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मदरसा सर्वे: कक्षा 4 का बच्चा हिंदी नहीं पढ़ पाया, 6 के बच्चे को नहीं पता था "ट्विंकल-ट्विंकल"

मदरसा वालों ने कहा - "बच्चे डर गए थे"

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देवरिया में एक मदरसे का सर्वे करते अधिकारी | फोटो: आजतक
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अभय शर्मा
23 सितंबर 2022 (Updated: 23 सितंबर 2022, 16:50 IST)
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मदरसों के सर्वे का काम शुरू हो गया है. इसी कड़ी में देवरिया (Deoria) में मदरसों की जांच-पड़ताल की गई. और रिपोर्ट कहती है कि मदरसे में अधिकारी घुसे, बच्चों से हिन्दी पढ़ाई और अंग्रेजी कविता पूछी, बच्चे नहीं पढ़ पाए. 

मदरसे में बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पाए

आजतक से जुड़े राम प्रताप सिंह के मुताबिक देसही विकासखंड में सर्वे के दौरान अधिकारियों ने बच्चों से अंग्रेजी और हिंदी की किताबें पढ़वाईं, गणित के कुछ सवाल और पहाड़े पूछे, तो बच्चे कुछ भी नहीं बता पाए. कुछ बच्चे तो हिंदी के शब्दों का उच्चारण तक ठीक से नहीं कर सके.

जिले के सदर ब्लॉक के मरकज अल हुदा मदरसे में कक्षा छह में पढ़ने वाला छात्र ना तो हिंदी की कोई कविता सुना पाया और ना ही इंग्लिश में ट्विंकल-ट्विंकल लिटल स्टार. इसके बाद यहां भी अधिकारियों ने बच्चों से पहाड़े सुनाने को कहा, तो वो भी नहीं सुना सके. इसी तरह गौरीबाजार इलाके के जमीयते उलूम मदरसे के कक्षा तीन और चार में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पा रहे थे.

मदरसों में पैसा कहां से आता है?

आजतक के मुताबिक सर्वे के दौरान मरकज अल हुदा मदरसे के संचालक मोहम्मद शाहिद ने बताया,

'मदरसे को चलते हुए 2 महीने ही हुए हैं. यहां कुल 39 बच्चे पढ़ते हैं. जिसमें 10 लोकल हैं. अन्य दूसरे राज्यों से आते हैं. यूपी और अन्य राज्यों से जो जकात (दान) मिलता है, उसी से  सालाना 9 से 10 लाख रुपये मिलते हैं. यहां सिर्फ 6 टीचर हैं."

इसके अलावा जामिया तुल उलूम नाम के मदरसे के टीचर सादिक ने बताया कि उनके यहां 16 बच्चे पढ़ते हैं. यहां खाने-पीने का पूरा इंतजाम है. बिहार और यूपी से बच्चे पढ़ने आते हैं. उनके मुताबिक मदरसे में हिंदी, अंग्रेजी और गणित भी पढ़ाई जाती है, लेकिन अधिकारियों को देखकर बच्चे डर गए, इसलिए कुछ नहीं बता सके. सादिक ने ये भी बताया कि लोग चंदे के तौर पर जो पैसा देते हैं, मदरसा उसी से चलता है.

गौरी बाजार के जमीयते उलूम मदरसे में 16 बच्चे हैं. जिसमें 6 बिहार के अररिया जिले के रहने वाले हैं, बाकि 10 यूपी में रहते हैं. मरकज मदरसा में 39 बच्चे हैं. फंडिंग के बारे में इन मदरसों के भी प्रबंधकों ने यही बताया कि मदरसों का पूरा संचालन चंदे और गांवों के लोगों से मिलने वाले राशन से होता है.

मदरसों की कौन सी जानकारी सरकार को भेजी जाएगी?

सर्वे के दौरान देवरिया के अल्पसंख्यक अधिकारी नीरज अग्रवाल ने आजतक को बताया कि सर्वे पूरा होने के बाद शासन को 12 बिंदुओं की रिपोर्ट भेज दी जाएगी. इसमें मदरसे का नाम, उसे संचालित करने वाली सोसायटी का नाम, पढ़ने वाले बच्चों की संख्या और पाठ्यक्रम से जुड़ी जानकारी होगी. अधिकारी मदरसों की फंडिंग से जुड़ी जानकारी भी जुटा रहे हैं.

वीडियो देखें : UP में मदरसों के सर्वे को असदुद्दीन ओवैसी ने NRC की तरह बताया

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