुष्टि की है कि कैनार्ड ने बाइडन को उनके राष्ट्रपति पद के साढ़े तीन वर्षों के दौरान तीन बार देखा था. लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर ये नहीं बताया कि उनका कोई और दौरा राष्ट्रपति के स्वास्थ्य से जुड़ा था या नहीं. उन्होंने कहा कि उनका अधिकतर दौरा वाइट हाउस में काम करने वाले अन्य लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा था.

Kevin C O Connor Letter
केविन ओ'कॉनर की चिट्ठी. (तस्वीर साभार: AP)

डॉक्टर ओ’कॉनर ने कहा कि बाइडन हर साल अपनी वार्षिक शारीरिक जांच के हिस्से के रूप में डॉक्टर कैनार्ड से मिलते थे. और लेटेस्ट जांच में पार्किंसंस का कोई लक्षण नहीं पाया गया था. 

White House का जवाब आ गया

वाइट हाउस ने इस बात से इनकार कर दिया है कि बाइडन को पार्किंसंस है. वाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का पार्किंसंस रोग के लिए इलाज नहीं किया जा रहा है. वाइट हाउस की प्रेस सचिव कराइन जीन-पियरे ने डॉक्टर कैनार्ड की यात्रा की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वो सुरक्षा कारणों से इस पर कुछ नहीं बोल सकतीं.

बढ़ती उम्र पर उठे सवाल

जो बाइडन की उम्र 81 साल है और डॉनल्ड ट्रंप की उम्र 78 साल है. ये दोनों अमेरिकी राष्ट्रपति पद के दो सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं. आलोचक राष्ट्रपति पद के लिए दोनों की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं. 

Presidential Debate
प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान बाइडन और ट्रंप. (तस्वीर साभार: AP)

ये भी पढ़ें: डॉनल्ड ट्रंप सभी 34 आरोपों में दोषी, कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रपति चुनाव लड़ पाएंगे?

Biden के बयान

बाइडन के कार्यकाल में बहुत कुछ ऐसा हुआ और हो रहा है, जिसने उनकी विश्वसनीयता खतरे में पड़ी है. कुछ मौकों की बात करते हैं-

  • 08 मार्च 2021. बाइडन को राष्ट्रपति बने डेढ़ महीना ही हुआ था. वाइट हाउस में भाषण दे रहे थे. उसी बीच में रक्षा मंत्री का जिक्र आया. मगर वो उनका नाम भूल गए.
  •  सितंबर 2021. बाइडन यहूदी नेताओं के साथ बात कर रहे थे. वहां उन्होंने दावा किया कि उन्होंने ट्री ऑफ लाइफ सिनेगॉग में समय बिताया है. ये सिनेगॉग पेन्सिलवेनिया के पिट्सबर्ग शहर में है. अक्टूबर 2018 में वहां 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी. बाइडन ने वहां समय बिताने और पीड़ितों को याद करने का दावा किया था. बाद में वाइट हाउस को कबूलना पड़ा कि उनका दावा फर्जी था.
  • मार्च 2022. बाइडन पोलैंड में थे. वहां प्रेस के सामने बोले कि पुतिन को कुर्सी से उतार देना चाहिए. कहा गया कि बाइडन तख्तापलट के लिए उकसा रहे हैं. बाद में वाइट हाउस को सफाई देनी पड़ी कि राष्ट्रपति का मतलब कुछ और था.
  • सितंबर 2022. बाइडन वाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. वहां इंडियाना स्टेट से आने वाली सांसद जैकी वालोस्की का नाम पुकारने लगे. जबकि एक महीने पहले ही जैकी की मौत हो चुकी थी.
  • फरवरी 2024. बाइडन इजरायल-हमास युद्ध पर पत्रकारों से बात कर रहे थे. वो वहां हमास का नाम भूल गए. कई बार याद करने के बाद भी उनको ध्यान नहीं आया. फिर उन्होंने हमास के बदले ‘अपोजिशन’ शब्द का इस्तेमाल किया.
'भूलना और लड़खड़ाना'

बयानों में हेरफेर से इतर भी बाइडन कई बार कमजोर दिखे हैं. एयरफोर्स वन में चढ़ते हुए गिर जाना, स्टेज पर लड़खड़ा जाना, हाथ मिलाने के बाद भूल जाना या अचानक से खो जाना. एक केस इटली में हुई G7 समिट का है. जहां पैराशूट इवेंट में बाइडन किसी और तरफ ध्यान देते दिखते हैं. फिर इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी उनका हाथ पकड़कर वापस लाती हैं.

डॉनल्ड ट्रंप, उनके समर्थकों और कॉन्सपिरेसी थ्योरी फैलाने वाले लोगों ने इसको अपने हिसाब से पेश किया. कहा गया कि बाइडन मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार हैं. उन्हें जबरन कुर्सी पर बिठाया गया है. चाबी किसी और के पास है. वो राष्ट्रपति बने रहने के काबिल नहीं हैं. एक और टर्म तो कतई नहीं. हालांकि, वाइट हाउस के प्रवक्ता एंड्रयू बेट्स ने वीडियो को अधूरा बताकर इन दावों को खारिज कर दिया.

मगर इससे बहस खत्म नहीं हुई. बाइडन के समर्थकों के मन में और उनकी पार्टी के अंदर भी संशय पैदा हुआ है. जैसे-जैसे बाइडन गलतियां कर रहे हैं, उनकी दुविधा बढ़ी है.

अधिकतम उम्र सीमा की मांग

इस वक्त दुनिया दो बड़े युद्धों से जूझ रही है. रूस-यूक्रेन और इज़रायल-हमास वॉर. चीन-ताइवान विवाद और मिडिल-ईस्ट में तनाव बढ़ा है. इन सबमें अमेरिका के हित हैं. अमेरिका के अंदर शरणार्थी संकट, अवैध बॉर्डर क्रॉसिंग्स, मास शूटिंग्स जैसे मुद्दे हैं. ऐसे समय में क्या अमेरिका अपने राष्ट्रपति की जुबानी फिसलन या कमज़ोर छवि अफॉर्ड कर सकता है? अगर लोगों ने अपने राष्ट्रपति में भरोसा खो दिया, फिर क्या होगा? इन्हीं सवालों ने राष्ट्रपति के लिए अधिकतम उम्र सीमा को बहस के केंद्र में रखा है. अमेरिका में एक बड़ी आबादी लिमिट तय करने के समर्थन में है. प्यू रिसर्च सेंटर के अक्टूबर 2023 के सर्वे के मुताबिक, 82 फीसदी रिपब्लिकन और 76 फीसदी डेमोक्रेट्स चुने जाने वाले नेताओं के लिए अधिकतम उम्र तय करने के पक्ष में थे. जनवरी 2024 के CBS न्यूज़ के सर्वे में आया था कि 75 फीसदी लोग इसका समर्थन कर रहे थे.

2023 में रिपब्लिकन पार्टी के सांसद जॉन जेम्स ने राष्ट्रपति के लिए 75 बरस की लिमिट तय करने के लिए संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव दिया था. हालांकि, उनको किसी का समर्थन नहीं मिला. अमेरिका में संवैधानिक संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई सदस्यों का वोट चाहिए. हाल-फिलहाल में इसकी गुंज़ाइश बहुत कम दिखती है.

Cognitive Test की मांग

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन के कई समर्थक और आलोचक भी चाहते हैं कि वो अपनी योग्यता साबित करें. इसके लिए कॉग्निटिव टेस्ट (संज्ञानात्मक परीक्षण) की मांग की जा रही है. इस टेस्ट में इन बातों की जांच की जाती है-

  • सोचने की क्षमता
  • सीखने की योग्यता
  • याद रखने की क्षमता
  • निर्णय लेने की योग्यता और 
  • बोलने का तरीका
cognitive test किसको रिकमेंड किया जाता है?

इस टेस्ट की सलाह उन्हें दी जाती है जिन्हें लगता हो की उन्हें चीजों को याद रखने में दिक्कतें आ रही हैं. या जिन्हें ध्यान केंद्रित करने में या निर्णय लेने में कठिनाई होती है. या जिनका मस्तिष्क उस तरह से काम नहीं कर रहा है जैसा उन्हें लगता है कि उसे काम करना चाहिए. ऐसे मामलों में उम्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

हालांकि, बाइडन ने कॉग्निटिव टेस्ट सहित किसी भी तरह की न्यूरोलॉजिकल जांच से इनकार कर दिया है. उन्होंने परिणामों को जनता के सामने रखने से भी मना कर दिया है. उन्होंने कहा है कि उनका राष्ट्रपति बनना और फिर से चुनाव लड़ने का फैसला लेना ही अपने आप में कॉग्निटिव टेस्ट हैं.

Biden नहीं तो कौन?

भले ही बाइडन के पहले डिबेट को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. लेकिन वो अब भी इस मुकाबले को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि, उनके डिबेट के बाद उनके विकल्प की चर्चा होने लगी है. द वीक मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई वोटर चाहते हैं कि बाइडन अपनी सीट छोड़ दें. और उनकी जगह कोई ऐसा उम्मीदवार आए जिसके जीतने की संभावना हो. 

अगर बाइडन अपना नाम वापस ले लेते हैं तो जरूरी नहीं कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को टिकट दे दिया जाए. डेमोक्रैटिक नेशनल कमेटी के पास नया उम्मीदवार चुनने का अधिकार है. कमेटी अलग-अलग पैमाने पर जांचने के बाद अंतिम फैसला लेती है. दूसरी और अंतिम प्रेसिडेंशियल डिबेट सितंबर में होनी है.

वीडियो: दुनियादारी: क्या डेमोक्रेटिक पार्टी Joe Biden से पीछा छुड़ा लेगी?

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