शिमला की संजौली मस्जिद की 3 मंजिलें गिराने का आदेश बरकरार, मुस्लिम संगठन की याचिका खारिज
Sanjauli Mosque dispute: शिमला की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नगर निगम कमिश्नर के फैसले को चुनौती दी गई थी. याचिका में संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ के हलफनामे को भी चुनौती दी थी. जिसमें गया था कि समिति मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने के लिए तैयार है.
शिमला की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ‘ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन’ (AHMO) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नगर निगम कमिश्नर (MC) के फैसले को चुनौती दी गई थी. नगर निगम कमिश्नर ने 5 अक्टूबर को अपने फैसले में संजौली मस्जिद (Sanjoli Masjid) की तीन अवैध रूप से बनी मंजिलों को गिराने का आदेश दिया था. AHMO ने संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ के हलफनामे को भी चुनौती दी थी. जिसे 12 सितंबर को शिमला नगर निगम कमिश्नर भूपेंद्र अत्री के सामने पेश किया गया था. हलफनामे में कहा गया था कि समिति मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने के लिए तैयार है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, AHMO के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने 29 अक्टूबर को शिमला की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि मोहम्मद लतीफ ने नगर निगम कमिश्नर को जो हलफनामा सौंपा था, वह अवैध है. दावा किया गया कि लतीफ ने समिति यानी AHMO की सहमति के बगैर हलफनामा दायर किया था. हलफनामे के आधार पर ही कमिश्नर ने 5 अक्टूबर को मस्जिद की अवैध तीन मंजिलों को गिराने के आदेश दिए थे. जिसे बाद में AHMO ने कोर्ट में चुनौती दी.
शिमला के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग ने शनिवार, 30 नवंबर को AHMO की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट में मोहम्मद लतीफ ने कहा,
"मस्जिद कमेटी अवैध ढांचे को गिराने के लिए बाध्य है. हमने एक मंजिल को गिरा भी दिया है. हालांकि, मजदूरों की कमी के कारण तोड़फोड़ का काम रोक दिया गया था. हमने नगर निगम कमिश्नर की कोर्ट को लिखित में इस बारे में जानकारी दी है. हमने बताया कि मार्च 2024 के बाद तोड़फोड़ का काम पूरा हो जाएगा.”
वहीं, AHMO की ओर से एडवोकेट विश्व भूषण ने कहा,
अब तक इस केस में क्या-क्या हुआ?“अदालत ने हमारी याचिका खारिज कर दी है. हमें अभी पूरे आदेश की कॉपी नहीं मिली है. आदेश पढ़ने के बाद हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे.”
-इस विवाद की शुरुआत 31 अगस्त से हुई. जब मतियाना गांव में कुछ युवकों के बीच झगड़ा हो गया. कहा गया कि झगड़े के बाद कुछ आरोपियों ने कथित रूप से इसी संजौली मस्जिद में शरण ली थी. इसके बाद संजौली मस्जिद विवाद उठा और वहां के लोगों ने प्रदर्शन किया. ये विवाद जल्द ही राजनीतिक गलियारों से गुजरते हुए विधानसभा पहुंचा.
-12 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने के लिए हलफनामा दायर किया.
-5 अक्टूबर को नगर निगम कमिश्नर की कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलें तोड़ने का आदेश दे दिया.
-29 अक्टूबर को AHMO के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने शिमला की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपनी याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि मोहम्मद लतीफ ने नगर निगम कमिश्नर को जो हलफनामा सौंपा है, वह अवैध है.
-6 नवंबर को जिला अदालत में सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट ने कमिश्नर के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कमिश्नर से फैसले के रिकॉर्ड मांगे. उसी दिन, स्थानीय लोगों ने मामले में पक्ष बनने के लिए आवेदन किया.
-14 नवंबर को स्थानीय लोगों को इस मामले में पार्टी बनाने की अनुमति नहीं मिली. याचिकाकर्ता और वक्फ बोर्ड ने दलील दी कि स्थानीय निवासी किसी समाज या आर्गेनाइजेशन का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. कोर्ट ने स्थानीय निवासियों की इस मामले में शामिल होने की अर्जी को लोकस स्टैंडी के आधार पर खारिज कर दिया.
-18 नवंबर को वक्फ बोर्ड को इस मामले में मस्जिद कमेटी के अधिकृत होने या न होने पर शपथ पत्र दायर करने के निर्देश दिए.
-30 नवंबर को शिमला की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ऑल हिमाचल मुस्लिम आर्गेनाइजेशन (AHMO) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नगर निगम कमिश्नर (MC) के फैसले को चुनौती दी गई थी.
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