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सुप्रीम कोर्ट ने दिया ED को झटका, मनी लॉन्ड्रिंग कानून से जुड़ी कौन सी पावर कम कर दी?

सुप्रीम कोर्ट ने ED की एक PMLA से संबंधित शिकायत को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया. फैसले में कोर्ट ने टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अहम बातें कहीं.

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supreme court money laundering ed cannot invoke pmla
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED की शिकायत को खारिज कर दिया. (सांकेतिक तस्वीर: PTI)
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रवि सुमन
30 नवंबर 2023 (Published: 10:04 IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) के द्वारा अब कथित टैक्स चोरी के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस शुरू नहीं किया जा सकता. दरअसल, 29 नवंबर को ED की तरफ से दायर एक PMLA शिकायत पर सुनवाई की गई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि किसी अपराधिक साजिश को PMLA, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत अनुसूचित अपराध तभी माना जाएगा जब वह अपराध PMLA की अनुसूची में शामिल हो. अन्यथा, मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं शुरू किया जा सकता.

अनुसूचित अपराध का अर्थ है, एक ऐसा अपराध है जिसके बारे में कानून की अनुसूची में लिखा गया है. इससे बता चलता है कि किसी कानून के प्रावधान इस अपराध पर लागू होते हैं.

जस्टिस ए एस ओका और पंकज मिथल की पीठ ने ED की एक PMLA से संबंधित शिकायत को खारिज करते हुए फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि अनुसूची के भाग-A में शामिल IPC की धारा 120B के तहत कोई अपराध केवल तभी अनुसूचित अपराध बन जाएगा, जब वह PMLA के भाग A, B या C में पहले से ही शामिल किसी अपराध को करने के लिए हो.

क्या है पूरा मामला?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने 7 मार्च 2022 को एलायंस यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति मधुकर अंगूर के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की थी. इस पर विवाद शुरू हो गया था. ED ने याचिकाकर्ता पर PMLA की धारा 44 और 45 के तहत आरोप लगाया था. इसमें धारा 8(5) और 70 के साथ धारा 3 के अपराधों का हवाला दिया गया, जो PMLA की धारा 4 के तहत दंडनीय हैं.

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आरोपों के अनुसार, इस मा़मले में 2014 से 2016 तक एलायंस यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी ने अपने कार्यकाल में दिखावटी रूप से बेची गई संपत्तियों को छुपाने में मदद की. इसमें एलायंस यूनिवर्सिटी से संबंधित संपत्तियां शामिल थीं. आगे यह भी दावा किया गया कि उसने आरोपी नंबर-1 की मदद की. आरोप लगा कि विश्वविद्यालय से निकाले गए पैसे को छुपाने के लिए पूर्व वीसी ने अपने बैंक खातों का उपयोग किया था.

इससे पहले मामले की सुनवाई कर्नाटक हाई कोर्ट में हुई थी. यहां हाई कोर्ट ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग की प्रोसेस में सहायता करना भी मनी लॉन्ड्रिंग का ही अपराध है.

इसके बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. जहां अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का नाम न तो FIR में था और न ही उसके बाद के आरोप पत्र में था. याचिकाकर्ता को पहली बार PMLA की धारा 44 और 45 के तहत एक शिकायत में आरोपी बनाया गया.

जवाब में, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि PMLA एक स्वतंत्र कोड है. इसमें जिस व्यक्ति का नाम FIR में नहीं है, उसे भी आरोपी बनाया जा सकता है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने PMLA शिकायत को खारिज कर दिया.

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