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फैक्ट चेक करने से कतरा रहे हैं कॉन्टेंट क्रिएटर? यूनेस्को की रिपोर्ट तो यही इशारा कर रही है

UNESCO द्वार किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 62 फीसदी Content Creators किसी भी खबर को शेयर करने से पहले स्टैंडर्ड तरीके से उसका फैक्ट चेक नहीं करते हैं. UNESCO ने ऐसे क्रिएटर्स की ट्रेनिंग के लिए एक ग्लोबल ट्रेनिंग इनिशिएटिव लॉन्च किया है.

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UNESCO survey Content creator fact check
अधिकतर कंटेट क्रिएटर्स सही तरीके से फैक्ट चेक नहीं करते है. (UN Site)
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आनंद कुमार
29 नवंबर 2024 (Published: 13:01 IST)
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डिजिटल कॉन्टेंट क्रिएटर (Content Creator) आज के दौर में लोगों के लिए सूचना के एक प्रमुख स्रोत बन गए हैं. दर्शकों का इन पर भरोसा भी होता है. लेकिन UNESCO ने कॉन्टेंट क्रिएटर से जुड़ा एक सर्वेक्षण किया है. जो इनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है.  सर्वेक्षण के मुताबिक 62 फीसदी कॉन्टेंट क्रिएटर कोई भी खबर साझा करने से पहले स्टैंडर्ड तरीके से उसका फैक्ट चेक नहीं करते हैं.

UNESCO के महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने बताया, 

डिजिटल कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने इंफॉर्मेशन इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है. जो कि लाखों  लोगों को सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक खबरों से जोड़ता है. लेकिन इनमें से अधिकतर  भ्रामक जानकारी और हेट स्पीच से जूझ रहे हैं. और इनको ट्रेनिंग की जरूरत है.

संयुक्त राज्य अमेरिका के बॉलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स की मदद से UNESCO ने 'बिहाइंड दि सीन' नाम से एक सर्वे किया. इस सर्वे में 45 देशों के 500 कॉन्टेंट क्रिएटर्स को शामिल किया गया. जिससे कॉन्टेंट की सत्यता जांचने की प्रक्रिया में बरते जाने वाली कमियां सामने आईं.  सर्वे में सामने आया कि पब्लिक डिस्कोर्स पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले इन कॉन्टेंट क्रिएटर्स में से 63 फीसदी फैक्ट चेक के स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल फॉलो नहीं करते हैं.

सर्वेक्षण में ये भी पता किया गया कि कॉन्टेंट क्रिएटर्स किस तरह से सूचना की विश्वसनीयता का आकलन करते हैं. इनमें 42 फीसदी लोग खबरों की विश्वसनीयता के लिए लाइक और शेयर जैसे सोशल मीडिया मीट्रिक्स का इस्तेमाल करते है. जबकि 21 फीसदी लोग इसे शेयर करने वाले मित्रों पर भरोसा करके शेयर करते हैं. और केवल 36.9 फीसदी क्रिएटर्स ही वेरीफिकेशन के लिए मेनस्ट्रीम की पत्रकारिता पर भरोसा करते हैं.

कॉन्टेंट क्रिएटर्स के लिए डिजिटल राइट्स भी एक बड़ी चुनौती हैं. लगभग 60 फीसदी क्रिएटर्स बेसिक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और अंतरराष्ट्रीय मानकों को समझे बिना ही काम करते हैं. जिसके चलते वे उनके कानूनी अड़चनों में फंसने और ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होने का खतरा बना रहता है. लगभग एक तिहाई कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने हेट स्पीच का सामना किया है. लेकिन इनमें से केवल 20.4 फीसदी लोगों को पता है कि इन घटनाओं की सूचना उचित प्लेटफॉर्म पर कैसे दी जाए.

UNESCO ने लॉन्च किया ग्लोबल ट्रेनिंग इनिशिएटिव

कॉन्टेंट क्रिएटर्स को आनेवाली इन चुनौतियों का सामना करने के लिए UNESCO ने एक पहल शुरू की है. UNESCO ने नाइट सेंटर फॉर जर्नलिज्म (USA) के साथ मिलकर पहली बार वैश्विक प्रशिक्षण पाठयक्रम विकसित किया है. ये एक चार सप्ताह का कार्यक्रम है. जिसमें अब तक 160 देशों के 9 हजार से ज्यादा प्रतिभागी भाग ले चुके हैं. इस कार्यक्रम के तहत सोर्स वेरीफिकेशन, फैक्ट चेकिंग मेथड और ट्रेडिशनल मीडिया आउटलेट्स के साथ सहयोग की ट्रेनिंग दी जाती है.

73 फीसदी कॉन्टेंट क्रिएटर्स ने UNESCO के सर्वे में इस तरह की ट्रेनिंग की जरूरत बताई है. यह पहल UNESCO की 2023 की गाइडलाइन (गाइडलाइंस फॉर दि गवर्नेंस ऑप डिजिटल प्लेटफॉर्म्स) की घोषणा के बाद डिजिटल मिसइंफॉर्मेशन से निपटने की व्यापक रणनीति पर आधारित है.

वीडियो: यूनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा छिन कैसे जाता है?

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