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देश के सैनिक स्कूलों की कमान RSS को देने का आरोप कहां से आया? सच क्या है?

रक्षा मंत्रालय ने आरोपों को खारिज किया और कहा है कि आवेदन की जांच के लिए एक सख्त प्रक्रिया का पालन किया गया था.

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Sainik School RSS
रक्षा मंत्रालय ने क्या सफाई दी? (फोटो- सैनिक स्कूल अंबिकापुर)
4 अप्रैल 2024 (Updated: 4 अप्रैल 2024, 23:59 IST)
Updated: 4 अप्रैल 2024 23:59 IST
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रक्षा मंत्रालय ने नए सैनिक स्कूलों की कमान राष्ट्रीय संघ सेवक (RSS) या भाजपा से जुड़े लोगों को सौंपे जाने को लेकर छपी रिपोर्ट को गलत बताया है. मंत्रालय ने कहा है कि संस्थानों को नए सैनिक स्कूलों का आवंटन करने में एक सख्त प्रक्रिया का पालन किया जाता है. दरअसल, ‘रिपोर्टर्स क्लेक्टिव’ वेबसाइट ने 3 अप्रैल को एक रिपोर्ट छापी थी. इसमें दावा किया गया था कि 62 परसेंट नए सैनिक स्कूलों को चलाने की जिम्मेदारी संघ और भाजपा नेताओं से जुड़े लोगों को दी गई है.

इस रिपोर्ट के सामने आने के अगले दिन रक्षा मंत्रालय की सफाई आई. मंत्रालय ने रिपोर्ट में किए गए दावों को बेबुनियाद बताया. रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया, 

"ऐसी रिपोर्ट्स छपी हैं, जिसमें दावा किया गया है कि नए सैनिक स्कूलों को उनकी राजनीतिक या वैचारिक लगाव के आधार पर संस्थानों को आवंटित किया जा रहा है. ऐसे आरोपों का कोई आधार नहीं है."

सरकार पर क्या-क्या आरोप लगे?

‘रिपोर्टर्स क्लेक्टिव’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि साल 2022 और 2023 के बीच केंद्र सरकार ने 40 सैनिक स्कूलों को चलाने की जिम्मेदारी ऐसे शिक्षण संस्थानों को दी, जिनका संबंध RSS और बीजेपी के नेताओं से जुड़ा हुआ है. ये रिपोर्ट सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के विश्लेषण के बाद लिखी गई. रिपोर्ट कहती है कि इसमें ऐसे कोई प्राइवेट स्कूल शामिल नहीं हैं, जिसे ईसाई, मुस्लिम या दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यक संगठनों द्वारा चलाया जाता हो.

सैनिक स्कूलों का प्रबंधन रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली संस्था सैनिक स्कूल्स सोसायटी करती है. साल 2022 से पहले केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 33 सैनिक स्कूल चला रहे थे. हालांकि अक्टूबर 2021 में केंद्र सरकार ने भारत में सैनिक स्कूल चलाने के लिए निजी क्षेत्रों के लिए दरवाजे खोल दिए थे. प्राइवेट संचालकों को सैनिक स्कूल सोसायटी के साथ पार्टनरशिप करने और आंशिक वित्तीय मदद से सैनिक स्कूल के अपने ब्रांच चलाने की इजाजत दी गई थी. सरकार ने उसी साल वार्षिक बजट में देशभर में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित करने का एलान किया था.

‘रिपोर्टर्स क्लेक्टिव’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मई 2022 से 27 दिसंबर 2023 के बीच कम से कम 40 प्राइवेट स्कूलों ने सैनिक स्कूल सोसायटी के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इनमें से 11 स्कूलों का मालिकाना बीजेपी नेताओं, उनके द्वारा प्रबंधित ट्रस्ट या उनके करीबी या दोस्तों के पास है. 8 स्कूल का प्रबंधन RSS के पास है. 6 स्कूलों का संबंध हिंदूवादी संगठनों के करीबियों से है.

साध्वी ऋतंभरा के स्कूलों को आवंटन

रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने सैनिक स्कूल चलाने का ठेका हिंदूवादी नेता साध्वी ऋतंभरा के वृंदावन में संविद गुरुकुलम गर्ल्स सैनिक स्कूल और सोलन में राज लक्ष्मी संविद गुरुकुलम को भी दिया है. इन स्कूलों को लड़कियों के लिए भारत का पहला सैनिक स्कूल बताया जा रहा है. साध्वी ऋतंभरा विश्व हिंदू परिषद (VHP) की महिला विंग दुर्गा वाहिनी की संस्थापक हैं. ऋतंभरा बाबरी मस्जिद गिराने की आरोपी भी रह चुकी थीं, जिन्हें साल 2020 में दूसरे आरोपियों की तरह बरी कर दिया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, RSS के शिक्षा विंग 'विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान' को भी 7 सैनिक स्कूलों के ठेके दिए गए. इनमें से तीन स्कूल बिहार में हैं और एक-एक स्कूल मध्य प्रदेश, पंजाब, केरल और दादर एवं नगर हवेली में हैं. नासिक में सेंट्रल हिंदू मिलिट्री एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित भोंसाला मिलिट्री स्कूल को भी सैनिक स्कूल चलाने की अनुमति दी गई. हिंदूवादी विचारक बीएस मूंजे ने 1937 में इस स्कूल की स्थापना की थी.

हालांकि हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों को स्कूल आवंटन के दावों को भारत सरकार ने खारिज कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि योजना के उद्देश्यों और उसे लागू किये जाने की प्रक्रिया पर आरोप लगाकर उसका राजनीतिकरण करने का प्रयास भ्रामक है.

स्कूलों को मंजूरी अस्थायी- रक्षा मंत्रालय 

मंत्रालय ने अपने बयान में ये भी कहा कि उसे अब तक 500 से ज्यादा आवेदन मिले थे और अभी तक 45 स्कूलों को मंजूरी दी गई है. इनमें पहले से चल रहे स्कूल और नए बनने वाले स्कूल दोनों शामिल हैं. साथ ही इन स्कूलों को दी गई मंजूरी अस्थायी है. ये मंजूरी स्कूल निरीक्षण समिति की वार्षिक जांच के आधार पर ही जारी रह सकती है.

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मंत्रालय के मुताबिक, आवेदन की जांच के लिए एक सख्त प्रक्रिया का पालन किया गया था. इसमें जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक स्कूल निरीक्षण समिति बनाई गई थी. समिति में आसपास के मौजूदा सैनिक स्कूलों/नवोदय स्कूलों के प्रिंसिपल भी शामिल थे. आवेदन करने वाले स्कूल का दौरा किया जाता है. अंतिम मंजूरी एक समिति करती है. समिति की अध्यक्षता सैनिक स्कूल सोसाइटी के संयुक्त सचिव करते हैं. इसमें सीबीएसई के सचिव और एक शिक्षाविद सदस्य भी शामिल हैं.

रक्षा मंत्रालय ने सफाई दी कि आवेदन करने वालों के राजनीतिक झुकाव या किसी अन्य चीज से चयन प्रक्रिया पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.

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