बिहार में हुए जातिगत सर्वे से क्या लालू और नीतीश कुमार को तगड़ा नुकसान होगा? प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी
प्रशांत किशोर ने बिहार में हुए जातिगत सर्वे पर एक दिलचस्प बात बोली है. पूरी बातचीत पढ़िए.
राजनीतिक रणनीतिकार और राजनीतिज्ञ प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में हुए जातिगत सर्वे का JDU-RJD को नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने नीतीश कुमार और लालू यादव पर सामाजिक और आर्थिक रूप से 'पिछड़ी' जातियों का हक मारने का आरोप लगाया. लालू यादव पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वो जाति की नहीं, परिवार की राजनीति कर रहे हैं. ये बातें प्रशांत किशोर ने ‘दी लल्लनटॉप’ के पॉलिटिकल इंटरव्यू के कार्यक्रम 'जमघट' में कही हैं.
'लल्लनटॉप' के संपादक सौरभ द्विवेदी ने प्रशांत किशोर से सवाल किया था,
"जातिगत जनगणना को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार ने एक बड़ा मुद्दा बनाया. कांग्रेस ने इसे दूसरे राज्यों में रेप्लीकेट करने की कोशिश भी की, उनमें से ज्यादातर में वो हारे, आपका इस विषय पर क्या सोचना है?"
प्रशांत किशोर ने जवाब दिया,
“पहली बात ये है कि बिहार में कोई जातिगत जनगणना नहीं हुई है. बिहार में जातियों का सर्वे हुआ है. जनगणना केंद्र सरकार का विषय है, उसको वैधानिक बैकिंग है. सर्वे राज्य सरकार ने कराया है, इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है.”
प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी भी सर्वे या जनगणना से जो जानकारी मिलती है, उन जानकारियों के मिलने मात्र से उस समाज का भला होने वाला नहीं है. उन जानकारियों पर काम भी करना होगा. उन्होंने कहा,
“बिहार में जो जातिगत सर्वे हुआ, लेकिन उस जानकारी में सबसे बड़ी बात निकल कर क्या आई? यही कि पिछले 30-35 सालों से जिन जातियों के नाम पर लालू-नीतीश बिहार में राज कर रहे हैं, उनकी स्थिति कमोबेश वही बनी हुई है, जो आज से 30 वर्ष पहले थी. उनकी बड़ी हकमारी हुई है.”
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि ये हकमारी लालू यादव और नीतीश कुमार ने की है क्योंकि इतने सालों से वे दोनों ही सत्ता में हैं. उन्होंने सवाल किया कि पूरे जदयू और आरजेडी में कितने अति पिछड़ा और दलित समाज के लोगों को मंत्री बनाया गया है.
प्रशांत किशोर का मानना है कि लालू-नीतीश को जातिगत सर्वे का भारी नुकसान होगा, जैसे कांग्रेस को हुआ. मंडल कमीशन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा,
“मंडल कमीशन आने के बाद इन लोगों को फायदा हुआ था. इसकी वजह ये थी कि उस समय ये लोग यह कहने में कामयाब रहे कि ‘अगड़ी जातियों’ के शासन से सारा समाज पीछे छूट गया. इससे सामाजिक तौर पर जिन्हें ‘अगड़ी जातियां’ कहा जाता है, उनको जनता ने बिल्कुल बेदखल कर दिया. लेकिन आज उन ‘अगड़ी जातियों’ की जगह पर कौन हैं? अगर जनता फिर से वही हिसाब करे, जो मंडल कमीशन के समय किया था, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान लालू-नीतीश को ही होगा क्योंकि सत्ता इनके पास है.”
प्रशांत किशोर ने कहा कि लालू यादव और नीतीश कुमार जाति के नाम पर वोट मांगते हैं, लेकिन जिनसे वोट मांगते हैं, उनके लिए कुछ नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि लालू यादव जाति की राजनीति नहीं कर रहे हैं, परिवार की राजनीति कर रहे हैं.
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