संभल की जामा मस्जिद में सर्वे करने पहुंची टीम तो भीड़ ने किया पथराव, हिंसा में तीन लोगों की मौत
Sambhal Jama Masjid survey : DGP UP Prashant Kumar ने कहा है कि कुछ ‘असामाजिक तत्वों’ ने पथराव किया है. पुलिस और सीनियर अधिकारी मौक़े पर मौजूद हैं. स्थिति कंट्रोल में है. एसपी ने बताया है कि जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुए बवाल में तीन लोगों की मौत हो गई है.
यूपी के संभल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुए बवाल में तीन लोगों की मौत हो गई है. जिले के एसपी ने इसकी पुष्टि कर दी है. तीनों मृतकों का नाम नोमान, बिलाल और नईम है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दो महिलाओं समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. महिलाएं छत से पत्थरबाजी कर रही थीं. हंगामे के वक्त मौके पर मौजूद सब इंस्पेक्टर विकास निर्वाल ने आजतक से बातचीत में कहा कि सुबह करीब 300 लोगों की भीड़ थी. उनके पीछे भी लोग थे. इन लोगों ने पुलिस को टारगेट किया. एक सब-इंस्पेक्टर के पैर में भी चोट लगी है.
रविवार, 24 नवंबर को संभल में ये तनाव यहां की जामा मस्जिद में सर्वे (Sambhal Mosque Survey) के दौरान हुआ. इसे लेकर भीड़ और संभल पुलिस के बीच झड़प हो गई. भीड़ ने सर्वे करने आई टीम पर पत्थरबाज़ी (Sambhal stone pelting) भी की. इलाके में आगजनी भी हुई. बताया गया कि भीड़ को शांत करने के लिए आंसू गैस को गोले भी छोड़े गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए, संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई और DM डॉ राजेंद्र पेंसिया मौक़े पर पहुंचे और स्थिति को संभालने की कोशिश की.
आजतक की खबर के मुताबिक़, DM, SP जब भीड़ को समझाने के लिए पहुंचे, तो नारेबाज़ी भी की गई. कुछ-एक जगहों पर आगजनी भी हुई. बताया गया कि एक वाहन में आग लगा दी गई.
वहीं जामा मस्जिद के सदर ने भीड़ को हटाने के लिए मस्जिद के अंदर से एलान किया. इस घटना को लेकर एसपी कृष्ण कुमार ने कहा,
‘पत्थरबाजों ने पुलिसकर्मियों की गाड़ियों में आग लगाकर उन्हें निशाना बनाने की कोशिश की है. उनके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी. ड्रोन से वीडियोग्राफी की गई है. सीसीटीवी कैमरों की मदद से इन सभी लोगों की पहचान की जाएगी और फिर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.’
उधर, पथराव की घटना पर DGP प्रशांत कुमार की भी प्रतिक्रिया आई है. उनका कहना है,
कोर्ट के आदेश पर संभल में सर्वे कराया जा रहा है. कुछ ‘असामाजिक तत्वों’ ने पथराव किया है. पुलिस और सीनियर अधिकारी मौक़े पर मौजूद हैं. स्थिति कंट्रोल में है. पुलिस पथराव करने वालों की पहचान करेगी और उन पर उचित क़ानूनी कार्रवाई करेगी.
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी बरेलवी ने संभल के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा,
संभल मस्जिद का मामला कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसी ख़बर है कि जब मस्जिद का सर्वेक्षण शुरू किया गया, तो लोगों ने पथराव किया. मैं मुसलमानों से अपील करना चाहता हूं कि ऐसा न करें. ये उचित नहीं है. शांति बनाए रखें. इस्लाम शांति सिखाता है.
आजतक से जुड़े संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक़, संभल में एडवोकेट कमीशन का सर्वे पूरा हो गया है. ये सर्वे 24 नवंबर की सुबह 7:30 बजे से 10:00 बजे के बीच किया गया. पूरे सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हो चुकी है. अब 29 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे.
इससे पहले, 22 नवंबर को पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती के बीच मस्जिद में नमाज अदा की गई. दोपहर में नमाज अदा करने के लिए सैकड़ों लोग मस्जिद में पहुंचे. इस दौरान, सुरक्षाकर्मियों ने सड़कों पर भारी बैरिकेडिंग की थी और ड्रोन कैमरों के जरिए हवाई निगरानी की थी. 19 नवंबर को सर्वे के लिए एक टीम मस्जिद के अंदर पहुंची और विवादित जगहों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की. इस दौरान भी विवाद हुआ था.
विवाद की असल वजह क्या?बताते चलें, उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद बीते कुछ वक़्त से विवादों में रही है. एक पक्ष का दावा है कि इस जगह पर पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करता था. वहीं, दूसरे पक्ष का मानना है कि ये उनकी ऐतिहासिक मस्जिद है. इसे लेकर कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है. इस दावे के साथ कि ये ढांचा एक प्राचीन हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाया गया था.
मंगलवार, 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने संभल की चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में दावा किया गया कि जामा मस्जिद के पहले वहां पर श्रीहरिहर मंदिर था. इसके लिए उनकी तरफ से दो किताबों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी और ASI की एक 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है.
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आज तक की खबर के मुताबिक़, याचिका दायर करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है,
संभल में श्री हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पर कल्कि अवतार होना है. वर्ष 1529 में बाबर ने मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी. इसलिए हमने याचिका लगाई है. सर्वे के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी.
वहीं, दूसरी तरफ संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क का कहना है,
सर्वे में कुछ नहीं मिला है. ये मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. हमारी मस्जिद ऐतिहासिक है और बहुत पुरानी है. 1991 में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, वे अपने स्थान पर ही रहेंगे. उसके बाद भी सर्वे याचिका डालकर माहौल खराब किया जा रहा है.
फिलहाल के लिए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 29 नवंबर तय कर दी है.
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