The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Supreme Court on criminalizing...

'शादी के झांसे के नाम पर रेप का केस' करने का ट्रेंड चिंताजनक, SC की बात दूर तक जाएगी

कोर्ट ने कहा कि अगर लंबे समय तक चले शारीरिक संबंध को बहुत बाद में आपराधिक केस से जोड़ा जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

Advertisement
supreme court on fake rape cases
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया. (फाइल फोटो)
pic
साकेत आनंद
26 नवंबर 2024 (Updated: 26 नवंबर 2024, 23:48 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषों के खिलाफ "शादी का झांसा देकर रेप करने" के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि कोई रिश्ता अगर शादी में नहीं बदलता तो सिर्फ इस आधार पर पुरुष के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने रेप केस के मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया. कहा कि सिर्फ लंबे समय तक चले रिश्ते में अगर खटास आती है और फिर पुरुष के खिलाफ शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगता है तो ये "चिंताजनक ट्रेंड" है.

जस्टिस बी वी नागरत्ना और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच ने कहा कि अगर लंबे समय तक चले शारीरिक संबंध को बहुत बाद में आपराधिक केस से जोड़ा जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को कड़ी आपराधिक प्रक्रिया में घसीटने के लिए ऐसे आरोप बहुत देर से भी लगाए जा सकते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था. उस व्यक्ति के खिलाफ रेप, धोखाधड़ी, जानबूझकर अपमान करने, आपराधिक धमकी जैसे मामलों में केस दर्ज था. शिकायतकर्ता ने उसके खिलाफ आरोप लगाया था कि उसने शादी का झूठा वादा कर करीब 10 साल तक उसके साथ यौन संबंध बनाया.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उनके बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे. उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं और ये तब शुरू हुआ जब उसने शिकायतकर्ता को वित्तीय मदद देना बंद कर दिया.

कोर्ट ने शिकायतकर्ता की दलीलों को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने शादी का झूठा वादा करके उसके साथ “जबरन संबंध” बनाए.

जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह ने अपने फैसले में कहा कि एक दशक तक बिना किसी विरोध या आपत्ति के बना शारीरिक संबंध बताता है कि ये जबरदस्ती नहीं बल्कि सहमति से बना संबंध था. उन्होंने कहा, 

"ऐसा लगता है कि शादी के वादे से कथित रूप से मुकरने के बदले शिकायतकर्ता को वित्तीय सहायता बंद करना, याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप लगाने का ट्रिगर पॉइंट बना है."

कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी महिला के पास पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने के दूसरे कारण भी हो सकते हैं. मसलन, शादी पर जोर देने के बदले सिर्फ पुरुष पार्टनर को पसंद करना. ऐसे में अगर महिला ने सब कुछ जानते हुए लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखा तो सिर्फ यह नहीं कहा जा सकता है कि ये संबंध शादी करने के कथित वादे के कारण था.

ये भी पढ़ें- बाल विवाह कानून के दायरे में पर्सनल लॉ होंगे या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया

एक हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट की इसी बेंच ने एक और मामले में इसी तरह की टिप्पणी की थी. ये मामला साल 2019 का था. इस मामले में भी आरोपी पर शादी का झांसा देकर बार-बार रेप करने का आरोप लगा था. इस पर कोर्ट ने कहा था कि शिकायतकर्ता कथित जबरन संबंधों के बाद भी आरोपी से मिलती रही, जिससे पता चलता है कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे. साथ ही दोनों शिक्षित और एडल्ट हैं.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: बांग्लादेश में इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी, विदेश मंत्रालय क्या बोला?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement