जो लोग अक्सर कैब से ट्रेवल करते हैं उन्हें पता होगा कि रास्ते में पड़ने वाले टोलका पैसा भी उन्हें ही चुकाना पड़ता है. दिल्ली-गुरुग्राम-नोएडा में ऐसे बहुत से लोगहैं जो रोज़ टोल से गुज़रते हैं. हालांकि कैब सर्विस कंपनियां ये पैसा कैब हायर करनेवाले की जेब से ही निकलवाती हैं. पहले ऐसा होता था कि जब भी आप कंपनी की कैब करकेकिसी टोल से गुजरते थे तो टोल का पैसा आपको अपनी जेब से कैब ड्राईवर को देना होताथा. अब बड़ी चालाकी से ये पैसा टोल पर आपसे न लेकर, आपके फाइनल बिल में शामिल कर बतादिया जाता है और आप शायद इसपर कभी ध्यान भी ना देते हों.दक्षिणी दिल्ली से गुरुग्राम या नोएडा की यात्रा करने वाले लोगों को रोज़ ये टैक्सदेना पड़ता है, जिससे परेशान होकर उन्होंने साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कोबहुत सी शिकायतें की. SDMC ने बात का संज्ञान लेते हुए लोगों को टोल टैक्स से आज़ादीदे दी है. अब SDMC ने कंपनियों को टोल टैक्स यात्रियों से न लेकर खुद भरने कीहिदायत दी है.अब यात्री की बजाय कंपनी को देना होगा टोल टैक्स का पैसा.क्या होता है टोल टैक्स?पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत सरकार किसी निजी फर्म से रोड बनाने और उसकारखरखाव करने के लिए समझौता है जिसे तकनीकी भाषा में MOU साइन करना कहते हैं. चूंकिसरकार के पास अन्य जिम्मेदारियां भी हैं इसलिए वह सारा पैसा सिर्फ रोड बनाने मेंखर्च नहीं कर सकती. ऐसे में, पैसे और आदमियों की कमी के कारण प्राइवेट कम्पनी कोरोड बनाने का ठेका दे दिया जाता है. रोड बन जाने के बाद इसमें लगे पैसे की उगाही केलिए रोड बनाने वाली कंपनी उस रोड से गुजरने वाले वाहनों से जो पैसे इकट्ठा करती है,उसे ही टोल टैक्स कहा जाता है. हालांकि इसे टैक्स कहना भी उचित नहीं है, ये एकसामान्य रेट है जो हर गाड़ी के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. अभी दो पहिया और सरकारीवाहनों को इस रेट से मुक्त रखा गया है.इंटर-स्टेट टैक्स: एक और टैक्स जो आपको देना पड़ता है वो है इंटर-स्टेट टैक्स. जब एक गाड़ी एक राज्य सेदूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश करती है तो प्रवेश करते ही ये टैक्स देना पड़ता है,हालांकि आजकल बहुत से राज्यों ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन भी कर दिया है. हर राज्यमें इसकी कीमत अलग-अलग हो सकती है. इस टैक्स को लागू करने के पीछे कारण ये दियाजाता है कि जब एक स्टेट में रजिस्टर्ड वाहन दूसरे राज्य में प्रवेश करता है तो वहांकी सड़कों को पहुंचने वाले नुकसान और उनके रखरखाव के लिए ये टैक्स लगाया जाता है.दिल्ली MCD कौनसा टैक्स लेती है?दिल्ली MCD अपने बॉर्डर्स पर बाहर से आने वाले वाहनों से जो टैक्स इकट्ठा करती हैवो भी एक तरह का इंटर-स्टेट टैक्स ही है. दिल्ली MCD को डिस्पेंसरी चलाने, साफ़-सफाईकरवाने, पुलों के रखरखाव जैसे कामों के लिए पैसे की आवश्यकता होती है जिसके लिए वेबॉर्डर पर इकट्ठा होने वाले टैक्स और एडवरटाइजिंग होर्डिंग्स आदि से मिलने वालेरेवेन्यू पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में जो लोग रोज़ बॉर्डर के इधर-उधर आते-जाते हैंउन्हें हर बार 100 रूपए देने पड़ते हैं जो स्टैण्डर्ड रेट है. इसी कारण लोग इस टैक्सका विरोध कर रहे हैं और MCD ने उनकी बात सुन भी ली है.SDMC के इस फैसले को लेकर हमने कैब ड्राईवर अर्बेलो से बात की तो उन्होंने हमेंबताया, ' इस फैसले से कैब कंपनी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा लेकिन सवारियों कोफायदा बहुत होगा, क्योंकि कई ड्राइवर्स प्रीपेड स्टीकर आदि ले लेते हैं जिससेउन्हें हर बार टोल से गुजरने पर टैक्स नहीं देना पड़ता और एक साथ पैसे देने से कुछछूट भी मिल जाती है.' कैब कंपनियों को अब 13 सितम्बर 2018 तक ये टैक्स अपनी जेब सेभरना पड़ेगा. अर्बेलो का कहना है, 'कई बार ड्राइवर्स किसी तरह इस टैक्स से बच जातेहैं. ऐसे में कैब हायर करने वाले से पैसा ले लिया जाता है लेकिन सरकार तक नहींपहुंचता. कैब सर्विस कंपनियों के पास भी ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे वो जान सकेंकि टैक्स दिया गया है या नहीं.'अब भी अगर आपके इनवॉइस में कोई कैब कंपनी टोल का पैसा जोड़े तो आप SDMC की हेल्पलाइनपर इसकी शिकायत कर सकते हैं. शिकायत करने के लिए आप मोबाइल एप्लीकेशन SDMC311 काइस्तेमाल कर सकते हैं या SDMC द्वारा जारी किये गए फोन नंबर 1266, 23220006 या23212700 पर संपर्क कर सकते हैं.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें: एसिड अटैक सर्वाइवर्स को दिया गया शीरोज कैफे क्या छीन रही है यूपी सरकार?केरल में 94 साल में सबसे भयंकर बाढ़ के पीछे वजह क्या है?कार का कचूमर बनाने वाले दूसरे कांवड़िए को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लियाये हैं वो खिलाड़ी जो एशियन गेम्स में दिला सकते हैं मेडलवो आदमी, जिसे राष्ट्रपति बनवाने पर इंदिरा को मिली सबसे बड़ी सज़ा--------------------------------------------------------------------------------वीडियो: