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TMC के जिन पूर्व-सांसद की कंपनी TMC को ही दान दे रही थी, वो ख़ुद स्कैम में फंसे हुए हैं!

जांच में पता चल रहा है कि सांसद के परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों ने TMC को बॉन्ड के ज़रिए 23.30 करोड़ रुपये दिए हैं.

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नवंबर, 2014 में सृंजॉय बोस का सारदा समूह से जुड़े पोंजी घोटाले के संबंध में गिरफ़्तार किया था.
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सोम शेखर
15 अप्रैल 2024 (Updated: 15 अप्रैल 2024, 02:26 PM IST)
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पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी TMC के पूर्व-राज्यसभा सांसद हैं, सृंजॉय बोस. सारदा चिटफंड केस से जुड़े आरोप में CBI की गिरफ़्त में हैं. पिछले महीने चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड्स से जुड़े जो आंकड़े जारी किए थे, उनके मुताबिक़ बोस के परिवार से जुड़ी तीन कंपनियों ने TMC को बॉन्ड के ज़रिए 23.30 करोड़ रुपये दिए हैं. और, ये पैसे उन्हें 2021 विधानसभा चुनाव जीतने और सरकार बनाने के तुरंत बाद दिए गए थे.

द इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े जॉय मज़ूमदार की जांच रिपोर्ट के मुताबिक़,

- जुलाई, 2021 और जुलाई, 2023 के बीच ‘रिप्ले ऐंड कंपनी स्टीवडोरिंग एंड हैंडलिंग प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी ने सात किश्तों में TMC को 11.50 करोड़ रुपये दान किए. इस कंपनी के निदेशक प्रशांत कुमार जायसवाल ने अलग से भी अक्टूबर, 2023 में 4.30 करोड़ रुपये दिए थे.

ये कंपनी 2000 में कोलकाता में बनी थी. मुख्यतः भारत और विदेशों में अलग-अलग बंदरगाहों पर लोडिंग और व्यापार के काम में है. कंपनी रिकॉर्ड्स के अनुसार, सृंजॉय बोस और उनके भाई शौमिक के पास कंपनी के 98% स्टेक थे. फिर 2010 में सृंजॉय ने रिप्ले के डायरेक्टर पद से इस्तीफ़ा दे दिया और 2014 में अपनी 49% हिस्सेदारी अपनी मां संपा बोस को ट्रांसफ़र कर दी थी. रिकॉर्ड बताते हैं कि अब उन्हें एक स्थायी कर्मचारी की तरह ही वेतन मिलता है. कितना? सालाना 1.8 करोड़ रुपये.

- जनवरी, 2022 में बोस परिवार की दूसरी कंपनी 'नेटिनकॉन मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड' ने पार्टी को 3 करोड़ रुपये का दान किए. साल 2006 में बनी थी. थोक व्यापार, परिवहन और भंडारण सेक्टर में काम करती है. इस कंपनी में सृंजॉय की 50.5 फ़ीसदी हिस्सेदारी है. बचा हुआ 49.5 फ़ीसदी हिस्सा उनके भाई शौमिक और उनकी पत्नी राय बोस के पास है.

- अक्टूबर, 2022 और जुलाई, 2023 के बीच सुरक्षा, परिवहन और भंडारण सेक्टर की कंपनी 'ऐरो प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड' ने चार किश्तों में TMC को साढ़े चार करोड़ रुपये डोनेट किया है. इस कंपनी का ऑफ़िस और डायरेक्टर वही है, जो नेटिनकॉन मार्केटिंग का है. दरअसल, इसे 2009 में शामिल किया गया था.

चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल, 2019 के बाद से इनमें से किसी भी कंपनी ने TMC के अलावा किसी और पार्टी को दान नहीं दिया.

ये भी पढ़ें - इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े इन सवालों के जवाब आपके सारे कंफ्यूजन दूर कर देंगे!

सृंजॉय, 2011 में TMC से राज्यसभा सांसद बने थे. नवंबर, 2014 में उन्हें सारदा समूह से जुड़े पोंजी घोटाले के संबंध में गिरफ़्तार किया था. केंद्रीय जांच एजेंसी (CB0 ने उन पर आपराधिक साजिश, धन की हेराफेरी और अनुचित फ़ायदा पाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. फ़रवरी, 2015 में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था. निकलने के बस एक दिन बाद उन्होंने राज्यसभा और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था. ये कहते हुए कि हिरासत में उन्हें एहसास हुआ कि राजनीति उनके 'बस की बात नहीं'.

इंडियन एक्सप्रेस ने जब उन्हें संपर्क किया, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. 

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