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थाइलैंड के राजा से लोग गुस्सा हुए तो छोटा टॉप पहनकर मॉल में घुस गए

आखिर किस बात को लेकर प्रोटेस्ट चल रहा है?

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थाइलैंड में मॉल में क्रॉप टॉप पहनकर पहुंचे प्रदर्शनकारी. (फोटो- ट्विटर @paritchi/वीडियो स्क्रीनशॉट)
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लालिमा
21 दिसंबर 2020 (Updated: 21 दिसंबर 2020, 08:53 IST)
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थाइलैंड. दक्षिणपूर्वी एशिया में बसा एक देश है. यहां पिछले कई महीनों से प्रोटेस्ट हो रहा है. देश के राजा, देश की सेना और कुछ तानाशाही रवैये वाले कानूनों के खिलाफ. प्रदर्शनकारी, विरोध जताने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं. 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ प्रदर्शनकारी 20 दिसंबर को 'क्रॉप टॉप' पहनकर बैंकॉक के एक शॉपिंग मॉल पहुंचे. इनमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल थे. ये सभी अपने राजा महा वजिरालोंगकोर्न के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. और राजशाही के अपमान को लेकर बनाए गए कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे.

दरअसल, कुछ साल पहले राजा वजिरलॉन्गकोर्न की कुछ तस्वीरें सामने आई थीं, जिनमें वो क्रॉप टॉप पहने नज़र आ रहे थे. ये तस्वीरें खासी वायरल हुई थीं. ऐसे में राजा पर कटाक्ष के मकसद से प्रदर्शनकारी क्रॉप टॉप पहनकर पहुंचे थे. मॉल में राजा की बेटी द्वारा डिज़ाइन किए गए कपड़ों के स्टोर के बाहर प्रोटेस्ट किया गया.

थाइलैंड में 'मजेस्टी लॉ' के चलते कम से कम 35 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हाल में केस दर्ज हुए हैं. इनमें 16 बरस का एक लड़का भी शामिल है, जिसने एक प्रदर्शन में क्रॉप टॉप पहना था. उसके टॉप पर राजशाही व्यवस्था के खिलाफ स्लोगन लिखा हुआ था. इसी के चलते उस पर केस दर्ज हुआ. मॉल में पहुंचे प्रदर्शनकारियों में पेरिट शिवारक भी शामिल थे, ये जाने-माने पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं. उनका कहना है कि अगर हम आज 16 साल के उस लड़के के लिए नहीं लड़ेंगे, तो फिर आगे कोई भी अपने विचार रखने के लिए सुरक्षित महसूस नहीं करेगा.

जुलाई से हो रहा है प्रदर्शन, लेकिन क्यों?

दरअसल, थाइलैंड में बरसों से राजनैतिक अस्थिरता बनी हुई है. यहां जनता के लिए संविधान तो है, लेकिन राजा-महाराजा वाली व्यवस्था भी बरकरार है. कई बार देश में तख्तापलट हो चुका है, कई बार नए संविधान लागू किए जा चुके हैं. सबसे रीसेंट कॉन्स्टिट्यूशन 2017 में आया. थाइलैंड के राजा महा वजिरलॉन्गकोर्न ने संविधान में अपने मुताबिक, कुछ क़ानून जुड़वा दिए.

- आर्टिकल 6- इसके तहत राजा पर किसी तरह का आरोप नहीं लग सकता. - सेक्शन 112- राजा की आलोचना करने पर 15 साल की क़ैद. - राजनैतिक संकट के समय शासन चलाने के लिए प्रतिनिधि अपॉइंट करने की पावर - राजपरिवार से जुड़ी सारी संपत्ति का समूचा कंट्रोल राजा के पास.

फिर चुनाव में धांधली हुई

ये सब हुआ. फिर चुनाव की मांग उठी. काफी हीला-हवाला के बाद 2019 में यहां आम चुनाव हुए. चुनाव में वोटर फ्रॉड और बोगस वोटिंग की शिकायतें आईं. इसके बावजूद संसद के निचले सदन में प्रो-डेमोक्रैटिक पार्टियों को बहुमत मिल गया. ऐसे में अपना रास्ता साफ करने के लिए सेना ने विपक्षी नेताओं पर मनमाने आरोप लगाए. कई नेताओं को डिस्क्वॉलिफाई कर दिया गया. उनकी पार्टियां भी भंग कर दी गईं.

रही-सही कसर पूरी की सेना द्वारा बनाए गए संविधान ने. चुनाव के बाद, सेना और मोनार्की, दोनों ने एकबार फिर अपने हित सुरक्षित कर लिए. इन सबके खिलाफ जुलाई 2020 में थाइलैंड के छात्र और युवाओं ने प्रदर्शन शुरू किया. उनका कहना है कि थाइलैंड में लोकतांत्रिक बदलाव लाए बिना वो शांत नहीं बैठेंगे. 20 सितंबर को इन प्रदर्शनकारियों ने शाही महल के बाहर एक तख़्ती भी गाड़ दी. इसपर लिखा था-

ये देश यहां की जनता का है. ये मुल्क किसी राजा की संपत्ति नहीं है. राजाओं ने हमेशा ही जनता को छला है.

बाद में प्रशासन ने ये तख़्ती हटा दी, लेकिन प्रदर्शनकारी रुके नहीं. नए-नए तरीके खोजने लगे. इस पूरे विरोध की यही सबसे सुंदर बात है कि ये शांतिपूर्ण है. लोग क्रिएटिव तरीकों से मोनार्की की बेअदबी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- थाइलैंड के लोग महीनों से सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

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