The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • supreme court refuses legal re...

आर्य समाज वाली शादी नहीं मानी जाएगी, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नहीं है

Advertisement
arya-samaj
आर्य समाज की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार | प्रतीकात्मक फोटो: आजतक
pic
अभय शर्मा
3 जून 2022 (Updated: 3 जून 2022, 19:41 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने शुक्रवार, 3 जून को आर्य समाज की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि आर्य समाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है. विवाह प्रमाणपत्र जारी करने का ये काम तो सक्षम प्राधिकरण ही करते हैं.  ऐसे में उसके सामने असली प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए.

आज तक से जुड़े संजय शर्मा के मुताबिक ये मामला प्रेम विवाह का है. लड़की के घरवालों ने नाबालिग बताते हुए अपनी लड़की के अपहरण और रेप की एफआईआर दर्ज करा रखी थी. लड़की के घरवालों ने युवक के खिलाफ IPC की धारा 363, 366, 384, 376(2) (n) के साथ-साथ 384 और पॉक्सो एक्ट की धारा 5(L)/6 के तहत मामला दर्ज करवाया था.

इस मामले में युवक का कहना था कि लड़की बालिग है और उसने अपनी मर्जी से विवाह करने का फैसला किया है. युवक के मुताबिक उन दोनों ने आर्य समाज मंदिर में विवाह किया. दोनों ने मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र भी कोर्ट के सामने पेश किया. और कोर्ट से शादी को मान्यता देने की मांग की. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया.

क्या है आर्य समाज से जुड़ी शादी का पूरा मामला?

- एक दंपति ने सुरक्षा की मांग करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. दंपति का दावा था कि उसने आर्य समाज के मंदिर में शादी की है. हालांकि, तब आर्य समाज सभा का कहना था कि उस दंपति ने यहां शादी नहीं की.

- दंपति की याचिका पर 9 दिसंबर 2020 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आदेश पास किया. हाईकोर्ट ने आर्य समाज सभा को शादी की गाइडलाइन में स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को भी लागू करने का आदेश दिया.

- इस फैसले को आगे चुनौती दी गई, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. लेकिन 17 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर 2020 के फैसले को बरकरार रखा और आर्य समाज सभा को स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को भी लागू करने को कहा.

- हाईकोर्ट का आदेश था कि आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों में स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 5, 6, 7 और 8 को लागू किया जाए. स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू होने के बाद शादी से पहले नोटिस जारी करना जरूरी है.

- जबकि, आर्य समाज सभा ने पहले ही अपने मंदिरों में शादी को लेकर गाइडलाइन बना रखी है. इसमें हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के प्रावधान लागू हैं. सभा ने मंदिरों को निर्देश दे रखा है कि शादी से पहले कपल की उम्र और सहमति से जुड़े सारे दस्तावेज मांग लिए जाएं.

- आर्य समाज सभा नहीं चाहती कि उसके यहां स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू हो. आर्य समाज की दलील है कि 1937 से मंदिरों में शादियां हो रहीं हैं. इन शादियों को आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रेगुलेट किया जाता है. और शादी करने वालों को शादी के बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है. 

- लाइव लॉ की खबर के मुताबिक इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. बीते अप्रैल में मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी आर्य प्रतिनिधि सभा से कहा कि वह 1 महीने के अंदर-अंदर स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 5, 6, 7 और 8 के प्रावधानों को अपनी गाइड लाइन में शामिल करे.

- इसी मामले पर आज शुक्रवार, 3 जून को सुप्रीम कोर्ट ने दंपति के आर्य समाज से मिले शादी के सर्टिफिकेट को वैलिड करार देने से इनकार कर दिया.  

नेतानगरी: राज्यसभा चुनाव का तिहाड़ जेल कनेक्शन शो में पता चल गया

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement