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यासीन मलिक ने आतंकवादियों को पैसे जुटाकर दिए, जानिए वो भयानक केस!

यासीन मलिक अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का चीफ रह चुका है. केंद्र सरकार ने 2019 में जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे पहले भी मलिक पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं.

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Yasin Malik
अलगाववादी नेता यासीन मलिक (फाइल फोटो- PTI)
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साकेत आनंद
19 मई 2022 (Updated: 19 मई 2022, 16:20 IST)
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जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yaseen Malik) को आतंकी फंडिंग मामले में एनआईए कोर्ट ने दोषी करार दिया है. मलिक की सजा पर 25 मई को सुनवाई होगी. कोर्ट ने यासीन मलिक से उसकी वित्तीय स्थिति को लेकर हलफनामा भी मांगा है. साथ ही जांच एजेंसी को उसकी वित्तीय स्थिति को लेकर रिपोर्ट जमा करने को कहा है. इससे पहले 10 मई को यासीन मलिक ने खुद कबूला था कि वह आतंकी गतिविधियों में शामिल था. जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला दिया है. यासीन मलिक अभी तिहाड़ जेल में बंद है.

मलिक पर क्या है आरोप?

यह मामला साल 2017 का है. जिसमें मलिक के खिलाफ आतंकी घटनाओं से जुड़ने और कश्मीर घाटी में माहौल खराब करने की साजिश करने का आरोप लगा. मलिक पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) की धारा 16 (आतंकी गतिविधि), धारा 17 (आतंकी फंडिंग), धारा 18 (आतंकी गतिविधि की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) सहित आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और 124-A (राजद्रोह) के तहत केस दर्ज किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यासीन मलिक के पास इस केस में वकील नहीं था. कोर्ट ने उसके लिए एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया था. जिसने बताया कि मलिक ने अपने खिलाफ लगे किसी भी आरोपों को चुनौती नहीं दी. कोर्ट ने दूसरे कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ भी आरोप तय किए थे. मार्च 2022 में आरोप तय करते हुए कोर्ट ने कहा था कि शब्बीर शाह, यासीन मलिक, राशिद इंजीनियर, अल्ताफ फंटूश, मसरत आलम और हुर्रियत/ज्वाइंट रेसिस्टेंस लीडरशिप (JRL) को सीधे तौर पर आतंकी फंडिंग मिले हैं.

'कश्मीर की आजादी' के नाम पर फंडिंग

कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस बात के सबूत हैं कि यासीन मलिक ने 'कश्मीर की आजादी' के नाम पर आतंकवादी और दूसरी आतंकवादी गतिविधियों के लिए दुनिया भर से फंडिंग जुटाए. मामले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के फाउंडर हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के मुखिया सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है.

यासीन मलिक अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का चीफ रह चुका है. केंद्र सरकार ने 2019 में जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया था. इससे पहले भी मलिक पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं. कई बार जेल भी पहुंचा. कश्मीर में युवाओं को भड़काने से लेकर हाफिज सईद से मुलाकात जैसे आरोप लगे. 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण में भूमिका जैसे कई आरोप यासीन मलिक पर लगे हैं. यासीन पर 1990 में भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्‍या का भी आरोप लगा था. जिन धाराओं के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज हैं, उसे आजावीन कारावास की भी सजा हो सकती है.

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