वाड्रा के लंदन वाले घर का पूरा मामला, जिसको लेकर पहले ED ने शिकंजा कसा अब IT ने
हथियारों के सौदागर से घर क्यों लिया सोनिया के दामाद ने?
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04 जनवरी, 2021 को IT (इनकम टैक्स) डिपार्टमेंट ने रॉबर्ट वाड्रा से आठ घंटों तक पूछताछ की थी. आज, 06 जनवरी, 2021 को फिर से IT डिपार्टमेंट रॉबर्ट वाड्रा के सुखदेव विहार वाले दफ़्तर पहुंच गए हैं. ये सारी पूछताछ और क़वायद बेनामी संपत्ति के बारे में है. जिसको लेकर आयकर विभाग ने पहले भी रॉबर्ट वाड्रा को समन भेजा था, लेकिन कोविड-19 के चलते वाड्रा IT के सामने पेश होने में असमर्थ रहे थे. इसी 'बेनामी संपत्ति’ से जुड़े एक दूसरे 'मनी लॉन्ड्रिंग’ वाले मामले में 2019 में भी वो प्रवर्तन निदेशालय ED के सामने पेश हुए थे. वाड्रा तब जांच में शामिल होने से बच रहे थे. मगर कोर्ट के आदेश के बाद उनको जांच में शामिल होना पड़ा था. ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा के एक सहायक मनोज अरोड़ा पर भी सख्ती की थी. आरोप था कि रॉबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्तियां खरीदने में मनोज अरोड़ा की अहम भूमिका है. मनोज को वाड्रा की सारी संपत्तियों के बारे में जानकारी है. रॉबर्ट वाड्रा इन दिनों अग्रिम जमानत पर चल रहे हैं.
रॉबर्ट वाड्रा पर इन दिनों सरकार ने जबरदस्त घेराबंदी कर रखी है. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
किस मामले में पूछताछ? IT और ED की ये पूछताछ लंदन के एक बंगले को लेकर है. ये बंगला लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर में है. आरोप है कि ये प्रॉपर्टी हवाला के जरिए करीब 19 लाख पाउंड यानी कोई 18 करोड़ रुपए में खरीदी गई. और ये पैसा हथियार कारोबारी संजय भंडारी ने दिया. इस प्रॉपर्टी को पहले संजय भंडारी ने खरीदा था. फिर 2010 में इसे इतनी ही रकम में रॉबर्ट वा़ड्रा की कंपनी के नाम कर दिया. इस बंगले की मरम्मत और सजावट पर संजय भंडारी ने 65,900 पाउंड यानी करीब 61 लाख रुपए खर्च किए. ये प्रॉपर्टी खरीद दाम पर ही रॉबर्ट वा़ड्रा को ट्रांसफर कर दी गई. संजय भंडारी के खिलाफ ईडी और इनकम टैक्स विभाग की जांच पहले से चल रही है. इसी दौरान मनोज अरोड़ा का नाम भी सामने आया. इसी आधार पर ईडी ने पहले (2019 में) मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया था. मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब होता है कालेधन को सफेद करना. ऐसे मामलों में जांच भारत सरकार की एक एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय करती है. हथियारों के सौदागर से घर क्यों लिया वाड्रा ने? इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक लंदन में 4 संपत्तियां खरीदी गई हैं. इस खरीदारी के लिए पैसा ब्रिटेन की एक कंपनी सिंटेक ने मुहैया कराया. सिंटेक को ये रकम दलाली से हासिल हुई थी. आरोप हैं कि सिंटेक को साल 2005 में हुए एक रक्षा सौदे से और साल 2009 में एक पेट्रोलियम सौदे से मोटी दलाली मिली थी. इसी दलाली की रकम से लंदन में संपत्तियां खरीदी गईं. पहले ये प्रॉपर्टी सिंटेक के नाम हुई फिर इसे संजय भंडारी की कंपनी वोरटेक्स के नाम कर दिया गया. संजय ने इसके लिए 18 करोड़ रुपए का पेमेंट किया. फिर 2010 में इस बंगले को दुबई के प्रवासी भारतीय कारोबारी सीसी थंपी के नाम कर दिया गया. थंपी ने ये खरीद एक कंपनी स्काईलाइट एफजेडई के जरिए की. इस कंपनी का खाता शारजाह में है. आरोप है कि स्काईलाइट एफजेडई रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी है. ईडी को शक है कि दुबई में रहने वाले कारोबारी सीसी थंपी भी रॉबर्ट वाड्रा के नजदीकी हैं. प्रवर्तन निदेशालय सीसी थंपी पर 1000 करोड़ रुपए के फेमा कानून तोड़ने की जांच कर रहा है.
राबर्ट वाड्रा-प्रियंका गांधी. फाइल फोटो. इंडिया टुडे.
इस मामले में ईडी मनमोहन सरकार के दौरान हुए पेट्रोलियम और रक्षा सौदों की भी जांच कर रही है. आरोप हैं कि साल 2009 में यूपीए सरकार ने एक पेट्रोलियम सौदा किया. इसके कुछ महीने बाद कथित तौर पर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट के खाते में पैसे ट्रांसफर किए गए. अप्रैल 2010 में स्काईलाइट के खाते में कई लाख दिरहम ट्रांसफर किेए गए. दिरहम दुबई की करंसी है. इस मामले में एक ईमेल की भी जांच चल रही है. आरोप है कि साल 2010 में लंदन वाला बंगला सीसी थंपी को बेचने से पहले संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा के बीच बंगले की मरम्मत को लेकर ईमेल के जरिए बातचीत हुई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब अप्रैल, 2016 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आर्म्स सलाहकार संजय भंडारी के दिल्ली स्थित परिसर में छापे मारे. इनकम टैक्स विभाग को संजय भंडारी के कंप्यूटर से कुछ ऐसे ईमेल मिले, जिसमें लंदन वाले बंगले की मरम्मत के लिए संजय भंडारी को रॉबर्ट वाड्रा और वाड्रा के सहायक मनोज अरोड़ा ने मेल किए थे. आरोप हैं कि लंदन का ये बंगला फिर से सिंटेक कंपनी को बेच दिया गया है. अब इस पूरे मकड़जाल की जांच ED और IT कर रही है. कौन है संजय भंडारी, जिसकी वजह से रॉबर्ट वाड्रा जांच के घेरे में हैं? संजय भंडारी हथियारों का विवादित दलाल है. पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय भंडारी का नाम रफाएल सौदे में भी उभरा था. बीजेपी के मुताबिक संजय भंडारी रॉबर्ट वाड्रा का करीबी है. रफाएल का सौदा संजय भंडारी की वजह से ही यूपीए के समय नहीं हो पाया था. साल 2016 में दिल्ली में जब उसके घर पर इनकम टैक्स का छापा पड़ा था, तभी वो नेपाल के रास्ते लंदन भाग गया था. आरोप हैं कि इनकम टैक्स के छापे में भंडारी के घर भारतीय सेना से जुड़े कई अहम दस्तावेज बरामद हुए थे. तत्कालीन केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (वर्तमान ने जल शक्ति मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री) ने सितंबर, 2018 में एक प्रेस कान्फ्रेंस की थी. इसमें आरोप लगाया था कि संजय भंडारी वाड्रा का करीबी है. उसे कई बार डिफेंस एक्सपो के दौरान वाड्रा के साथ देखा गया था. संजय भंडारी वाड्रा के लिए प्लेन के टिकट बुक कराता था. लंदन वाले मकान का इंटीरियर डेकोरेशन का खर्च भी संजय भंडारी ने उठाया था.
इंडिया टुडे की साल 2016 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक संजय भंडारी वाड्रा कांग्रेस के कई और नेताओं के संपर्क में था. एयरफोर्स के लिए बेसिक जेट ट्रेनर्स के एक सौदे में भी संजय भंडारी का नाम सामने आया था. संजय भंडारी ने बड़े रक्षा सौदे हासिल करने के लिए ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस नाम की कंपनी बनाई थी. भाजपा के मुताबिक ये कंपनी रॉबर्ट वाड्रा की थी. नाम संजय भंडारी का चलता था. रॉबर्ट वाड्रा का मोबाइल फोन एक समय संजय भंडारी इस्तेमाल करता था. भंडारी के रिश्ते उस समय के कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से भी थे. कौन है मनोज अरोड़ा? मनोज अरोड़ा रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का कर्मचारी है. प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि मनोज अरोड़ा के जरिए ही रॉबर्ट वाड्रा ने इन संपत्तियों की डील की. ईडी के मुताबिक आयकर विभाग की एक जांच में मनोज अरोड़ा का नाम सामने आने के बाद उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है. मनोज अरोड़ा का आरोप है कि विदेश में संपत्तियों की खरीद से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी उन पर रॉबर्ट वाड्रा को फंसाने का दबाव बना रहा है. कौन हैं रॉबर्ट वाड्रा? रॉबर्ट वाड्रा का हैंडीक्राफ्ट आइटम्स और कस्टम आभूषणों का कारोबार है. उनकी कंपनी का नाम है आर्टेक्स एक्सपोर्ट्स. वाड्रा की कई और कंपनियों में भागीदारी है. इनमें स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रमुख है. जमीन के कई सौदे इसी कंपनी के नाम पर हुए हैं. इस कंपनी में रॉबर्ट वाड्रा की मां मौरीन वाड्रा भी डायरेक्टर हैं. रॉबर्ट वाड्रा 18 अप्रैल, 1969 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में पैदा हुए. उनके पिता राजेंद्र वाड्रा पीतल व्यवसायी थे. और मां मूल रूप से स्कॉटलैंड से हैं. वाड्रा परिवार पाकिस्तान के सियालकोट से भारत आया था. राजेंद्र वाड्रा के पिता यानी रॉबर्ट वाड्रा के दादा भारत आए थे. रॉबर्ट वाड्रा के एक भाई और एक बहन थीं. साल 2001 में उनकी बहन की कार दुर्घटना में मौत हो चुकी है. साल 2003 में उनके भाई ने आत्महत्या कर ली थी. साल 2009 में उनके पिता की हार्टअटैक में मौत हो गई थी. अब वाड्रा परिवार में उनकी मां ही उनके साथ हैं. रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी के एक बेटा और एक बेटी है. रॉबर्ट और प्रियंका गांधी की मुलाकात 1991 में दिल्ली में एक कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई थी. बाद में दोनों की नज़दीकियां बढ़ीं और दोनों ने 18 फरवरी, 1997 को शादी कर ली. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक रॉबर्ट के प्रियंका से शादी से फैसले को उनके परिवार ने पसंद नहीं किया. इसके चलते पिता-पुत्र के रिश्तों में दरार भी आ गई. साल 2001 में रॉबर्ट वाड्रा ने एक सार्वजनिक बयान देकर खुद को अपने पिता से अलग कर लिया था. रॉबर्ट वाड्रा मोटर साइकिलों और कारों के भी शौकीन हैं. बिजनेस के साथ-साथ रॉबर्ट वाड्रा फिटनेस और फैशन के दीवाने हैं.