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चीन में फैली बीमारी ना नई, ना रहस्यमय, तो फिर ये क्या है जिससे इतने लोग बीमार पड़ रहे?

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसे 'मिस्टीरियस निमोनिया' और 'रहस्यमय बीमारी' कहा गया है. लेकिन दुनियाभर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना प्रतिबंध हटने के बाद से ही चीन में रेस्पिरेटरी बीमारियां बढ़ने की आशंका थी. ऐसा पैटर्न दूसरे देशों में भी देखा गया है.

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respiratory illnesses among children in china
चीन ने सांस से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों की वजह कई तरह के संक्रमण बताए हैं. (फोटो: AFP)
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सुरभि गुप्ता
8 दिसंबर 2023 (Updated: 9 दिसंबर 2023, 13:27 IST)
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चीन में निमोनिया सहित सांस से जुड़ी बीमारियों में काफी तेजी आई है. सबसे ज्यादा बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 13 नवंबर, 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी सूचना दी थी. चीन में रेस्पिरेटरी बीमारियों यानी सांस से जुड़ी बीमारियों के मामले बढ़े तो दुनिया भर के कान खड़े हो गए. कहा जाने लगा कि चीन में बच्चे 'रहस्यमय बीमारी' और 'रहस्यमय निमोनिया' से पीड़ित हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चीन से इसके बारे में जानकारी मांगी. 23 नवंबर को WHO और चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों की बात हुई. 

ये भी पढ़ें- कोरोना के बाद अब चीन में फैला रहस्यमयी निमोनिया, WHO ने पूछा- ठीक-ठीक बताओ, क्या है ये?

WHO ने बताया कि चीन ने जो जानकारी उपलब्ध कराई है, उसके मुताबिक वहां किसी नई बीमारी की बात सामने नहीं आई है. सांस से जुड़ी बीमारियों के मामलों में उछाल की वजह सर्दियों में होने वाले संक्रमण बताए गए. चीनी अधिकारियों ने ये भी कहा है कि रेस्पिरेटरी बीमारियों यानी सांस से जुड़ी बीमारियों में आए इस उछाल से घबराने की जरूरत नहीं है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट में रैफल्स मेडिकल ग्रुप बीजिंग में बच्चों की बीमारियों वाले विभाग के प्रमुख सेसिल ब्रायन कहते हैं,

“(चीन में) जितने मामले हम देख रहे हैं, इसमें कुछ असामान्य नहीं है क्योंकि अभी भी वही खांसी, सर्दी, बुखार है और अच्छी बात यह है कि इनका इलाज संभव है.”

चीन में कौन सा इन्फेक्शन फैला है?

चीन ने सांस से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों की वजह कई तरह के संक्रमण बताए हैं. कहा है कि एडेनोवायरस, इन्फ्लूएंजा और रेस्पिरेटरी सिनसिशअल वायरस (RSV) के कारण रेस्पिरेटरी बीमारियों में उछाल आया है.

एडेनोवायरस- ये वायरस आमतौर पर हल्की सर्दी या फ्लू जैसी बीमारी का कारण बनते हैं. इसका संक्रमण साल के किसी भी समय हो सकता है. ये वायरस सभी उम्र के लोगों में बीमारी का कारण बन सकता है. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों या पहले से सांस की या दिल से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे लोगों को इस वायरस के संक्रमण से गंभीर बीमारी हो सकती है. इसके कारण बुखार, गला खराब, निमोनिया, कंजक्टिवाइटिस, दस्त, उल्टी और पेट दर्द हो सकता है.

इन्फ्लूएंजा- इन्फ्लूएंजा या फ्लू भी एक कॉमन वायरल इन्फेक्शन है. इन्फ्लूएंजा वायरस नाक, गला और फेफड़ों पर अटैक करता है. छोटे बच्चों, बुजुर्गों, कमजोर इम्यूनिटी और पहले से बीमार लोगों को इससे गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं. बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, नाक बंद होना, नाक बहना, सिरदर्द और थकान इसके लक्षण हैं.

रेस्पिरेटरी सिनसिशअल वायरस (RSV)- RSV एक कॉमन रेस्पिरेटरी वायरस है. आमतौर पर हल्के, सर्दी जैसे लक्षण करता है. ज्यादातर लोग एक या दो हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को इससे गंभीर समस्याएं होने की आशंका होती है. उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ सकती है.

(फोटो: AFP)

चीन में इस तरह के रेस्पिरेटरी संक्रमण अक्टूबर महीने से काफी तेजी से बढ़े हैं. वहीं मई महीने से ही चीन के उत्तरी इलाकों में बच्चे माइकोप्लाज्मा निमोनिया से पीड़ित होने लगे थे. इसके कारण बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत पड़ रही है.

माइकोप्लाज्मा निमोनिया क्या है?

अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक माइकोप्लाज्मा निमोनिया एक बैक्टीरिया है. ये भी सांस से जुड़ी बीमारियां करता है. इसके संक्रमण से शरीर का श्वसन तंत्र प्रभावित होता है. मतलब शरीर के वो हिस्से जो सांस लेने से जुड़े होते हैं. आमतौर पर इसके कारण हल्की बीमारी होती है. लेकिन इसका फेफड़ों पर गंभीर असर भी पड़ सकता है. ऐसे केस में मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है.

ये संक्रमित शख्स के नजदीकी संपर्क से फैलता है. जब माइकोप्लाज्मा निमोनिया बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो इस दौरान निकली बूंदों में बैक्टीरिया हो सकते हैं. ऐसे में मरीज के नजदीकी संपर्क वाले व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं.

माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लक्षण

माइकोप्लाज्मा निमोनिया से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण आमतौर पर 1 से 4 हफ्ते में दिखाई देते हैं. इसमें आमतौर पर सर्दी वाले लक्षण नज़र आते हैं. जैसे:

- गला खराब होना

- थकान

- बुखार

- धीरे-धीरे बिगड़ने वाली खांसी जो हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती है

- सिरदर्द

5 साल से कम उम्र के बच्चे जिन्हें माइकोप्लाज्मा निमोनिया इन्फेक्शन होता है, उनके लक्षण बड़े बच्चों और वयस्कों से अलग हो सकते हैं. जैसे:

- छींक आना

- भरी या बहती हुई नाक

- गला खराब होना

- आंखों में पानी आना

- सांस में घरघराहट

- उल्टी

- दस्त

इसमें निमोनिया (फेफड़ों का संक्रमण) भी हो सकता है. इसके लक्षण हैं:

- बुखार और ठंड लगना

- खांसी

- थकान

- सांस लेने में कठिनाई

7 दिसंबर की सुबह इस खबर से हड़कंप मच गया था कि चीन में निमोनिया के मामलों में हालिया बढ़ोतरी से जुड़े 7 मामले भारत में डिटेक्ट किए गए हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ऐसे 7 बैक्टीरियल इन्फेक्शन के मामले दिल्ली के एम्स पहचाने गए. इसी दिन दोपहर तक स्वास्थ्य मंत्रालय की सफाई आई. कहा गया कि इस तरह के दावे गलत और भ्रामक हैं. एम्स के 7 बैक्टीरियल इन्फेक्शन वाले मामलों का चीन के बच्चों में फैले रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के मामलों से कोई संबंध नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत के किसी भी हिस्से में सांस से जुड़ी बीमारियों में वैसी बढ़ोतरी नहीं देखी गई है, जैसी चीन में दर्ज हुई है. 

ये भी पढ़ें- भारत में पाए गए चीन वाले निमोनिया के केस वाली रिपोर्ट को सरकार ने फर्जी बताया

चीन में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन बढ़ने की वजह

एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीन में इस साल की सर्दी में संक्रमण बढ़ने की आशंका थी. इसकी वजह ये है कि कोविड-19 शुरू होने के बाद बिना सख्त प्रतिबंधों के चीन की ये पहली सर्दी है. कई देशों में कोरोना महामारी के दौरान अपनाए गए प्रतिबंध हटने के बाद ऐसा ही पैटर्न देखा गया है. मतलब कोरोना प्रतिबंध हटने के बाद की पहली सर्दियों में कॉमन रेस्पिरेटरी बीमारियों में उछाल कई देशों में दर्ज किए गए. जैसे, नवंबर 2022 में, अमेरिका में फ्लू से अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या 2010 के बाद सबसे अधिक दर्ज की गई.

नेचर जर्नल के एक आर्टिकल में हांगकांग यूनिवर्सिटी के महामारी विशेषज्ञ बेंजामिन काउलिंग कहते हैं,

"रेस्पिरेटरी बीमारियों के मामलों में ये उछाल सर्दी के मौसम से जुड़ा है. ये तेजी इस साल थोड़ी जल्दी दिख रही है, जो कि तीन साल के कोरोना प्रतिबंधों के बाद आबादी में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के प्रति बढ़ी संवेदनशीलता के कारण हो सकता है."

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में जीवविज्ञानी फ्रेंकोइस बैलौक्स के मुताबिक कोरोना प्रतिबंधों के कारण मौसमी संक्रमण भी नहीं फैले. इससे लोगों को सीजनल संक्रमणों के खिलाफ इम्यूनिटी नहीं बन पाई. वहीं चीन में किसी भी अन्य देश की तुलना में कहीं अधिक लंबा और कठोर लॉकडाउन था. इसलिए चीन में कोरोना प्रतिबंध हटने के बाद सीजनल संक्रमणों में उछाल का अनुमान था.

WHO में COVID-19 टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोव ने भी कहा है कि दुनिया भर में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन बढ़े हैं. बच्चों में इसके ज्यादा मामले हैं क्योंकि वो स्कूल जाते हैं. 

वीडियो: कोरोना के बाद अब चीन में फैली नई बीमारी WHO ने पूछा- ठीक-ठीक बताओ, क्या है ये?

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