25 दिसंबर. क्रिसमस. सैंटा इस बार नहीं आ पाया. लॉकडाउन में नौकरी चली गई फिर भीगिफ्ट खरीदने के लिए पैसों का जुगाड़ कर रहा था. जो नहीं हो पाया. तो सैंटा नहींआया. बवाल आ गया. हमारे उत्सव प्रेमी समाज में कुछ लोगों का एक त्योहार से भला नहींहो रहा था. तो लगे हाथ दो मना लिए. एक घर पर, स्कूल और ऑफिस में. दूसरा सोशल मीडियापर. विजुअली क्रिसमस मनाया और सोशल मीडिया पर तुलसी पूजन दिवस. इससे धन और धरमदोनों सध गए. सच मानो इस धरती पर देव मानुस लोग होते हैं. जो एक साथ दो त्योहारमनाते हैं. क्रिसमस को तुलसी पूजन. वैलेंटाइन को मातृ पितृ पूजन. दिन में घंटेसिर्फ 24 होते हैं नहीं तो ये हर त्योहार दो टाइप से मनाएं. जैसे बकरीद को बकरीपूजन दिवस. बैसाखी को विकलांग पूजन दिवस. जैसे जैसे तकनीक आगे बढ़ेगी और धर्म कादबाव बढ़ेगा. इन त्योहारों को भी टेक ओवर कर लिया जाएगा. फिकर नाट. इन सब मामलोंमें हम बहुत चूज़ी हैं. अभी अंग्रेजों वाले त्योहार चूज़ कर लिए हैं. हम अपने तरीकेसे बदला लेने पर यकीन रखते हैं. हम जानते हैं कि उन्होंने हम पर दो सौ साल राजकिया. हमको गुलाम बनाकर रखा. हम अभी उनके बराबर ताकतवर नहीं हैं. अगर सीधे से टक्करदे सकते तो उनको मसलकर भारत में मिला लेते. लेकिन वो दूर की कौड़ी है. फिलहाल उनकेत्योहारों पर अपने जबरदस्ती वाले त्योहार थोपकर बदला लेंगे. हम अनारकली हो गए हैंऔर हमारी हीनभावना जिल्ले इलाही बादशाह अकबर. वो हमको जीने नहीं देना चाहती है.हमको डर है कि हमारे त्योहारों पर बाहरी पंजा न मार दें. हर महीने तीज, चतुर्थी,अष्टमी, नवमी और एकादशी के अलावा बीसियों त्योहार हैं हमारे पास. सोचो अगरअंग्रेजों ने इनमें से आधे कब्जिया लिए, फिर तो वो एकदम से बड़े आदमी हो जाएंगे. हमउनको ऐसे बड़ा होता नहीं देख सकते. हम बचाव नहीं, अटैक के मूड में हैं. इससे पहलेकि वो हमारे त्योहारों पर बुरी नजर डालें. हम उनके त्योहारों पर कब्जा कर लेते हैं.कल कोई बता रहा था कि दिवाली के बाद हो जाती है तुलसी की पूजा. किसी ने कहा जोसर्दियों में देवोत्थान एकादशी होती है उसमें सारे पेड़ पौधे पूज लिए जाते हैं.गन्ने से सूप बजाकर "ईश्वर आए दलिद्दर जाए" का नारा भी बुलंद कर देती हैं माताएं.इन सब लोगों को मालूम नहीं है कि तुलसी पूजन दिवस तो 25 दिसंबर को मनाया जाता है.ठीक क्रिसमस के दिन. क्रिसमस का भौकाल कम करने के लिए. इसके अलावा एक वजह ये भी है.हम अपने यहां हर चीज का पूजन दिवस मनाते हैं. गोवर्धन पूजा, गौपूजा, मधुशाला पूजा,धरती पूजा, गांव की पूजा, नारी की पूजा, पीपल पूजा, बरगद पूजा, एवरीथिंग पूजा. बटहॉली बासिल की पूजा के लिए कोई दिन डिक्लेअर नहीं किया गया है शास्त्रों में. इसलिएव्हाट्सऐप शास्त्र ने इसका बीड़ा उठाया और हमारे बीच में फैला दिया. कुछ लोग मजाकउड़ा रहे हैं कि सैंटा गिफ्ट देने आ रहा है. तुमसे कुछ छीनने नहीं जो डर के मारेतुलसी पूजन में लग गए हो. उनको बताने का वक्त आ गया है कि ये डर नहीं, डर के आगे कीजीत है. अब सब बदल जाएगा. जैसे हमने इस साल जीसस के जन्म दिन को तुलसी पूजन दिवस केरूप में मनाया, उसी तरह अगले साल से जीसस के मरण दिन को "मिहिर पूजन दिवस" के रूपमें मनाएंगे. क्योंकि दोनों के मरने की एग्जैक्ट डेट इतिहासकारों को पता नहीं है.एकता कपूर को भी नहीं.