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रतन टाटा के चेयरमैन बनने के बाद कैसे नई ऊंचाइयां चढ़ा टाटा ग्रुप? ऐसे बने युवाओं के लिए प्रेरणा

अमेरिका से भारत लौटने पर रतन टाटा ने टाटा स्टील को बतौर कर्मचारी जॉइन किया और बिजनेस को सिरे से समझा. रतन टाटा केवल 21 साल के थे जब उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया.

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रतन टाटा (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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ज्योति जोशी
10 अक्तूबर 2024 (Updated: 10 अक्तूबर 2024, 10:18 IST)
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देश के सम्मानित उद्योगपति और TATA Sons के चेयरमैन रहे रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है (Ratan Tata Passes Away). 9 अक्टूबर को देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बिजनेस जगत समेत पूरा देश उनके जाने से दुखी है. कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र हो, मिडिल क्लास कर्मचारी या बड़ा बिजनेसमैन, हर कोई उन्हें अपना रोल मॉडल मानता है. वजह है उनकी दरियादिली, हर वर्ग के प्रति सम्मान और काम के लिए समर्पण.

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. बचपन से ही वो अपनी दादी के साथ रहे. मुंबई में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद रतन टाटा आर्किटेक्चर की डिग्री के लिए अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी चले गए. वो हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम का हिस्सा भी रह चुके हैं. 1962 में भारत लौटने से पहले उन्होंने लॉस एंजिल्स में जोन्स और एम्मन्स के साथ कुछ समय तक काम किया. वापस लौटने पर उन्होंने टाटा स्टील बतौर कर्मचारी जॉइन किया और बिजनेस को सिरे से समझा. रतन टाटा केवल 21 साल के थे जब उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया. उनके नेतृत्व में कंपनी ने नई ऊंचाईयां देखीं.

-1996 में टेलीकॉम कंपनी टाटा टेली सर्विसेज की स्थापना हुई.

-2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) मार्केट में लिस्‍ट हुई. उनके नेतृत्व में TCS दुनिया की सबसे बड़ी आईटी सेर्विस कंपनियों में से एक बनी.

-2007 में टाटा ने कोरस स्टील का अधिग्रहण किया था, जिसने टाटा स्टील को दुनिया के टॉप स्टील प्रोड्यूसर्स में से एक बनाया.

-2008 में जगुआर लैंड रोवर की खरीद ने टाटा मोटर्स को लक्जरी ऑटोमोबाइल बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाया. उसी साल रतन टाटा ने टाटा नैनो के लॉन्च का भी नेतृत्व किया.

2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटने के बाद रतन टाटा को टाटा संस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन की उपाधि दी गई. अपने रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने कहा था कि वो अपना बाकी जीवन अपने शौक पूरा करना चाहते हैं. बोले- अब मैं पियानो बजाऊंगा और विमान उड़ाऊंगा.

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टाटा ग्रुप की सफलता में अहम भूमिका निभाने के साथ ही रतन टाटा ने एक दरियादिल इंसान की छवि भी बनाई. वो देश के लाखों-करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा बने. उनका मानना था कि अगर आपको किसी काम में सफलता पानी है तो उस काम की शुरुआत भले ही आप अकेले करें, लेकिन उसे बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए लोगों का साथ जरूरी है. साथ मिलकर ही दूर तक चला जा सकता है.

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