The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Ratan tata passes away transfo...

रतन टाटा के वो ऐतिहासिक फैसले जिसने TATA ग्रुप की पहचान दुनियाभर में बनाई

Ratan Tata का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है . TATA Sons के चेयरमैन रहे रतन टाटा ने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित किए.

Advertisement
Ratan Tata, Tata Group, Businessmen
रतन टाटा के कुछ फैसलों से टाटा ग्रुप का कारोबार देश के बाहर तेजी से बढ़ा (फोटो: PTI)
pic
रविराज भारद्वाज
10 अक्तूबर 2024 (Updated: 10 अक्तूबर 2024, 10:23 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है (Ratan Tata Passes Away). टाटा ग्रुप (Tata Group) के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक आधिकारिक बयान के जरिए इसकी पुष्टि की है. रतन टाटा ने 9 अक्टूबर की देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल (Breach Candy Hospital) में अंतिम सांस ली.

TATA Sons के चेयरमैन रहे रतन टाटा ने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित किए. उनके नेतृत्व में देश के सबसे पुराने कंपनी में से एक टाटा ग्रुप ने कई नई बुलंदियों को छुआ. यही वजह रही कि रतन टाटा की गिनती आज देश के सबसे सफल बिजनेसमैन के तौर पर की जाती है. रतन टाटा ने साल 1991 में ग्रुप की कमान अपने हाथ में ली. उन्होंने जेआरडी टाटा (JRD Tata) को रिप्लेस किया. रतन टाटा साल 2012 तक इस ग्रुप के चेयरमैन बने रहे. जब रतन टाटा ने कंपनी की कमान अपने हाथ में संभाली, तब वार्षिक राजस्व (Annual Turnover) लगभग 5 बिलियन डॉलर का था. लेकिन अपने कार्यकाल में रतन टाटा ने कंपनी के वार्षिक राजस्व को 100 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा तक पहुंचा दिया. 

रतन टाटा के चेयरमैन बनने के बाद कई साहसिक फैसले लिए. उन्होंने टाटा समूह को दुनियाभर में अपनी पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ाया. उनकी नेतृत्व में Tata Group ने देशभर में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपना डंका बजाया. आइये जानते हैं कि कुछ ऐसे ही बड़े फैसलों के बारे में, जिसने टाटा ग्रुप की दुनियाभर में पहचान बनाई.

मशहूर चाय कंपनी Tetley को खरीदा

रतन टाटा की अगुवाई में TATA Tea ने साल 2000 में ब्रिटेन की मशहूर चाय कंपनी टेटली (Tetley) को खरीद लिया. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त ये डील लगभग 27 करोड़ यूरो यानी लगभग 2,400 करोड़ रुपये में हुई थी. उस समय टेटली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी टी बैग्स प्रोड्यूसर कंपनी थी. ऐसे में इस डील को भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़े अधिग्रहण के तौर पर देखा गया. इस डील ने टाटा कंपनी की कामयाबी की एक नई इबारत लिखी थी.

Corus का अधिग्रहण

टाटा ग्रुप की तरफ से साल 2007 में एक और बड़ी कंपनी का अधिग्रहण हुआ, जिसकी काफी चर्चा हुई. ये अधिग्रहण था कोरस का. Corus नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम में स्थित एक प्रमुख कंपनी थी. जिसे टाटा स्टील ने खरीद लिया. इस अधिग्रहण ने टाटा स्टील को दुनियाभर में एक अलग पहचान दिलाई. इस डील के बाद टाटा स्टील 25 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन करने वाली दुनिया की टॉप-10 स्टील कंपनियों की सूची में शामिल हो गई.

ये भी पढ़ें: बदला लेने के लिए टाटा ने लुटा दिए 12 हजार करोड़?

Land Rover को खरीदा

रतन टाटा की अगुवाई में TATA ग्रुप ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए साल 2008 में फोर्ड के लग्जरी कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया. इस अधिग्रहण से टाटा समूह की अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ाने में मदद मिली.  2007 में फोर्ड ने जैगुआर और लैंड रोवर को बेचने की सोची. टाटा मोटर्स ने फोर्ड के ऑफर में दिलचस्पी दिखाई.  2 जून 2008 को टाटा मोटर्स ने फोर्ड से लैंड रोवर और जैगवार, दोनों ब्रांड्स को खरीद लिया. फोर्ड ने तब टाटा से कहा था कि आप इन्हें खरीद कर हम पर एहसान कर रहे हैं.

वीडियो: टाटा ग्रुप ने BCCI को दिए 'इतने' हजार करोड़, IPL में क्या बदलेगा?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement