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‘श्रम एव जयते’ लिखने वाले जयनंदन को मिलेगा 'श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान'

यह सम्मान हर साल ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है, जिसकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन का चित्रण किया गया हो.

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IFFCO sahitya samman 2022 to Jayanandana
जयनंदन को यह सम्मान 31 जनवरी, 2023 को दिया जाएगा (फोटो: ट्विटर/ IFFCO)
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सुरभि गुप्ता
11 नवंबर 2022 (Updated: 12 नवंबर 2022, 10:25 IST)
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इस साल का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान' चर्चित कथाकार जयनंदन (Jayanandana) को दिया जाएगा. शुक्रवार, 11 नवंबर को इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड यानी इफको (IFFCO) ने प्रेस रिलीज के जरिये ये घोषणा की. इफको ने बताया कि लेखिका चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों की कमिटी ने इस सम्मान के लिए जयनंदन के नाम पर मुहर लगाई है. उन्हें 31 जनवरी, 2023 को सम्मानित किया जाएगा.

इफको के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO डॉ. यूएस अवस्थी ने ट्वीट कर कहा,

वर्ष 2022 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान कथाकार जयनंदन को दिया जाएगा. उनकी रचनाओं में गांवों और किसानों के जीवन को प्रमुखता से चित्रित किया गया है. इफको की ओर से आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. सुप्रसिद्ध साहित्यकार चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता वाली चयन समिति का आभार.

जयनंदन का सफर

जयनंदन का जन्म 26 फरवरी, 1956 में बिहार के नवादा जिले के मिलकी गांव में हुआ था. उनकी 2 दर्जन से अधिक किताबें आ चुकी हैं. इनमें ‘श्रम एव जयते’, ‘ऐसी नगरिया में केहि विधि रहना’, ‘विघटन’, ‘चौधराहट’, ‘मिल्कियत की बागडोर’, ‘रहमतों की बारिश’ जैसे उपन्यास हैं. 

कई कहानी संग्रह भी हैं, जैसे, ‘सन्नाटा भंग’, ‘विश्व बाजार का ऊंट’, ‘एक अकेले गान्ही जी’, ‘कस्तूरी पहचानो वत्स’, ‘दाल नहीं गलेगी अब’, ‘घर फूंक तमाशा’, ‘सूखते स्रोत’, ‘गुहार’, ‘गांव की सिसकियां’, ‘मेरी प्रिय कथायें’, ‘मेरी प्रिय कहानियां’, ‘सेराज बैंड बाजा’, ‘संकलित कहानियां’, ‘गोड़ पोछना’, ‘चुनिंदा कहानियां’. 

इसके अलावा जयनंदन ने नाटक और निबंध भी लिखे हैं. उनकी कई रचनाओं में गांव की उपेक्षित, शोषित और दलित जिंदगियों के दुख-दर्द और विलाप दिखते हैं, तो शहरी जीवन की विडंबनाएं भी सामने आती हैं. 

श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान

ये सम्मान प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में साल 2011 में शुरू किया गया था. इसे पाने वाले साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रुपये दिए जाते हैं. यह सम्मान हर साल ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है, जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन का चित्रण किया गया हो. इससे पहले यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, महेश कटारे, रणेंद्र और शिवमूर्ति को दिया जा चुका है. 

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