विधानसभा के सामने सारे कपड़े उतारने को क्यों मजबूर हुए दलित-आदिवासी छात्र?
16 मई से कर रहे थे आमरण अनशन. सरकार ने नहीं सुनी तो बिना कपड़ों के विधानसभा घेराव करने निकले थे.
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और जनजाति (SC-ST) समूह से आने वाले युवाओं ने निर्वस्त्र होकर आंदोलन किया. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, युवाओं ने विधानसभा घेरने की कोशिश की. ये लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के मामले में अपना विरोध जता रहे हैं.
इनका आरोप है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने वालों को सरकार संरक्षण दे रही है. प्रदर्शनकारियों ने ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई की मांग की. वो बिना कपड़े पहने ये विरोध कर रहे थे और विधानसभा की ओर आगे बढ़ रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
आंदोलनकारियों ने कहा कि फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने वालों को तीन साल पहले ही दोषी पाया गया था. इनके लिए सरकारी आदेश भी जारी हुआ था. लेकिन अभी तक इनपर कोई कर्रवाई नहीं की गई है. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ये लोग सरकारी नौकरियों में बने हुए हैं. जरूरी पदों पर रहते हुए ये सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं. इनका प्रमोशन भी हो रहा है और जिन्हें असल में आरक्षण की जरूरत है, वे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
सरकार ने बनाई उच्च स्तरीय समितिछत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद से ही यहां SC-ST के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के मामले सामने आते रहे हैं. लोग नौकरियों और राजनैतिक लाभ के लिए ऐसा करते हैं. इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की है.
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य वर्ग के वे लोग, जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाना चाहिए. इस आदेश के बावजूद कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई. कुछ लोग तो नौकरियां पूरी कर रिटायर भी हो गए हैं.
अनुसूचित जाति और जनजाति समूह से आने वाले युवा 16 मई से इसके खिलाफ आमरण अनशन कर रहे थे. इस बीच कई आंदोलनकारियों की तबीयत भी खराब हुई. आरोप है कि सरकार ने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. इसके चलते उन्होंने आमरण अनशन स्थगित कर दिया और बिना कपड़े पहने विधानसभा घेराव करने जा रहे थे.
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