कौन हैं सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, जिनका नाम संभल हिंसा के बाद सबसे पहले उछला है?
FIR में कहा गया है कि जिया-उर-रहमान ने भीड़ को उकसाया और "राजनीतिक लाभ" के लिए सांप्रदायिक सद्भावना को बिगाड़ा.
संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा मामले में समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क को कथित रूप से “मुख्य आरोपी” बताया जा रहा है. बर्क संभल से लोकसभा सांसद हैं. उन पर भीड़ को उकसाने और हिंसा आयोजित करने का आरोप है. मामले में दर्ज एक FIR में कहा गया है कि जिया-उर-रहमान ने भीड़ को उकसाया और "राजनीतिक लाभ" के लिए सांप्रदायिक सद्भावना को बिगाड़ा. 24 नवंबर को जामा मस्जिद परिसर के सर्वे के दौरान पत्थरबाजी और झड़प की घटना में चार लोगों की मौत हो गई थी. करीब 20 लोग घायल भी हुए थे.
इंडिया टुडे के पास इस मामले में दर्ज हुई FIR की कॉपी है. FIR की माने तो घटना के दो दिन पहले जिया-उर-रहमान ने वहां भड़काऊ बयानबाजी की थी. इस मामले में अब तक कुल 6 FIR दर्ज की गई है. उनमें से एक FIR में जिया-उर-रहमान का नाम पहले नंबर पर है. इसमें बताया गया है,
कौन हैं जिया-उर-रहमान बर्क?"22 नवंबर को जिया-उर-रहमान बर्क ने जामा मस्जिद जाकर नमाज अदा की. इसके बाद बिना प्रशासनिक अनुमति के भीड़ इकट्ठा कर उन्होंने वहां भड़काऊ बयानबाजी की. आरोप लगा है कि राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से भीड़ को उग्र किया गया था."
सपा सांसद का नाम आने पर पिछले दो दिनों से राजनीतिक बयानबाजी जारी है. एक तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि जिया-उर-रहमान घटना वाले दिन संभल में ही नहीं थे लेकिन इसके बावजूद उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसा उदाहरण कहीं देखने-सुनने को मिला है?
वहीं दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी के नेता जिया-उर-रहमान के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया है कि ये पूरी घटना "साजिश" के तहत हुई है और जिया-उर-रहमान को गिरफ्तार करना चाहिए.
36 साल के जिया-उर-रहमान बर्क संभल के एक पुराने राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके दादा शफीक-उर-रहमान बर्क लंबे समय तक संभल से विधायक रहे. फिर संभल और मुरादाबाद से सांसद भी बने. अपने इलाके के चर्चित नेता रहे हैं. तीन साल पहले शफीक-उर-रहमान ने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने का बचाव किया था और इसकी तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम से की थी. इस बयान के कारण उनके खिलाफ देशद्रोह का केस भी दर्ज हुआ था. इसी साल 27 फरवरी को शफीक-उर-रहमान का निधन हुआ था.
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जिया-उर-रहमान पहली बार समाजवादी पार्टी से लोकसभा सांसद बने हैं. इससे पहले 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में वे कुंदरकी से विधायक चुने गए थे. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से पढ़ाई करने वाले रहमान स्नातक में ही छात्र राजनीति से जुड़ गए थे. साल 2005-06 में वे AMU छात्र संघ के एक्टिंग सेक्रेटरी रहे थे. 2008 में AMU से स्नातक करके निकले. इसके बाद चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ से उन्होंने LLB भी किया था.
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा से टिकट नहीं मिला तो जिया AIMIM में चले गए. संभल से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा. लेकिन सपा के इकबाल महमूद से उन्हें हार मिली. बाद में वे फिर सपा में शामिल हो गए थे.
FIR में क्या-क्या आरोप लगे हैं?FIR में लिखा गया है कि 24 नवंबर को कोर्ट की तरफ से गठित सर्वे टीम जामा मस्जिद के सर्वे के लिए पहुंची थी. मौके पर पुलिस बल भी मौजूद था. जब सर्वे टीम द्वारा जामा मस्जिद की इमारत का सर्वे किया जा रहा था तो सुबह 9 बजे करीब 700 से 800 अज्ञात लोगों की भीड़ घातक हथियारों से लैस होकर सर्वे को बाधित करने के उद्देश्य से वहां पहुंच गई थी.
आगे लिखा है कि भीड़ को सुहैल इकबाल ये बोलकर उकसा रहे थे कि जिया-उर-रहमान बर्क उनके साथ हैं. सुहैल संभल से सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे हैं. FIR के मुताबिक,
"सुहैल ने भीड़ को उकसाया कि जिया-उर-रहमान बर्क हमारे साथ हैं, हम लोग भी तुम्हारे साथ हैं, हम तुम्हारा कुछ नहीं होने देंगे. अपने मनसूबों को पूरा करो. इस पर वहां मौजूद भीड़ और अधिक उग्र हो गई. उग्र भीड़ से पुलिस ने सर्वे को बाधित न करने की अपील की, लेकिन भीड़ ने और उग्र होकर नारेबाजी शुरू की."
FIR में आरोप लगाया है कि भीड़ ने वहां मौजूद पुलिस पर पत्थरबाजी की और तोड़-फोड़ शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस की गाड़ियों और दूसरे वाहनों में आग लगा दी गई. FIR में ये भी कहा गया है कि भीड़ ने संभल के क्षेत्राधिकारी अनुज कुमार चौधरी पर जान से मारने की नियत से फायरिंग भी की. अनुज के दाहिने पैर में गोली लगी और वे घायल हो गए.
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