मकबूल भट: कश्मीर में आतंक का पहला पोस्टर बॉय
बुरहान वानी से पहले भी कश्मीर में आतंकियों के लिए एक पोस्टर बॉय था. मकबूल भट, जिसके नारे 9 फरवरी को JNU में लगाए गए थे. जानिए उसी आतंकी मकबूल के बारे में.
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आतंकी बुरहान वानी मारा गया.
जनाजे में हजारों लोग जुटे. लोगों को जुटना खबर से ज्यादा सवाल है. सवाल कि क्या कश्मीर को उसका नया पोस्टर बॉय मिल गया. जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मेरी बात याद रखना. बुरहान की कब्र से अब ज्यादा आतंकियों की भर्तियां होंगी.' जानकारों ने कहा, 'बुरहान के मारे जाने से कश्मीर में हालात बिगड़ेंगे. कश्मीर के लोग बुरहान को नए पोस्टर बॉय की तरह देखेंगे.' लेकिन क्या आप जानते हैं कश्मीर में आतंकियों का पहला पोस्टर बॉय कौन था?
कल्चरल इवनिंग के नाम पर जेएनयू में जो बवाली कचरा शाम बुलाई गई थी. उस शाम के बुलावे वाले पोस्टर में दो नाम थे. पहला अफजल गुरु, संसद हमले का दोषी. फांसी पर लटका दिया गया था. दूजा नाम था उस कश्मीरी का, जिसे 1984 में फांसी पर लटका दिया गया था. जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का को-फाउंडर मकबूल भट. यही मकबूल सालों से कश्मीर की आजादी की मांग करने वालों के लिए पोस्टर बॉय है. जानिए क्यों मकबूूल भट को सालों पहले फांसी पर लटका दिया गया था.
जेएनयू में प्रोटेस्ट के लिए लगाए गए पोस्टर
1. कश्मीर तब न इंडिया का था, न पाकिस्तान का. बंटवारा नहीं हुआ था. कश्मीर बस कश्मीर था. साल 1938, महीना फरवरी का. कुपवाड़ा जिले के त्राहगाम में मकबूल पैदा हुआ. 11 बरस का था, अम्मी चल बसीं.
2. श्रीनगर के सेंट स्टीफेंस से हिस्ट्री और पॉलिटिक्ल साइंस की पढ़ाई की. उर्दू से मुहब्बत थी. पढ़ाई के लिए पाकिस्तान की पेशावर यूनिवर्सिटी चला गया. शायर अहमद फराज़ से मुलाकात हुई. मकबूल शायरी पसंद करने लगा. पाकिस्तान में लोकल पेपर 'अंजाम' में काम करने लगा.
3. मकबूल भट पाकिस्तान से ब्रिटेन के शहर बर्मिंघम चला गया. वहां 'जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट' बनाया. दिमाग में फितूर ज्यादा था, तो इसी ऑर्गेनाइजेशन की विंग बनाई 'जम्मू-कश्मीर नेशनल लिबरेशन फ्रंट(JKLNF).' ये ग्रुप वही है, जिसने बाद में इंडियन आर्म फोर्स से हथियारों से लैस होकर जमकर लड़ाई की. खूब खूनम खच्चर हुआ.
4. मकबूल भट बाद के सालों में पाकिस्तान से इंडिया आ गया. कश्मीर की आजादी की बात करने लगा. साल था 1966. मकबूल और JKLNF के आतंकियों की पुलिस से मुठभेड़ हुई. मकबूल का अलगाववादी साथी औरंगजेब मुठभेड़ में मारा गया. मुठभेड़ में क्राइम ब्रान्च ऑफिसर अमर चंद भी मारे गए.
5. पुलिस ने अमरचंद की हत्या के आरोप में मकबूल भट और काला खान को अरेस्ट किया. मकबूल पर दुश्मन का एजेंट होने का चार्ज लगाया गया. मौत की सजा सुनाई गई. कोर्ट में सुनवाई के दौरान मकबूल ने कहा:
'मुझे अपने खिलाफ लगाए सारे आरोपों को स्वीकारने में कतई संकोच नहीं है. लेकिन याद रखिए. मैं आपके दुश्मन का एजेंट नहीं हूं. मेरी तरफ देखो. मैं आपके कॉलोनियल माइंडसेट का दुश्मन हूं. मेरी तरफ ध्यान से देख लो, मैं तुम्हारा दुश्मन हूं.'6. कोर्ट में मकबूल भट अपना गुनाह कबूल चुका था. लेकिन फिर 1968 में श्रीनगर में कैद में रहने के दौरान एक रोज वो दो कैदियों के साथ सुरंग बनाकर जेल से फरार हो गया था. पुलिस ने छानबीन शुरू की, तो पता चला कि मकबूल भट भागकर पाकिस्तान चला गया.
7. मकबूल भट का नाम फिर सुनाई पड़ा जनवरी 1971 में. इंडियन एयरलाइंस फोक्कर F27 फ्रेंडशिप एयरक्राफ्ट 'गंगा' हाईजैक हो गया. हाइजैक करने वाले कश्मीरी हाशिम कुरैशी और अशरफ भट 'गंगा' को हाईजैक कर लाहौर चले गए.
आतंकी हाशिम कुरैशी (बीच में) के साथ मकबूल भट(बाएं)
पैसंजर्स और क्रू को प्लेन से निकाल बाहर किया गया. और प्लेन में आग लगा दी गई. सुरक्षा एजेंसियों ने मकबूल भट को हाइजैक का मास्टरमाइंड बताया. इसी साल दिसंबर में इंडिया-पाकिस्तान के बीच 1971 की वॉर हुई.
8. इंडिया ने पाकिस्तान से मकबूल भट को अरेस्ट करने के लिए कहा. न नुकुर करते हुए पाकिस्तान ने मकबूल भट को अरेस्ट तो कर लिया. लेकिन इंडिया को सौंपने से साफ इंकार किया. फिर 2 साल बाद 1974 में मकबूल भट को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया.
9. मकबूल भट कुछ वक्त के बाद पाकिस्तान से इंडिया आ गया. इंटैलिजेंस वाले पहले से ही अलर्ट थे. मकबूल भट को अरेस्ट कर लिया गया. मकूबल भट को कोर्ट ने पहले ही फांसी की सजा सुना रखी थी. मामला फिर उठा.
10. तब प्रेसिडेंट थे ज्ञानी जैल सिंह. मकबूल ने अनफेयर ट्रायल कहते हुए दया याचिका दायर की. मकबूल की रिहाई की डिमांड में JKLF के आतंकियों ने बर्मिंघम में इंडियन डिप्लोमैट रविंद्र महात्रे का मर्डर कर दिया. ज्ञानी जैल सिंह ने मकबूल भट्ट की दायिका याचिका नामंजूर कर दी. अपने बर्थडे से एक हफ्ते पहले 11 फरवरी 1984 को मकबूल भट को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया. लाश भी तिहाड़ के अंदर ही दफना दी गई.
JKLF के बारे में बताओ?
बर्मिंघम में 1977 में बनाया गया था. अमानउल्लाह खां और मकबूल भट ने. JKLF वाले अपने आपको नेशनलिस्ट मानते हैं. कहते हैं न हमें पाकिस्तान में जाना और न इंडिया में. हमें बस आजाद कश्मीर चाहिए. इंडिया में JKLF के मुखिया हैं अलगाववादी नेता यासीन मलिक.