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पार्थिव पटेल: वो विकेटकीपर जो सालों तक इंडिया के लिए स्टेपनी बना रहा

साल 2002 में डेब्यू किया था और 2020 में रिटायर हुआ.

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प्रवीण
9 मार्च 2022 (Updated: 9 मार्च 2022, 05:58 IST)
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टीम इंडिया साल 2002 में इंग्लैंड के दौरे पर गई थी. वहां सीरीज के दूसरे टेस्ट में एक 17 साल का लड़का स्टंप्स के पीछे खड़ा दिखा था. नाम पार्थिव पटेल. विकेटकीपर पार्थिव पटेल. 16 साल बाद भी ये खिलाड़ी साउथ अफ्रीका में विकेटकीपिंग करता दिखा. 16 सालों में इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने महज़ 25 टेस्ट खेले हैं और 38 वनडे.
पार्थिव पटेल का ये लंबा मगर बेहद अनिश्चित करियर इंडिया में महेंद्र सिंह धोनी पर अति-निर्भरता और विकेटकीपिंग की तरफ उदासीन रवैए का नतीजा है. इंडिया ने साल 2002 से 2019 तक अजय रात्रा, पार्थिव पटेल, राहुल द्रविड़ , दिनेश कार्तिक, महेंद्र सिंह धोनी, ऋद्धिमान साहा और नमन ओझा तक को आजमाया. पार्थिव इन 16 सालों तक टीम इंडिया में स्टेपनी बने रहे.
9 मार्च 1985 को गुजरात के अहमदाबाद में पैदा हुए पार्थिव टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले विकेट कीपर थे. विकेट के पीछे कमजोर प्रदर्शन के बावजूद वो टीम में बने भी रहे. कारण था कि इंडिया के पास ऑप्शन का न होना.
Steve Waugh
2004 का सिडनी टेस्ट स्टीव वॉ का आखिरी टेस्ट था.


इस बीच पार्थिव पटेल की ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ को विकेट के पीछे से स्लेज करने की एक कोशिश काफी पॉपुलर हुई थी. स्टीव का ये आखिरी टेस्ट था. सिडनी के मैदान पर ये टेस्ट हो रहा था जिसमें वो स्टीव वॉ को उकसाने की कोशिश करते दिखे थे. स्टीव अपने स्लॉग स्वीप के लिए जाने जाते थे. और इसी को ध्यान में रखकर पीछे से पार्थिव ने अंग्रेजी में कहा था,
'अपना स्वीप शॉट खेल लो, फिर कहां मौका मिलेगा.'
कुछ देर तक नजरांदाज करने के बाद जब स्टीव वॉ पलटे तो पार्थिव को कहा,
'कुछ तो इज्जत दो. जब मैंने टेस्ट में डेब्यू किया था, तब तुम नेपीज में थे.'
ये सुनकर पार्थिव हंसे और सोच में पड़ गए कि सही में स्टीव वॉ ने 1985 में डेब्यू किया था. और उसी साल वो पैदा हुए थे.
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IPL ने पार्थिव पटेल के करियर में नई जान डाली Lr.


अपने करियर में ऑन एंड ऑफ रहने के साथ एक अरसे बाद पार्थिव पटेल को 2015 IPL में बेहतरीन फॉर्म में देखा गया. मुंबई इंडियन्स के लिए खेलते हुए पार्थिव ने 339 रन मारे थे और उस सीजन मुंबई चैंपियन भी बना था. उसी साल घरेलू क्रिकेट में भी गुजरात की टीम ने विजय हजारे ट्रॉफी पार्थिव पटेल के शतक से जीती थी.
क़रीब एक दशक तक गुजरात की कप्तानी पार्थिव के हाथ में थी. घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद फरवरी 2016 में पार्थिव ने इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की. वो भी पूरे चार साल बाद. धोनी के अनफिट होने के चलते पार्थिव को टीम में शामिल किया गया.
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विकेट के पीछे अपने कमजोर प्रदर्शन से कई मौके हाथ से गंवाए हैं पार्थिव ने.


फिर जब 2017 में इंग्लैंड की टीम भारत आई तो टेस्ट में ऋद्धिमान साहा के घायल होने पर पार्थिव को बुलाया गया. इंग्लैंड के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में पार्थिव 8 सालों बाद टेस्ट क्रिकेट खेले. यहां मोहाली टेस्ट में पहली पारी में 42 और दूसरी में नाबाद 67 रन बनाए. वहीं चेन्नई में ओपनिंग करते हुए 71 रन बनाए. मगर कमजोर विकेटकीपिंग अभी भी पार्थिव के लिए आलोचना का सबब बनती रही.
17 साल के पार्थिव ने 33 साल की उम्र में साल 2018 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेला. और फिर साल 2020 में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया. आजकल पार्थिव IPL टीम मुंबई इंडियंस के साथ हैं. वह इस टीम के लिए टैलेंट स्काउटिंग करते हैं.


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