मध्य प्रदेश में दो अलग-अलग जैन मंदिरों में ड्रेस-कोड लागू किया गया है. दूसरेमंदिर ने धर्म की 'प्राचीन संस्कृति' बचाने के लिए लड़कियों के लिए भी ड्रेस-कोडबताया है. दोनों ने ये बताने के लिए बाकायदा बोर्ड और पोस्टर लगाए हैं. मध्य प्रदेशकी एक जगह है, काकागंज. वहां जैन लोगों का एक मंदिर है. नाम है आदिनाथ दिगंबर जैनमंदिर. यहां एक बोर्ड लगा है. इसमें जैन लोगों को एक ख़ास ड्रेस कोड पहनने के लिएकहा गया है. पहले बोर्ड देखिए. मंदिर की तरफ से कहा गया है कि जैन लोगों को पीले औरसफ़ेद कपड़े पहनने चाहिए. साथ ही, ये भी लिख दिया कि ये जैन समाज की एकता का प्रतीकहै. वैसे तो मंदिरवालों ने पूरे निर्देश लिखने के बाद नीचे 'डिस्क्लेमर' दे दिया हैकि ये आदेश नहीं, बल्कि अनुरोध है. लेकिन, अनुरोध आदेश में कब बदल जाते हैं, पतानहीं चलता. धर्म के मामलों में तो ऐसे ढेर सारे उदाहरण मिल जाएंगे. पहले निर्देशमें कहा गया है, ''वर्तमान में जैन अल्पसंख्यक हैं, श्वेत एवं पीले वस्त्रधारीव्यक्ति को देखकर अलग से समझ आएगा कि ये व्यक्ति जैन है और देव दर्शन को जा रहा है.दूसरे लोग आपको प्रशंसा की दृष्टि से देखेंगे.'' बोर्ड में ड्रेस कोड के पीछेभक्ति-भावना जैसी कोई चीज नहीं बताई गई है, जैसा हमारे देश में होता है. बहुत सेलोग किसी ख़ास दिन अपनी आस्था के हिसाब से किसी ख़ास रंग के कपड़े पहनते हैं, लेकिनयहां वजह 'जैनों का अल्पसंख्यक होना' बताई गई है. समाज में 'अलग नज़र आने पर जोर'दिया गया है. इसका दूसरा निर्देश तो अजब ही है. इसमें लिखा गया है, ''यहां ड्रेसकोडहमारी समाज की एकता का प्रतीक है.'' इस तरह की बातें राजनीतिक लगती हैं. 'हमाराधर्म, हमारी जाति, हमारा समुदाय. हम दूसरों से अलग हैं. हमें एक होना चाहिए.' इनकामों के लिए वॉट्सऐप से लेकर ज़मीनों तक में तरह-तरह के ग्रुप बनते हैं और लोग अपनेधर्म-जाति की 'पूरी लगन' के साथ 'रक्षा' करते हैं. इनमें अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक सबशामिल हैं. सबको एक-दूसरे से खतरा नज़र आता है. एक और बात बोर्ड में कही गई है.दिनभर की दिनचर्या से कपड़े अशुद्ध हो जाते हैं, मंदिर पहनकर आने लायक नहीं होते.ऐसे में इन्हें पहनने से हम पापकर्म में भागीदार बनते हैं. ठीक है. आपकी आस्थाहै. आपका विश्वास है. जैन भक्त इसे मान भी लेंगे, लेकिन क्या आपको नहीं लगता किबहुत से लोग आपके मंदिरों में रोजाना आते हैं? ऐसे में साफ़ कपड़ों के क्या मापदंडहैं, ये भी बता देते महोदय.लड़कियों के लिए निर्देश सागर की ही वर्धमान कॉलोनी में भी एक जैन मंदिर है. यहां भी नियमों वाला एक पोस्टरलगा हुआ है. पोस्टर सकल दिगंबर जैन समाज वालों ने लगवाया है. देखिए: वैसे तो दिगंबरमुनि कपड़ों से कोई मतलब नहीं रखते, लेकिन कपड़ा ही जैनियों के लिए मुद्दा बना रहताहै. खासकर लड़कियों के मामले में. लड़कियों के कपड़ों से धर्म अक्सर खतरे में आ जाताहै. इनका भी आ गया. इस पोस्टर के निर्देश के मुताबिक लड़कियों से कहा गया है किजींस, टी-शर्ट, टॉप, स्कर्ट, लोअर, काले कपड़ों और अभद्र कपड़े पहनकर मंदिर में नआएं. इससे जैन धर्म की प्राचीन संस्कृति को नुकसान पहुंचता है. पिछले साल तो मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक जैन मंदिर ने लड़कियों को जींस पहनकर आने से मना ही कर दियाथा. उम्मीद है इन चीजों से उनकी 'प्राचीन संस्कृति' बच गई थी और आगे भी बची रहेगी.--------------------------------------------------------------------------------ये स्टोरी निशांत ने की है.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें-जैन मंदिर पुराने नोटों को बदलवाने के लिए भक्तों को लाइन में खड़ा कर रहा हैकमीशन लेकर काले धन को सफेद करने में जुटे हैं पंडे-पुजारिन