मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने के बाद चंद्रबाबू नायडू की असली फजीहत अब हुई है
उनके चार सांसद TDP छोड़कर अचानक BJP में आ गए.
चंद्रबाबू नायडू के पास राज्यसभा में कुल छह सांसद थे. पांच थे आंध्रप्रदेश और एक तेलंगाना से. लेकिन 20 जून को अचानक आंध्रप्रदेश के तीन और तेलंगाना के इकलौते सांसद ने पार्टी ही छोड़ दी. संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. आंध्र प्रदेश के सांसद टीजी वेंकटेश, वाइएस चौधरी और सीएम रमेश के साथ ही तेलंगाना के सांसद जीएम राव ने उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू को इस्तीफा सौंप दिया. और बीजेपी के नए-नए कार्यकारी अध्यक्ष बने जेपी नड्डा के सामने बीजेपी की सदस्यता ले ली. हम आपको एक-एक करके उन नेताओं के बारे में बताते हैं.
टीजी वेंकटेश
टीजी वेंकटेश की गिनती आंध्र प्रदेश के रायलसीमा के सबसे अमीर आदमियों में से होती है. एक फेमस बिज़नेसमैन हैं. दो बार विधायक रह चुके हैं. एक बार टीडीपी से और एक बार कांग्रेस से. 2009 में जब राज्य में किरण कुमार रेड्डी की सरकार बनी तो मंत्री भी बने. लेकिन जब तेलंगाना के गठन की बात चलने लगी तो कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. 2014 में फिर से पुरानी पार्टी टीडीपी में आ गए. 2016 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया.वाइएस चौधरी
पूरा नाम है यालामानचिली सत्यनारायण चौधरी. सुजाना चौधरी के नाम से भी जाना जाता है. 2010 में राजनीति में उतरे थे. टीडीपी से 2010 में ही राज्यसभा में गए थे. 2016 में पार्टी ने दोबारा राज्यसभा में भेजा. जब टीडीपी, एनडीए के साथ थी तो टीडीपी कोटे से विज्ञान, तकनीकी और भू विज्ञान राज्य मंत्री रहे. टीडीपी ने बीजेपी से नाता तोड़ा तो मंत्रीपद चला गया. 2016 में मॉरीशस बैंक से लोन लेने और उसे वापस न करने के मामले में भी सुर्खियों में आए थे.
जीएम राव
पूरा नाम गरिकापति मोहन राव. 2014 में आंध्रप्रदेश से राज्यसभा सांसद चुने गए. जब राज्य का बंटवारा हुआ तो इनकी सीट तेलंगाना के हिस्से आई. टीडीपी में वो महासचिव भी थे. सितंबर 2014 से केमिकल और फर्टिलाइजर, मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलेपमेंट स्कीम के साथ-साथ और कमेटी के सदस्य रहे हैं.
सीएम रमेश
पूरा नाम चिंताकुंता मुनुस्वामी रमेश. टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता. दिल्ली में पार्टी की बात रखने वाले थे. आंध्र प्रदेश के बड़े कारोबारी. इतने बड़े कि 1999 में रित्विक प्रोेजक्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई. इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी कि सड़क और पुल बनाने वाली कंपनी. 14 साल के अंदर कंपनी का कारोबार 1000 करोड़ रुपये का हो गया. अप्रैल, 2012 में राज्यसभा सांसद बने. संसद की कई समितियों में भी रहे.
अब TDP के लिए बढ़ी दिक्कत- 1982 में तेलगु सिनेमा के सुपर स्टार एनटी रामाराव के नेतृव में बनी तेलगुदेशम पार्टी इतिहास की सबसे कमजोर स्थिति में हैं. लोकसभा में महज उसके 3 सांसद हैं. इससे पहले 1989 में पार्टी को इतनी बुरी स्थिति झेलनी पड़ी थी. उस चुनाव में तेलगुदेशम पार्टी के महज 2 सांसद लोकसभा पहुंच पाए थे. चंद्रबाबू नायडू के पास राज्यसभा में कुल 6 सांसद थे. 5 थे आंध्रप्रदेश और 1 तेलंगाना से. अब 4 बीजेपी में आने से 2 ही बचे. पर बीजेपी में आए इन 4 में से 2 पर जांच चल रही है. तेलगूदेशम के पिछले चुनाव की स्थिति के बारे में भी जान लीजिए. -1956-2014 तक आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 42 सीट थी. पर तेलंगाना बनने के बाद आंध्र प्रदेश के पास 25 लोकसभा सीट बची. बाकी की 17 सीट तेलंगाना को मिली. -2014 में हुए लोकसभा चुनाव हुआ. TDP को 17 सीट और 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 3 सीट मिली.-आंध्र प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीट हैं, जिसमें से TDP के दो राज्यसभा सांसद हैं.
-एक कानाकामेडाला रवींद्र कुमार. इनका कार्यकाल 2018-2024 तक है. दूसरी थोटा सीथारामा लक्ष्मी हैं. इनका कार्यकाल 2014 से 2020 तक है. जिनका कार्यकाल अगले साल खत्म हो जाएगा.
-आंध्र प्रदेश में विधानसभा की 175 सीट हैं. 2014 में विधानसभा चुनाव में टीडीपी 117 सीट जीती थी. 2019 के विधानसभा चुनाव में YSR कांग्रेस चीफ जगनमोहन रेड्डी ने TDP को बुरी तरह से हराया है. जिससे TDP को 23 सीटें मिलीं. और TDP अपना कोई नेता राज्यसभा चुनाव में भेज पाएगी, ये थोड़ा मुश्किल है.
वीडियो देखें : संसद में शपथ लेने जा रहे ओवैसी के आगे जय श्री राम के नारे लगे, तो उन्होंने भी जवाब दे दिया