साउथ कोरिया में लगा मार्शल लॉ 6 घंटे में वापस, राष्ट्रपति के एलान से लेकर संसद के विरोध तक क्या-क्या हुआ?
South Korea में राष्ट्रपति Yoon Suk Yeol ने Martial Law लगाए जाने की घोषणा की थी. जिसका देशभर में काफी विरोध हुआ. संसद में इसको लेकर हुई वोटिंग के बाद राष्ट्रपति को मार्शल लॉ लगाने का आदेश वापस लेना पड़ा.
साउथ कोरिया (South Korea Unrest) के लोगों के लिए पिछले कुछ घंटे काफी नाटकीय रहे हैं. राष्ट्रपति यून सूक येओल (Yoon Suk Yeol) की तरफ से पहले देश में मार्शल लॉ (Martial Law) लगाए जाने का एलान किया गया. साउथ कोरिया के समयानुसार रात करीब 11 बजे. जिसके बाद दुनियाभर की नजरें साउथ कोरिया पर टिक गईं. देशभर में इसका भयंकर विरोध हुआ और अराजकता की स्थिति पैदा हो गई.
फिर देर रात देश की संसद में 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ को अस्वीकार करने के लिए मतदान किया. जिसके बाद राष्ट्रपति को मार्शल लॉ लगाने का आदेश वापस लेना पड़ा. ये सब हुआ महज 6 घंटों के अंदर. अब इन 6 घंटों में क्या-क्या घटनाक्रम हुआ, इसको सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं.
दरअसल, 3 दिसंबर को राष्ट्रपति यून सूक येओल ने लाइव टेलीविज़न YTN पर एक ब्रीफिंग दी. जिसमें उन्होंने आपातकालीन मार्शल लॉ (Emergency Martial Law) लगाए जाने की घोषणा की. राष्ट्रपति ने विपक्ष पर राज्य-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए ये एलान किया. उन्होंने कहा,
देशभर में प्रदर्शन“दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों और देश विरोधी ताकतों से होने वाले खतरे की वजह से मैं आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं. यह लोगों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. साथ ही लोगों को राष्ट्र में फैल रही अशांति को रोकने की गारंटी देगा.”
मार्शल लॉ प्रभावी ढंग से लागू करवाने के लिए सेना जनरल पार्क अन सू को मार्शल लॉ कमांडर नियुक्त किया गया. मार्शल लॉ कमांडर की तरफ से सभी राजनीतिक गतिविधियों, रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई. मार्शल लॉ लागू होने के बाद पूरे देशभर में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई. संसद के बाहर हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई. इस दौरान ‘मार्शल लॉ खत्म करो’ और ‘तानाशाही को उखाड़ फेंको’ के नारे गूंजने लगे.
विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ दलों के सांसदों ने भी इसका विरोध किया. सत्तारूढ़ रूढ़िवादी पीपुल्स पावर पार्टी के नेता हान डोंग-हून (Han Dong-hoon) ने कहा,
सांसदों ने किया पार्लियामेंट का घेराव“मार्शल लॉ की घोषणा गलत है. हम लोगों के साथ मिलकर मार्शल लॉ की घोषणा का विरोध करेंगे.”
स्थिती बेकाबू होते देख पुलिस ने संसद परिसर को घेर लिया. वहां हेलीकॉप्टर मंडराने लगे. लेकिन कई विपक्षी नेता बैरिकेडिंग को पार कर पार्लियामेंट कैंपस में घुस गए. उन्होंने संसद का घेराव कर नारेबाजी की. कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया. इधर लोगों की भीड़ ने सेना के वाहनों को रोकना शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग हटानी शुरू कर दी.
ये भी पढ़ें: दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ लगा, राष्ट्रपति येओल ने की घोषणा
देश की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने सांसदों को लामबंद करना शुरू किया. डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने काडर की एक इमरजेंसी बैठक भी बुलाई. बैठक में राष्ट्रपति की ओर से उठाए गए कदमों और सरकार की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों को लेकर चर्चा की गई.
190 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट कियाअब बारी थी नेशनल असेंबली में मार्शल लॉ को लेकर वोटिंग की. देर रात हुई वोटिंग के दौरान 300 में से 190 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया. दक्षिण कोरिया के संविधान के आर्टिकल 77 के मुताबिक अगर सांसदों का बहुमत देश में मार्शल लॉ हटाने की मांग करता है, तो सरकार को इसे मानना होगा. अपनी घोषणा के तकरीबन 6 घंटे बाद ही राष्ट्रपति येओल ने इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस ले लिया.
Al jazeera में छपी खबर के मुताबिक राष्ट्रपति ने टेलीविजन पर फिर से एक ब्रीफिंग दी. जिसमे उन्होंने कहा,
क्या है मार्शल लॉ?“मार्शल लॉ हटाने की नेशनल असेंबली की मांग के मद्देनजर, मैंने मार्शल लॉ ऑपरेशन में शामिल सैन्य बलों को वापस बुलाने का आदेश दिया है. एक इमरजेंसी कैबिनेट बैठक के माध्यम से, हम नेशनल असेंबली के अनुरोध को स्वीकार करेंगे और मार्शल लॉ हटाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.”
अब जिस मार्शल लॉ को लेकर इतना विवाद है, वो क्या है. जान लीजिए. आमतौर पर किसी देश की सरकार, आसन्न खतरे या सुरक्षा संकट से निपटने के लिए मार्शल लॉ लगाती है. यह किसी भी देश में सरकार की तरफ से घोषित एक न्यायिक व्यवस्था होती है, जिसमें आर्मी के हाथ में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी आ जाती है. दक्षिण कोरिया में आखिरी बार इसकी घोषणा साल 1979 में की गई थी. देश के तत्कालीन सैन्य तानाशाह पार्क चुंग-ही की तख्तापलट के दौरान हुई हत्या के बाद इसकी घोषणा हुई थी. साथ 1987 में साउथ कोरिया एक लोकतांत्रिक देश बना. जिसके बाद से इसे कभी लागू नहीं किया गया था.
अमेरिका ने जारी किया बयानदक्षिण कोरिया में पिछले 24 घंटों के घटनाक्रम पर अमेरिका की तरफ से भी बयान आया. विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया,
“अमेरिका ने पिछले 24 घंटों के दौरान दक्षिण कोरिया में हुई घटनाओं पर करीब से नजर रखी है. हम राष्ट्रपति यून के उस बयान का स्वागत करते हैं जिसमें उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली की सर्वसम्मति पर वो कोरिया के संविधान के तहत आपातकालीन मार्शल लॉ रद्द करेंगे. लोकतंत्र और कानून के तहत कोरिया के लोगों और अमेरिका- कोरिया गठबंधन के लिए अपने समर्थन की पुष्टि करते हैं.”
बताते चलें कि राष्ट्रपति यून सुक येओल साल 2022 में सत्ता पर काबिज हुए थे. उनकी पत्नी का नाम कई बार घोटालों में भी आ चुका है. जिस वजह से विपक्ष उन पर लगातार हमलावर रहा है. अब मार्शल लॉ के आदेश को हटाने के बाद विपक्षी दल और प्रदर्शनकारी येओल के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी (DPK) ने घोषणा की है कि वह राष्ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करेगी.
वीडियो: कोरियाई लेखिका हान कांग ने ऐसा क्या लिखा कि उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिल गया?