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बहराइच हिंसा के आरोपियों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट- 'UP सरकार हमारे आदेश के उल्लंघन का जोखिम...'

Bahraich Violence: बुलडोजर एक्शन की नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बहराइच हिंसा के तीन आरोपी. कोर्ट ने Bulldozer action पर एक दिन की रोक लगाई.

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Bahraich violence Supreme Court
मामले में अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होनी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर- PTI)
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हरीश
22 अक्तूबर 2024 (Published: 17:41 IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने बहराइच हिंसा के तीन आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर कार्रवाई रोकने का आदेश दिया है. Bahraich Violence के तीन आरोपियों ने उनकी संपत्ति ढहाने की नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. बेंच ने मामले में अगली सुनवाई तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है. अगली सुनवाई कल, यानी 23 अक्टूबर को होनी है. 

जस्टिस बीआर गवई ने कहा,

"आपको इस कोर्ट के आदेश के बारे में पता है. अगर वे (उत्तर प्रदेश सरकार) इन आदेशों का उल्लंघन करने का जोखिम उठाना चाहते हैं, तो ये उनकी मर्जी है."

उन्होंने यूपी सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) केएम नटराज से कार्रवाई पर रोक लगाने को कहा. जवाब में ASG ने कहा कि कल (23 अक्टूबर) तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. 

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहराइच में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. इसके बाद अधिकारियों ने कथित तौर पर हिंसा से जुड़े कुछ लोगों की इमारतों को गिराने के लिए नोटिस जारी किया था. इन लोगों का नाम हिंसा से जुड़ी FIR में आरोपी के तौर पर दर्ज है. PWD का कहना है कि इनकी इमारतें अवैध हैं. 

इन्हीं लोगों में से तीन लोगों ने नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं की तरफ से दावा किया गया कि उनकी संपत्तियां 10-70 साल पुरानी हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी संपत्तियों पर ये कार्रवाई ‘दंडात्मक’ है. उन्होंने कहा कि सरकार का अवैध निर्माण का दावा, सिर्फ बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश को अवैध रूप से चुनौती देने का बहाना है.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर वकील सीयू सिंह कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि आवेदक के पिता और भाई ने सरेंडर कर दिया है. सीयू सिंह ने कोर्ट में आगे कहा कि ये कोर्ट के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है. वहीं यूपी सरकार की ओर से पेश ASG  केएम नटराज ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है और उसने नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है. हालांकि, वकील सीयू सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट ने अभी तक कोई सुरक्षा नहीं दी है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 23 अक्टूबर तक कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा और मामले को अगली सुनवाई के लिए टाल दिया. बता दें, 13 अक्टूबर, 2024 की शाम बहराइच के रेहुआ मंसूर गांव में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. आरोप है कि जुलूस में शामिल राम गोपाल ने दूसरे समुदाय के एक घर की छत पर जाकर नारेबाजी की और भगवा झंडा लहराया. साथ ही, वहां पहले से लगे एक झंडे को भी कथित तौर पर निकाल दिया. आरोप है कि इसके बाद ही राम गोपाल को अगवा कर हत्या कर दी गई.

वीडियो: बहराइच हिंसा के बाद 23 घरों पर चिपके नोटिस, बुलडोजर एक्शन पर क्या बोलीं महिलाएं?

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