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"आंख में धूल झोंक रहे...", सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर सरकारों को जबरदस्त फटकार लगाई

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार और दोनों राज्य सरकारों को ये याद दिलाने का समय आ गया है कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीना लोगों का मौलिक अधिकार है.

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Supreme Court on pollution
दिल्ली-NCR में लगातार हवा की गुणवत्ता खराब होती जा रही है. (फोटो- पीटीआई)
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साकेत आनंद
23 अक्तूबर 2024 (Published: 17:08 IST)
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दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार प्रदूषण रोकने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर रही है. कोर्ट ने प्रदूषण से निपटने के लिए पंजाब और हरियाणा सरकार के प्रयासों को महज आंख में धूल झोंकने वाला बताया. कहा कि तीन साल बाद भी कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने प्रदूषण के मामले पर सुनवाई की. बेंच ने सरकार से कहा कि वो पराली जलाने वाले लोगों पर नाममात्र का जुर्माना लगाकर नियम तोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. कोर्ट ने कहा कि साफ हवा में जीना लोगों को मौलिक अधिकार है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा, 

"केंद्र सरकार और दोनों राज्य सरकारों को ये याद दिलाने का समय आ गया है कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीना लोगों का मौलिक अधिकार है. ये मामले (प्रदूषण) अनुच्छेद-21 के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है. सरकार को इसका जवाब देना होगा कि वो कैसे सुनिश्चित करेगी कि लोग स्वच्छ हवा में रहें और प्रदूषण मुक्त वातावरण उपलब्ध कराएगी."

कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसा लगता है कि सजा के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है. बेंच के मुताबिक, सरकार को नोटिस जारी करने के बदले जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

पंजाब और हरियाणा सरकार से सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मसले पर पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को समन किया था. इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि कितना जुर्माना लगाया गया है. इस पर राज्य सरकार ने कहा कि 417 लोगों से 11 लाख रुपए वसूले गए.

कोर्ट ने पूछा कि उल्लंघन करने वालों पर कितना जुर्माना लगाया गया. पंजाब सरकार ने जवाब दिया कि जुर्माना रकबे के मुताबिक अलग-अलग था. औसतन 2500 रुपए से 5000 रुपए. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप नाममात्र जुर्माना लगा कर लोगों को नियम तोड़ने और कानून हाथ में लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है.

पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि पराली जलाने के मामले में अब तक 44 केस दर्ज किए गए हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि आपने जो 44 मुकदमे दर्ज किए है उनमें किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई? इस साल पराली जलाने की कुल कितनी घटनाएं हुई हैं और इसमें कितनी FIR दर्ज हुई है?

इस पर राज्य सरकार ने कहा कि अब तक 1510 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं और 1084 मुकदमे दर्ज किए हैं.

ये भी पढ़ें- डायबिटीज से लेकर स्ट्रोक तक, वायु प्रदूषण ने भारत में साल भर में 21 लाख की जान ले ली!

रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह हरियाणा सरकार से भी कोर्ट ने पूछा कि अप्रैल से अब तक कितनी FIR दर्ज हुई है. राज्य सरकार ने जवाब दिया कि पराली जलाने की 400 छोटी-बड़ी घटनाओं में 32 FIR दर्ज हुई है.

इस पर कोर्ट ने फटकारते हुए कहा कि आप आंख में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं. बेंच ने कहा कि आपने कोई नीति नहीं बनाई हैं, कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है लेकिन कुछ को सिर्फ जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी कहा कि प्रदूषण के मामलों में जुर्माना बढ़ाए जाने पर विचार कीजिए. केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल (ASG) एश्वर्या भाटी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 10 दिन के भीतर नियम फाइनल किए जाएंगे.

अब मामले की सुनवाई दिवाली की छुट्टी के बाद होगी. दिवाली मुबारक!

वीडियो: प्रदूषण से निपटने के लिए मिला था फंड, केजरीवाल सरकार ने क्या किया? रिपोर्ट में पता चला

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